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मंत्रालयिक कर्मचारियों ने वित्त विभाग के कटौती आदेशों का रावण के साथ किया दहन, सरकार को 19 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम

राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारियों ने दशहरे के दिन वेतन कटौती आदेशों की कॉपी रावण के साथ दहन की. कर्मचारियों में गहलोत सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है. उन्होंने सामूहिक महापड़ाव की चेतावनी दी है.

Ministerial employees, Rajasthan news
राजस्थान मंत्रालयिक कर्मचारी ने जलाई आदेश की कॉपी
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Published : Oct 15, 2021, 7:20 PM IST

जयपुर. राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के बैनर तले मंत्रालयिक कर्मचारियों का आमरण अनशन चौदहवें दिन भी जारी रहा. 6 मंत्रालयिक कर्मचारियों की तबीयत बिगड़ने के बावजूद भी सरकार की ओर से अभी तक वार्ता के लिए नहीं बुलाने से कर्मचारियों में सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है. दशहरे के दिन शुक्रवार शाम को मंत्रालयिक कर्मचारियों ने वेतन कटौती आदेशों का रावण के साथ दहन किया और सरकार के खिलाफ आक्रोश जताया.

दो अक्टूबर से प्रदेशाध्यक्ष मनोज सक्सेना के साथ जिलों से आये मंत्रालयिक कर्मचारी अनशन पर डटे हुए हैं. छह मंत्रालयिक कर्मचारी 2 अक्टूबर को आमरण अनशन पर बैठे थे. जिनकी तबीयत खराब होने पर सवाई मानसिंह चिकित्सालय में भर्ती कराया गया. इसके बाद राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज सक्सेना खुद आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं. शुक्रवार को उनको सात दिन हो चुके हैं.

मेडिकल टीम की ओर से की जा रही जांच में भी उनके स्वास्थ्य में गिरावट आ रही है. सत्य की असत्य पर विजय का पर्व विजयादशमी पर मंत्रालयिक कर्मचारियों ने अनशन स्थल शहीद स्मारक पर वित्त विभाग के वेतन कटौती आदेश को अहंकारी रावण के दस मुखुटों पर लगा कर दहन किया.

यह भी पढ़ें. विजयदशमी पर संकल्प लें और केंद्र सरकार के घुटने टिकाएं...जिससे किसानों की बात सुनी जाए : खाचरियावास

प्रदेशाध्यक्ष मनोज सक्सेना ने बताया कि सरकार के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी अनशन स्थल पर आ कर आश्वस्त कर गए थे कि शीघ्र मांगों का निस्तारण करेंगे. अभी तक सकारात्मक रूप से सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है. यदि सरकार ने 19 अक्टूबर तक वार्ता कर मांगों का निस्तारण नहीं किया तो 22 अक्टूबर से राजस्थान राज्य के समस्त मंत्रालयिक कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेकर महापड़ाव डालेंगे.

मंत्रालयिक कर्मचारी ग्रेड-पे 3600, सचिवालय के समान वेतन भत्ते, वेतन कटौती आदेश को वापस लेने पदोन्नति के शेष 11500 पद जारी करने, मंत्रालयिक कर्मचारियों के लिए निदेशालय का गठन, जिला परिषद, पंचायत समितियों व ग्राम पंचायतों में कार्यरत मंत्रालयिक कर्मचारियों के उच्च पदों का आंवटन, एआरडी लिक खोलने आदि वाजिब मांगों को लेकर साल से संघर्ष कर रहे हैं.

जयपुर. राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के बैनर तले मंत्रालयिक कर्मचारियों का आमरण अनशन चौदहवें दिन भी जारी रहा. 6 मंत्रालयिक कर्मचारियों की तबीयत बिगड़ने के बावजूद भी सरकार की ओर से अभी तक वार्ता के लिए नहीं बुलाने से कर्मचारियों में सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है. दशहरे के दिन शुक्रवार शाम को मंत्रालयिक कर्मचारियों ने वेतन कटौती आदेशों का रावण के साथ दहन किया और सरकार के खिलाफ आक्रोश जताया.

दो अक्टूबर से प्रदेशाध्यक्ष मनोज सक्सेना के साथ जिलों से आये मंत्रालयिक कर्मचारी अनशन पर डटे हुए हैं. छह मंत्रालयिक कर्मचारी 2 अक्टूबर को आमरण अनशन पर बैठे थे. जिनकी तबीयत खराब होने पर सवाई मानसिंह चिकित्सालय में भर्ती कराया गया. इसके बाद राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज सक्सेना खुद आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं. शुक्रवार को उनको सात दिन हो चुके हैं.

मेडिकल टीम की ओर से की जा रही जांच में भी उनके स्वास्थ्य में गिरावट आ रही है. सत्य की असत्य पर विजय का पर्व विजयादशमी पर मंत्रालयिक कर्मचारियों ने अनशन स्थल शहीद स्मारक पर वित्त विभाग के वेतन कटौती आदेश को अहंकारी रावण के दस मुखुटों पर लगा कर दहन किया.

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प्रदेशाध्यक्ष मनोज सक्सेना ने बताया कि सरकार के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी अनशन स्थल पर आ कर आश्वस्त कर गए थे कि शीघ्र मांगों का निस्तारण करेंगे. अभी तक सकारात्मक रूप से सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है. यदि सरकार ने 19 अक्टूबर तक वार्ता कर मांगों का निस्तारण नहीं किया तो 22 अक्टूबर से राजस्थान राज्य के समस्त मंत्रालयिक कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेकर महापड़ाव डालेंगे.

मंत्रालयिक कर्मचारी ग्रेड-पे 3600, सचिवालय के समान वेतन भत्ते, वेतन कटौती आदेश को वापस लेने पदोन्नति के शेष 11500 पद जारी करने, मंत्रालयिक कर्मचारियों के लिए निदेशालय का गठन, जिला परिषद, पंचायत समितियों व ग्राम पंचायतों में कार्यरत मंत्रालयिक कर्मचारियों के उच्च पदों का आंवटन, एआरडी लिक खोलने आदि वाजिब मांगों को लेकर साल से संघर्ष कर रहे हैं.

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