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खान आवंटन मामलाः पूर्व आईएएस सिंघवी की जमानत अर्जी पर बहस पूरी

खान आवंटन मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोपी पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी की जमानत अर्जी पर गुरुवार को बहस पूरी हो गई है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अभियोजन पक्ष को अपने समर्थन में दस्तावेज पेश करने को कहा हैं.

Mine allocation case, Former IAS Ashok Singhvi
पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी
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Published : Jun 4, 2020, 7:14 PM IST

जयपुर. ईडी मामलों की विशेष अदालत में गुरुवार को खान आवंटन मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोपी पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी की जमानत अर्जी पर बहस पूरी हो गई है. जमानत अर्जी में कहा गया कि याचिकाकर्ता कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं. वहीं यदि वह जेल में रहा तो उसे कोरोना संक्रमण हो सकता है. इसके अलावा प्रकरण में सह आरोपियों को जमानत पर रिहा किया जा चुका है, इसलिए उसे भी जमानत का लाभ दिया जाए.

पढ़ें- SHO विष्णु दत्त आत्महत्या मामला: CM गहलोत ने CBI जांच के दिए आदेश

इसका विरोध करते हुए विशेष लोक अभियोजक जितेंद्र सिंह पूनिया ने कहा कि आरोपी की ओर से बीमारी को लेकर कोई दस्तावेज पेश नहीं किए गए हैं. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट तय कर चुका है कि कोरोना संक्रमण की आशंका मात्र से किसी को जमानत नहीं दी जा सकती है. वहीं जिन सह आरोपियों को जमानत का लाभ दिया गया है, वे कई दिन जेल में बिता चुके थे. जबकि आरोपी ने गत दिनों ही अदालत में समर्पण किया है. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अभियोजन पक्ष को अपने समर्थन में दस्तावेज पेश करने को कहा हैं.

जयपुर. ईडी मामलों की विशेष अदालत में गुरुवार को खान आवंटन मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोपी पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी की जमानत अर्जी पर बहस पूरी हो गई है. जमानत अर्जी में कहा गया कि याचिकाकर्ता कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं. वहीं यदि वह जेल में रहा तो उसे कोरोना संक्रमण हो सकता है. इसके अलावा प्रकरण में सह आरोपियों को जमानत पर रिहा किया जा चुका है, इसलिए उसे भी जमानत का लाभ दिया जाए.

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इसका विरोध करते हुए विशेष लोक अभियोजक जितेंद्र सिंह पूनिया ने कहा कि आरोपी की ओर से बीमारी को लेकर कोई दस्तावेज पेश नहीं किए गए हैं. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट तय कर चुका है कि कोरोना संक्रमण की आशंका मात्र से किसी को जमानत नहीं दी जा सकती है. वहीं जिन सह आरोपियों को जमानत का लाभ दिया गया है, वे कई दिन जेल में बिता चुके थे. जबकि आरोपी ने गत दिनों ही अदालत में समर्पण किया है. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अभियोजन पक्ष को अपने समर्थन में दस्तावेज पेश करने को कहा हैं.

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