जयपुर. राजस्थान विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में पहली बार वरिष्ठ विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल बोले तो प्रदेश सरकार और राजस्थान के ब्यूरोक्रेट्स पर जमकर बरसे. राजस्थान वित्त व विनियोग विधेयक पर बोलते हुए मेघवाल ने जहां प्रदेश सरकार और ब्यूरोक्रेट को सुस्त करार दिया. मेघवाल ने कहा कि टैक्स फ्री वाला बजट छोड़ो बल्कि टैक्स वाला बजट लेकर आओ ताकि राजस्थान में विकास हो सके.
गहलोत और वसुंधरा को धन्यवाद देकर की शुरुआत
कैलाश मेघवाल ने अपने संबोधन की शुरुआत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को धन्यवाद देकर की और यह भी कहा कि मैं जब कोरोना की चपेट में आकर 12 दिन तक जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहा था तब SMS अस्पताल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लगातार मेरे स्वास्थ्य पर निगरानी रखी और मुझसे बात भी की. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का भी मेघवाल ने धन्यवाद दिया कि उन्होंने भी इस विकट समय मेरी सुध ली. मेघवाल ने अस्पताल के डॉ. सुधीर भंडारी और स्पीकर सीपी जोशी को भी इस मामले में धन्यवाद दिया. इस दौरान मेघवाल ने संविधान की प्रस्तावना पुस्तकों में शामिल कराने के लिए शिक्षा मंत्री को भी धन्यवाद दिया.
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नौकरशाहों पर बरसे मेघवाल
अपने संबोधन के दौरान कैलाश मेघवाल ने संविधान की प्रस्तावना में शामिल विषयों पर विस्तार से चर्चा की और उसकी मौजूदा परिदृश्य में तुलना भी की. मेघवाल के निशाने पर ब्यूरोक्रेट्स भी रहे. कैलाश मेघवाल ने कहा की ब्यूरोक्रेट्स के वेतन भी आर्थिक के अनुसार ही होना चाहिए, वर्तमान में अधिकारी ही एक दूसरे का हित सोच कर अपना वेतन का निर्धारण कर लेते हैं, लेकिन यह ठीक नहीं है, क्योंकि आज अधिकारियों में प्रतिबद्धता की कमी है. ब्यूरोक्रेट्स को लगता है अपन तो मत करो यह जाएंगे तो कोई और आएगा. कैलाश मेघवाल ने कहा कि यह बदलना चाहिए, क्योंकि ब्यूरोक्रेट्स अगर सुस्त है तो जनता कैसे सही हो सकती है, इसलिए अधिकारी और सरकार को चुस्त होना चाहिए.
राजनीतिक न्याय अधूरा, मुख्यमंत्री और राज्यपाल के अभिभाषण में भाईचारा और बंधुत्व गायबः मेघवाल
कैलाश मेघवाल ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि आज राजनीतिक न्याय अधूरा है, अनुसूचित जाति, जनजाति के इतने जनप्रतिनिधि आरक्षण के कारण सदन में आ गए तो लोगों को लगता है कि देश आगे बढ़ रहा है, लेकिन ऐसे देश आगे नहीं बढ़ेगा, जब तक इन समाजों में जागृति नहीं आएगी. इस दौरान मेघवाल ने सदन में पिछले दिनों अलग राज्य की और अलग धार्मिक कोर्ट की डिमांड करने वाले विधायकों पर भी निशाना साधा और कहा कि इस तरह देश का विकास नहीं हो सकता. मेघवाल ने कहा कि मैंने राज्यपाल का अभिभाषण भी सुना और सीएम का भाषण भी, लेकिन इन दोनों में ही कहीं पर भी भाईचारा और बंधुत्व के लिए कोई जगह नहीं है. आज देश में और राज्य में भाईचारा और बंधुत्व की क्या स्थिति है सबको पता है. मेघवाल ने कहा कि दक्षिण राजस्थान में अब नई आवाज उठ रही है जो नहीं होना चाहिए क्योंकि यह पूरा देश एक है.
टैक्स फ्री नहीं, टैक्स वाला बजट लाओः मेघवाल
कैलाश मेघवाल ने यह भी कहा कि टैक्स फ्री नहीं, बल्कि टैक्स वाला बजट लेकर आओ, क्योंकि आज जितने भी विधायकों ने सवाल लगाए उनमें से अधिकतर के जवाब में यह वाला दिया गया है कि वित्तीय स्थिति के आधार पर काम होंगे मतलब प्रदेश में आर्थिक स्थिति सही नहीं है. ऐसे में अगर हम प्रदेश का विकास चाहते हैं तो टैक्स फ्री वाला बजट छोड़ें और टैक्स लगाकर ही बजट लेकर आएं. मेघवाल ने कहा कि वित्तीय स्थिति अगर खराब होगी तो विकास नहीं हो पाएगा, इसलिए विकास के लिए टैक्स वाला बजट बहुत जरूरी है. मेघवाल ने यह भी कहा कि पिछले जो बजट आए वह भी शत-प्रतिशत खर्च नहीं कर पाए. ऐसे में मौजूदा बजट पूरी तरह खर्च हो जाएगा, इसकी क्या गारंटी है. मेघवाल ने कहा कि यह विधानसभा का अपमान है, क्योंकि जो बजट विधानसभा से पास होकर जाता है सरकार उसे पूरा भी खर्च नहीं कर पाती.
नहीं मिल रहा सामाजिक न्यायः मेघवाल
कैलाश मेघवाल ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि हम सामाजिक न्याय की बात करते हैं, लेकिन आज सभी तक सामाजिक न्याय नहीं पहुंच रहा. आज भी देश की आजादी के इतने सालों बाद अगर मंदिर में जाने से किसी को रोका जाता है या कुएं से पानी लेने के लिए रोका जाता है तो यह मान के चलिए कि हम देश की आजादी के इतने साल बाद भी देश में सामाजिक न्याय देने में असफल रहे हैं.
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मुख्यमंत्री ने भी सदन की गरिमा कम कीः मेघवाल
अपने संबोधन के शुरुआत में जहां मेघवाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तारीफ की तो वहीं कुछ मामलों में उन पर कटाक्ष भी किया. मेघवाल ने कहा कि सदन की गरिमा कम करने का काम मुख्यमंत्री ने भी किया है, क्योंकि उनकी शत-प्रतिशत सदन उपस्थिति नहीं रहती. मेघवाल ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री की सदन में उपस्थिति रहती है, तो सदन की गरिमा भी बढ़ती है.