जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में ऑनलाइन शिक्षा के चलते आ रही कठिनाइयों और प्री प्राइमरी कक्षाओं को फीस नियामक कानून के तहत नहीं लाने के मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने इस याचिका को फीस वसूली के संबंध में राज्य सरकार व अन्य की ओर से दायर अपीलों के साथ 30 सितंबर को सूचीबद्ध करने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश शशांक अग्रवाल व अन्य की जनहित याचिका पर दिए.
याचिका में कहा गया कि प्री प्राइमरी कक्षाओं को फीस नियामक कानून के अधीन नहीं लाया गया है. इसके चलते स्कूल संचालक अपने स्तर पर ही इन कक्षाओं की फीस निर्धारित करते हैं. वहीं ऑनलाइन कक्षाओं, सिलेबस और स्टडी मैटेरियल आदि की समस्याओं को दूर करने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाना चाहिए. इसके अलावा कई विद्यार्थी आरटीई के तहत नामी स्कूलों में पढ़ते हैं, लेकिन इन विद्यार्थियों के पास दूसरों के समान संसाधन नहीं है. इसके चलते इन्हें ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ नहीं मिल रहा है.
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याचिका में कहा गया है कि बजट स्कूलों और उसमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों के पास ऑनलाइन पढ़ाई के साधन नहीं होते हैं. ऐसे में इन्हें सरकारी अनुदान भी दिया जाना चाहिए. याचिका में लॉकडाउन के दौरान स्कूल से हटाए गए स्टाफ और मौजूदा कर्मचारियों को पूरा वेतन नहीं देने का मुद्दा भी उठाया गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए याचिका को स्कूल फीस के संबंध में लंबित अपील के साथ सूचीबद्ध करने को कहा है.