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विवाहित पुत्री अनुकंपा नियुक्ति की हकदार नहीं : राजस्थान हाईकोर्ट - न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट

विवाहित पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति देने को लेकर दायर एक याचिका को राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट और न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह की खंडपीठ ने खारिज कर दिया.

विवाहित पुत्री अनुकंपा नियुक्ति की हक़दार नहीं, Rajasthan High court news
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Published : Sep 10, 2019, 11:34 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने विवाहित पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति पाने का हकदार मानने से इनकार कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश एस रविंद्र भट्ट और न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश क्षमा देवी और राजवती की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए दिए.

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अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अनुकंपा नियुक्ति तो एक अधिकार के तौर पर नहीं लिया जा सकता. इस तरह की नियुक्ति के लिए कोई स्कीम नहीं है. ऐसे में इसका लाभ नहीं दिया जा सकता.

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याचिका में कहा गया था कि उनके पिता की पुलिस विभाग में सेवा के दौरान मौत हो गई थी. इसके बावजूद विभाग ने याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति देने से इनकार कर दिया. याचिका में कहा गया कि विवाहित बेटी को अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र नहीं मानना संविधान के अनुच्छेद 15 के विपरीत है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने विवाहित पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति पाने का हकदार मानने से इनकार कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश एस रविंद्र भट्ट और न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश क्षमा देवी और राजवती की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए दिए.

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अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अनुकंपा नियुक्ति तो एक अधिकार के तौर पर नहीं लिया जा सकता. इस तरह की नियुक्ति के लिए कोई स्कीम नहीं है. ऐसे में इसका लाभ नहीं दिया जा सकता.

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याचिका में कहा गया था कि उनके पिता की पुलिस विभाग में सेवा के दौरान मौत हो गई थी. इसके बावजूद विभाग ने याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति देने से इनकार कर दिया. याचिका में कहा गया कि विवाहित बेटी को अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र नहीं मानना संविधान के अनुच्छेद 15 के विपरीत है.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने विवाहित पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति पाने का हकदार मानने से इंकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश एस रविंद्र भट्ट और न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश क्षमा देवी और राजवती की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए दिए। Body:अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अनुकंपा नियुक्ति तो एक अधिकार के तौर पर नहीं लिया जा सकता। इस तरह की नियुक्ति के लिए कोई स्कीम नहीं है। ऐसे में इसका लाभ नहीं दिया जा सकता।
याचिका में कहा गया था कि उनके पिता की पुलिस विभाग में सेवा के दौरान मौत हो गई थी। इसके बावजूद विभाग ने याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति देने से इनकार कर दिया। याचिका में कहा गया कि विवाहित बेटी को अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र नहीं मानना संविधान के अनुच्छेद 15 के विपरीत है।


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