जयपुर. लोकसभा में कृषि से जुड़े संशोधन विधेयकों को लेकर प्रदेश में सियासत गर्म हो गई है. पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा ने इस मामले में भाजपा और केंद्र की मोदी सरकार पर आरोपों की झड़ी लगा दी. इस पर पलटवार करते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने डोटासरा से आग्रह किया कि पहले वे कृपा करके विधेयक को पढ़ें और फिर समझने के बाद ही कोई आलोचना करें.
गुलाबचंद कटारिया ने एक बयान जारी कर यह भी कहा कि एक संशोधन तो 1955 में बने कानून में किया गया था लेकिन तब और आज की स्थितियों में बहुत अंतर है. क्योंकि तब वस्तुओं की सीमित संख्या थी लेकिन अब ऐसा नहीं है, यही कारण है कि वस्तुओं की मात्राओं की सीमा को समाप्त कर दिया गया. लेकिन इमरजेंसी के दौरान उसे लागू किया जा सकता है.
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इसी तरह कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर जो गलतफहमी कांग्रेस नेताओं की ओर से फैलाई जा रही है, उसके बारे में भी कांग्रेस नेताओं को पूरा ज्ञान ले लेना चाहिए. कांट्रेक्ट फार्मिंग में जमीन पर किसी का कोई अधिकार नहीं होगा, केवल उसमें उत्पन्न होने वाले माल के बारे में ही संशोधन है. उसमें भी किसान को जो मिनिमम प्राइस पर नुकसान होगा तो उसका भार भी किसान पर नहीं आएगा.
कटारिया ने कहा कि तीसरे संशोधन के तहत किसान को उसकी उपज कहीं पर भी, किसी भी समय बेचने का अधिकार देने से जुड़ा है जिससे उसको अपने उत्पाद को बेचने के लिए बड़ा क्षेत्र मिल पाएगा.