जयपुर. प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले गहलोत सरकार कर्मचारियों को अपने साथ साधने की कोशिश कर रही है. लेकिन सरकार की यही कोशिश उनके लिए हर बार मुसीबत बन जाती है. एनपीएस और आपीएस का मामला खत्म भी नहीं हुआ कि वेतन विसंगति को लेकर बनाई गई पूर्व आईएस खेमराज चौधरी की अध्यक्षता वाली कमेटी का कार्यकाल बढ़ाने के बाद मंत्रालयिक कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ गया (Tenure of pay discrepancy committee increased) है. मंत्रालयिक कर्मचारी संघ ने राजधानी में 16 अगस्त से महापड़ाव डालने का एलान कर सरकार के सामने एक और बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है.
सभी सरकारें बढ़ाती रही कार्यकाल: पूर्व की वसुंधरा राजे सरकार से लेकर मौजूदा सरकार तक में सरकारी कर्मचारियों के लिए कमेटियों के बनने और कार्यकाल बढ़ाने का सिलसिला जारी है. इसे लेकर सरकारी कर्मचारियों में मायूसी है. हालांकि ओपीएस लागू करने से राहत तो मिली है, लेकिन बुनियादी मसले हल न होने के चलते सरकारी कर्मचारी खुद को कमेटियों के मकड़जाल में जकड़ा महसूस कर रहा है. कर्मचारियों को लगता है कि सरकार कमेटियां बनाकर पहले से ही मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश करती है और फिर कर्मचारी आंदोलन नहीं करें. इसलिए कमेटियों का कार्यकाल आगे बढ़ा कर यह दर्शाने की कोशिश होती है कि सरकार उनकी मांगों पर काम कर रही है.
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कमेटी-दर-कमेटी यूं बढ़ता गया मर्ज:
- वसुंधरा राजे सरकार में पूर्व सीएस डीसी सामंत की अध्यक्षता में वेतन विसंगति निवारण समिति का गठन 3 नवंबर, 2017 को हुआ.
- सामंत कमेटी का कार्यकाल 8 मई, 2018, 8 अगस्त, 2018, 31 दिसंबर, 2018 और 4 जुलाई, 2019 को चार बार बढ़ाया गया.
- 7वें वेतनमान संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए गठित सामंत कमेटी को वेतन विसंगति निवारण का भी जिम्मा सौंपा गया. इसे लेकर 5 अगस्त, 2019 को कमेटी ने रिपोर्ट दे दी.
- सरकार इस रिपोर्ट का परीक्षण करा रही है और इसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है.
खेमराज कमेटी
- सामंत कमेटी के बाद छूटे बिंदुओं और विसंगति के मसलों को हल करने के लिए रिटायर्ड आईएएस खेमराज की अध्यक्षता में 5 अगस्त, 2021 को वेतन विसंगति परीक्षण समिति का गठन किया गया.
- इसका कार्यकाल 1 नवंबर, 2021 को 3 माह के लिए बढ़ाया गया था.
- फिर 3 फरवरी, 2022 को इसे 6 माह के लिए बढ़ाया गया और अब 5 अगस्त को कमेटी का कार्यकाल 31 दिसंबर, 2022 तक बढ़ा दिया गया.
बार-बार कार्यकाल बढ़ाने को लेकर कर्मचारियों में रोष: अखिल राजस्थान संयुक्त मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ स्वतंत्र ने राज्य सरकार की ओर से वेतन विसंगति कमेटी का कार्यकाल लगातार तीसरी बार बढ़ाने पर रोष जताते हुए सरकार के इस निर्णय की कठोर शब्दों मे निंदा की. महासंघ के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष सागर पांचाल ने बताया कि मंत्रालयिक कर्मचारियों की वेतन विसंगति निराकरण के लिए राज्य सरकार ने सेवानिवृत आईएएस खेमराज चौधरी की अध्यक्षता मे कमेटी का गठन किया था, जिसका कार्यकाल 8 अगस्त को पूर्ण होने को था. लेकिन राज्य सरकार ने तीसरी बार कमेटी का कार्यकाल बढ़ा दिया. जिससे आर्थिक लाभ की बाठ जोह रहे मंत्रालयिक कर्मचारियों में भारी असंतोष और रोष व्याप्त हो गया है.
16 अगस्त को राजधानी में महापड़ाव: मंत्रालयिक कर्मचारियों ने कहा कि सरकार धैर्य की परीक्षा लेने का प्रयास कर रही है. अब मंत्रालयिक कर्मचारी 16 अगस्त से आंदोलन करने को तैयार हैं. कर्मचारियों ने कहा कि राज्य सरकार से निवेदन है कि मंत्रालयिक कर्मचारियों की मुख्य मांग ग्रेड पे बढ़ोतरी पर शीघ्रातिशीघ्र आदेश जारी करवाएं. नहीं तो 16 अगस्त से राजधानी में शुरु होने वाले मंत्रालयिक कर्मचारियों के प्रदेश स्तरीय आंदोलन के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार होगी. 16 अगस्त को 80 हजार मंत्रालयिक कर्मचारी राजधानी जयपुर में महापड़ाव डालेंगे.