जयपुर. प्रदेश की 3 सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा बुरी तरह से हार गई. जिसके बाद इस हार के कारणों का चिंतन भी शुरू हो गया है. जहां इस बार पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की उपचुनाव से दूरी और कटारिया का महाराणा प्रताप को लेकर विवादित बयान तक सुर्खियों में रहा. ऐसे में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भाजपा की रणनीति में क्या-क्या खामी रही, इसपर खुलकर ईटीवी भारत से बातचीत की.
सहाड़ा सीट पर लादूराम फैक्टर ने पहुंचाया नुकसान
मौजूदा उपचुनाव में भाजपा की सबसे बुरी हार सहाड़ा विधानसभा सीट पर हुई है. यहां भाजपा को 42,200 मतों से हार का मुंह देखना पड़ा. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान जब नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया से यहां हार के कारणों को लेकर सवाल किया, तो कटारिया ने लादूलाल पिपलिया प्रकरण को भी इसका एक बड़ा कारण बताया. कटारिया के अनुसार लादू लाल पितलिया प्रकरण में जो कुछ हुआ, उससे स्थानीय कार्यकर्ता भी नाराज थे और उपचुनाव में इसका भी असर हुआ. वहीं कांग्रेस के दिवंगत नेता कैलाश त्रिवेदी के प्रति स्थानीय लोगों की सहानुभूति बीच में कांग्रेस की जीत का बड़ा कारक गुलाबचंद कटारिया मानते हैं.
सुजानगढ़ में आरएलपी प्रत्याशी ने काटे वोट, दिवंगत विधायक के प्रति सहानुभूति बनी हार का कारण
सुजानगढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी को 35 हजार से अधिक मतों से हार का मुंह देखना पड़ा. ईटीवी भारत से खास बातचीत में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया यहां भाजपा की हार का एक बड़ा कारण आरएलपी की ओर से नायक समाज से आने वाले प्रत्याशी को चुनाव में उतारा जाना बता रहे हैं. कटारिया के अनुसार इस क्षेत्र में नायक समाज के काफी वोट है और आरएलपी ने इसी समाज से अपना प्रत्याशी बनाया और समाज में एकजुटता के साथ अपनी ताकत भी दिखाई. वहीं कांग्रेस के दिवंगत विधायक के प्रति जनता की सहानुभूति उनके पुत्र और कांग्रेस प्रत्याशी मनोज मेघवाल को मिली जिसके कारण भाजपा की हार हुई.
राजसमंद में भाजपा के जीत के अंतर कम रहने का यह कारण गिनाया
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान जब कटारिया से पूछा गया कि राजसमंद सीट पर बीजेपी जीती, लेकिन महज 5000 के करीब मतों से यह अंतर बहुत कम है, तब कटारिया ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता यहां जी जान से काम में जुटे, तमाम सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के बावजूद बीजेपी प्रत्याशी दीप्ति माहेश्वरी ने जीत हासिल की. कटारिया के अनुसार अंतर भले ही कम रहा, उसका एक कारण यह भी था कि दीप्ति माहेश्वरी राजनीति में बिल्कुल नई थी और वो उदयपुर से आती है, जबकि कांग्रेस का प्रत्याशी राजसमंद का लोकल था, इसलिए जीत के अंतर में थोड़ा फर्क इस कारण भी पड़ा. वहीं कटारिया कहते हैं कि इस सीट पर कांग्रेस ने जमकर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया और इसी राजसमंद विधानसभा क्षेत्र में 25,000 मनरेगा मजदूर लगा दिए, जबकि राजसमंद क्षेत्र के अन्य विधानसभाओं में यह मनरेगा मजदूर नहीं लगाए गए.
महाराणा प्रताप के नाम पर दुकान चलाने वालों को मिल गया उपचुनाव में जवाब
ईटीवी भारत से खास बातचीत में जब गुलाबचंद कटारिया से उपचुनाव के दौरान दिए गए उनके महाराणा प्रताप से जुड़े विवादित बयान का मौजूदा चुनाव पर असर को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि जो संबोधन उन्होंने दिया था वह यदि ठीक प्रकार से किसी ने सुना होगा, तो उसे भी पता चल जाएगा कि मेरे मन में महाराणा प्रताप के प्रति पूरा आदर और सम्मान है. हालांकि मैंने उनकी महागाथा और यशोगान में 1-2 गलत शब्दों का प्रयोग किया, लेकिन मैंने माफी मांग ली.
कटारिया ने कहा मेरे मन की बोटी-बोटी भी कोई काटेगा, तो उसमें भी महाराणा प्रताप ही निकलेगा, लेकिन जो लोग वर्षों से मुझ से बहुत दुखी महसूस करते थे. उन्होंने इस मौके को भुनाने का प्रयास किया, उन्होंने पूरा जोर लगा दिया लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया. यह इस बात को साबित करता है कि मैंने महाराणा प्रताप का अपमान नहीं किया था, हां कुछेक लोग महाराणा प्रताप के नाम पर अपनी दुकान चलाने का काम कर रहे थे, उनको जनता ने सही सबक दे दिया.
उपचुनाव से वसुंधरा राजे की दूरी नहीं रहा हार का कारण
वहीं इस पूरे उपचुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने दूरी बनाए रखी, सियासत के गलियारों में चर्चा यह भी है कि बीजेपी का जो परिणाम रहा, उसका एक बड़ा कारण वसुंधरा राजे की दूरी भी था. जहां नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया इससे इनकार करते हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कटारिया से जब यह सवाल पूछा गया तो उन्होंने इससे इनकार किया और यह भी कहा कि वसुंधरा राजे की बहू बीमार थी और कोरोना संक्रमण भी एक बड़ा कारण था, इसके चलते वह उपचुनाव में शामिल नहीं हो पाए. हालांकि कटारिया कहते हैं कि पार्टी के आदेश पर वसुंधरा जी भी और अन्य नेता भी काम करते ही हैं.