जयपुर. जिला कलेक्ट्रेट में सोमवार को हुई समीक्षा बैठक में मिट्टी के कट्टों का मुद्दा छाया रहा. नगर निगम का दावा है कि जयपुर शहर में हुई बारिश के दौरान ढाई लाख मिट्टी के कट्टों का उपयोग किया गया. इस पर जिला कलेक्टर ने निगम अधिकारियों से ढाई लाख कट्टों की पूरी जानकारी मांगी है. उन्होंने कहा कि ढाई लाख कट्टों का उपयोग कहां-कहां और किस तरह किया गया, इसकी पूरी जानकारी जिला प्रशासन को दी जाए.
जिला प्रशासन के कंट्रोल रूम में इस तरह की शिकायतें भी आई थी कि लोगों के पास जो मिट्टी के कट्टे पहुंच रहे हैं, उनमें गड़बड़ी की जा रही है. कट्टों में मिट्टी के बजाय मलबा भेजा जा रहा है. जिला प्रशासन का कहना है कि जहां मिट्टी के कट्टे पहुंचने चाहिए थे, वहां पहुंचे ही नहीं. यही मामला जिला कलेक्टर ने बैठक में उठाया था.
जयपुर शहर में हुई तेज बारिश के बाद मिट्टी के कट्टों की डिमांड भी बढ़ गई. ऐसे में ठेकेदारों ने मिट्टी के कट्टों में घपला करना शुरू कर दिया. कट्टों में मलबा भरकर भेजा जा रहा है, कट्टों में आधी मिट्टी भरी जा रही है. सोमवार को समीक्षा बैठक में नगर निगम के अधिकारियों ने जिला कलेक्टर को बताया कि जयपुर शहर में भारी बारिश के चलते ढाई लाख कट्टे लोगों की सहायता के लिए भेजे गए हैं. जिला कलेक्टर ने बैठक में कहा कि आम जनता की सहायता के लिए कट्टे भेज रहे हैं, तो लोगों तक यह कट्टे पहुंचे क्यों नहीं रहे.
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कलेक्टर अंतर सिंह ने कहा कि निगम अधिकारियों से वर्तमान में कट्टों की स्थिति भी मांगी गई है, ताकि अगर जयपुर में भारी बारिश हो तो इसका उपयोग किया जा सके. जिला कलेक्टर ने कहा कि कट्टों में मिट्टी की बजाए मलबा भरने की शिकायत अभी तक मेरे पास नहीं आई है.
इसके लिए नगर निगम सीईओ को कहा गया है कि कट्टों में पर्याप्त मिट्टी भरी जाए, उसमें मलबा नहीं हो. वहीं, कार्रवाई को लेकर उन्होंने कहा कि इस संबंध में कार्रवाई नगर निगम को ही करनी है, क्योंकि निगम ही उसका भुगतान करता है. हम इसकी सूचना नगर निगम को दे देंगे और वे ही जांच कर कार्रवाई करेंगे.