जयपुर. ग्रेटर नगर निगम के तत्कालीन कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव के साथ मारपीट व अभ्रदता मामले की (Mayor Soumya Gurjar held guilty) न्यायिक जांच में ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर व तीन पार्षदों को दोषी माना है. मेयर के साथ ही पार्षदों अजय सिंह चौहान, शंकर शर्मा व पारस जैन को नगर पालिका अधिनियम की धारा 39(1)(d) सहित अन्य प्रावधानों के अनुसार, दुराचरण, कर्तव्यों के पालन में लापरवाही बरतने व अभद्र भाषा के आरोप में दोषी करार दिया है.
यह न्यायिक जांच सीनियर डीजे मुदीता भार्गव ने की है. न्यायिक जांच अधिकारी ने जांच रिपोर्ट को स्वायत्त सचिव के पास भिजवा दिया है. इस मामले में राज्य सरकार ने सौम्या गुर्जर व तीन अन्य पार्षदों के खिलाफ मामले को न्यायिक जांच के लिए भिजवाया था. मामले में राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता विष्णुदयाल शर्मा ने बताया कि सौम्या सहित तीनों पार्षदों के खिलाफ न्यायिक जांच 22 जून 2021 को शुरू हुई थी.
यह जांच करीब 13 महीने चली और इस दौरान 200 पेशियां हुई. इसमें अभियोजन व बचाव पक्ष के 88 गवाहों के बयान दर्ज हुए हैं. बता दें कि नगर निगम ग्रेटर कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव ने ज्योति नगर पुलिस थाने में जून 2021 में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि पार्षदों ने नगर निगम की बैठक के दौरान उनके साथ मारपीट कर अभद्र भाषा का प्रयोग किया. साथ ही राजकार्य में रुकावट पहुंचाई. इसके चलते राज्य सरकार ने मेयर सौम्या को निलंबित कर दिया था. सौम्या के निलंबन मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार को मामले की न्यायिक जांच छह महीने में पूरी करने का निर्देश दिया था.
बता दें कि ये घटना 4 जून 2021 की थी. राज्य सरकार के ऑर्डर को महापौर की ओर से 8 जून 2021 को कोर्ट में चैलेंज किया गया. 28 जून 2021 को डबल बेंच हाईकोर्ट ने सौम्या गुर्जर की याचिका को खारिज किया. जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दिन-ब-दिन न्यायिक जांच की मॉनिटरिंग की और हर 15 दिन में यहां की कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाता था. 2 फरवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने ऑर्डर दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि चूंकि जांच में समय लग रहा है, ऐसी स्थिति में सौम्या गुर्जर को कैप्ट इन एंबिएंस के तहत वापस बहाल किया जाता है.
लेकिन आदेशों में ये स्पष्ट कहा गया था कि जब भी न्यायिक जांच पूरी हो उसकी कॉपी सुप्रीम कोर्ट में पेश की जाए. ऐसे में बुधवार को जांच पूरी होने के बाद सील पैक लिफाफे में एलएसजी सेक्रेटरी को भेजी गई है. एलएसजी सेक्रेटरी इसे पढ़कर आदेशों के लिए राज्य सरकार को भेजेंगे. इस पर राज्य सरकार अंतिम फैसला लेकर महापौर को पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू करेगा. ऐसे में अब सौम्या गुर्जर का ग्रेटर नगर निगम के महापौर पद से हटना तय है, बशर्ते वो हाईकोर्ट से कोई स्टे ऑर्डर न लाए.
एडवोकेट विष्णु दयाल शर्मा ने बताया कि हालांकि इसकी संभावनाएं न के बराबर है क्योंकि न्यायिक जांच को प्यूरिफाई जजमेंट कहा जाता है. कारण साफ है इस केस की ट्रायल डेढ़ साल तक चली है, और एक-एक गवाह और डॉक्यूमेंट का एग्जामिनेशन होने के बाद कोर्ट ने डिटेल ऑर्डर जारी किया है. इसके साथ ही पहले से निलंबित चल रहे तीनों पार्षदों पर भी आरोप सिद्ध हुए हैं.