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कोर्ट सुनवाई : दहेज प्रताड़ना के आरोपी एसआई पति, ससुर और ननदों को सजा - dowry harassment

कोर्ट ने कहा- प्रकरण बीस साल से लंबित है, लेकिन अभियुक्तों की ओर से आज तक राजीनामे का प्रयास नहीं किया. प्रकरण दहेज के लिए क्रूरता का है. ऐसे में सिर्फ महिला होने के कारण अभियुक्त महिलाओं को राहत नहीं दी जा सकती.

दहेज प्रताड़ना के आरोपी एसआई पति को सजा
दहेज प्रताड़ना के आरोपी एसआई पति को सजा
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Published : Sep 13, 2021, 8:52 PM IST

जयपुर. अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-9 महानगर प्रथम ने दहेज प्रताड़ना के 20 साल पुराने मामले में अभियुक्त तत्कालीन पुलिस उप निरीक्षक अशोक सांवरिया, ससुर घासीराम और ननद रामपति, मंजू, बदाम, मीरा और कृष्णा को 3-3 साल की सजा सुनाई है.

अदालत ने प्रत्येक अभियुक्त पर दो-दो हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. अदालत ने कहा कि पीड़िता ने लंबे समय तक पीड़ा भोगी है. इसलिए अभियुक्त उसे पचास हजार रुपए प्रतिकर राशि के रूप में अदा करें.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रकरण बीस साल से लंबित है, लेकिन अभियुक्तों की ओर से आज तक राजीनामे का प्रयास नहीं किया. प्रकरण दहेज के लिए क्रूरता का है. ऐसे में सिर्फ महिला होने के कारण अभियुक्त महिलाओं को राहत नहीं दी जा सकती. यदि ऐसा किया गया तो दहेज के मुकदमों की संख्या बढ़ने से इनकार नहीं किया जा सकता.

पढ़ें- महिला आयोग में खाली पद : उच्च न्यायालय ने सरकार से मांगा जवाब, उत्थान संस्थान की जनहित याचिका पर सुनवाई

मामले के अनुसार परिवादी सोहनलाल ने वर्ष 2001 में गांधीनगर पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी बेटी रेखा की शादी 3 मार्च 1999 को चाकसू निवासी अशोक सांवरिया के साथ हुई थी. शादी के समय वह बेरोजगार था, लेकिन एक महीने बाद ही उसकी नौकरी पुलिस में एसआई पद पर लग गई. इसके बाद से ही अभियुक्त उसकी बेटी को दहेज के लिए प्रताड़ित करने लगा.

इस दौरान अभियुक्तों ने उसे घर से निकाल दिया और 26 मई 2000 को उसे पीहर भेज दिया. पीहर में ही उसने 14 जुलाई 2000 को एक बेटी को जन्म दिया, लेकिन बेटी के जन्म के बाद भी पति सहित अन्य ससुरालवालों ने उनकी कोई सुध नहीं ली और उसे मानसिक व शारीरिक तौर पर प्रताड़ित किया.

जयपुर. अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-9 महानगर प्रथम ने दहेज प्रताड़ना के 20 साल पुराने मामले में अभियुक्त तत्कालीन पुलिस उप निरीक्षक अशोक सांवरिया, ससुर घासीराम और ननद रामपति, मंजू, बदाम, मीरा और कृष्णा को 3-3 साल की सजा सुनाई है.

अदालत ने प्रत्येक अभियुक्त पर दो-दो हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. अदालत ने कहा कि पीड़िता ने लंबे समय तक पीड़ा भोगी है. इसलिए अभियुक्त उसे पचास हजार रुपए प्रतिकर राशि के रूप में अदा करें.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रकरण बीस साल से लंबित है, लेकिन अभियुक्तों की ओर से आज तक राजीनामे का प्रयास नहीं किया. प्रकरण दहेज के लिए क्रूरता का है. ऐसे में सिर्फ महिला होने के कारण अभियुक्त महिलाओं को राहत नहीं दी जा सकती. यदि ऐसा किया गया तो दहेज के मुकदमों की संख्या बढ़ने से इनकार नहीं किया जा सकता.

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मामले के अनुसार परिवादी सोहनलाल ने वर्ष 2001 में गांधीनगर पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी बेटी रेखा की शादी 3 मार्च 1999 को चाकसू निवासी अशोक सांवरिया के साथ हुई थी. शादी के समय वह बेरोजगार था, लेकिन एक महीने बाद ही उसकी नौकरी पुलिस में एसआई पद पर लग गई. इसके बाद से ही अभियुक्त उसकी बेटी को दहेज के लिए प्रताड़ित करने लगा.

इस दौरान अभियुक्तों ने उसे घर से निकाल दिया और 26 मई 2000 को उसे पीहर भेज दिया. पीहर में ही उसने 14 जुलाई 2000 को एक बेटी को जन्म दिया, लेकिन बेटी के जन्म के बाद भी पति सहित अन्य ससुरालवालों ने उनकी कोई सुध नहीं ली और उसे मानसिक व शारीरिक तौर पर प्रताड़ित किया.

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