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स्पेशल स्टोरी : पेंट व ब्रश से ही लिख दी 3 हजार पन्नों में सम्पूर्ण रामचरित मानस, अयोध्या में राम मंदिर बनने पर करेंगे भेंट - 150 किलो की रामचरित मानस

जयपुर के एक आर्टिस्ट ने आध्यातम की दुनिया में एक नई इबारत लिख दी है. अपनी 6 साल की अथक मेहनत से इस आर्टिस्ट ने रामचरित मानस को केवल ऑइल पेंट व ब्रश से 3 हजार पन्नों में संजोया है.

150 किलो की रामचरित मानस, sharad mathur ramcharit manas
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Published : Sep 25, 2019, 9:53 PM IST

Updated : Sep 26, 2019, 12:19 PM IST

जयपुर. राजधानी के सांगानेर निवासी शरद माथुर को जब रामचरित मानस को पढ़ने में बड़ी दिक्कत आई तो उन्होंने पेंट व ब्रश से बड़े शब्दों में पूरी रामचरित मानस लिख दी. छः साल में 3 हजार ए-3 साइज के पन्नों पर 1.5 इंच के बड़े-बड़े अक्षरों में मानस के सभी काण्ड व चौपाईयों को माथुर ने बड़ी खूबसूरती से लिख दिया. महाकाव्य के हर काण्ड को उन्होंने 21 खण्डो में तैयार किया है जिसका कुल वजन करीब 150 किलो है.

150 किलो की रामचरित मानस, sharad mathur ramcharit manas
घर में सुरक्षित जगह रखे रामचरित मानस के 21 खण्ड

संगीत की शिक्षा देने वाले शरद ने बताया कि वे अपने साथियों के साथ रामचरित मानस और सुंदरकांड का पाठ करते हैं. चश्मा लगा होने के कारण उन्हें पुस्तकों के अक्षर छोटे और धुंधले दिखाई देते थे. ऐसे में सबसे पहले उन्होंने सुंदरकाण्ड को बड़े अक्षरों में लिखना शुरू किया. जिसके बाद उनमें आत्मविश्वास बढ़ गया. और फिर उन्होंने पूरी रामचरितमानस को लिखने की ठानी.

अयोध्या मंदिर में करेंगे भेंट!
शरद माथुर बताते है कि उन्होंने इसकी शुरुआत तब तब की थी जब साल 2014 में नरेन्द्र मोदी पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने थे. तब अयोध्या राम मंदिर के निर्माण की आस जगी थी. ऐसे में उन्होंने पेंट और ब्रश से रामचरित मानस की चौपाइयों को लिखना शुरू किया और लिखते चले गए. शरद को विश्वास है कि अयोध्या में राम मंदिर बनेगा और वे अपनी इस अनूठी कृति को वहां भेंट करेंगे.

जयपुर के कलाकार शरद माथुर ने बनाई अनूठी रामचरित मानस

पढ़ेंः सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अब नहीं दिखेंगे प्लास्टिक के झंडे, गृह मंत्रालय ने राज्यों को लिखी चिट्ठी

शरद को शुरूआती दौर में ये सब करना असंभव लगा लेकिन उनकी धर्मपत्नी पूनम और दोनों बेटों ने उनके इस कार्य में हाथ बंटाया. शरद खुद चौपइयों को ब्रश से लिखते तो बाकी लोग पन्ने पर बॉर्डर बनाने और लेमिनेशन का काम करते. जैसे-जैसे ये महाकाव्य रूप लेने लगा तो शरद के मित्र व अन्य लोग भी इस पुनित कार्य के लिए आगे आने लगे.

सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल...
खास बात यह है कि इस रामचरितमानस की रचना में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल भी छुपी है. क्योंकि मानस के बड़े पन्नों को बांधने का काम लेने को कोई भी तैयार नहीं था. इसके लिए वे अच्छा पैसा देने को भी तैयार थे लेकिन अंत में एक मुस्लिम कारिगार ने ही मानस को बांधने का काम किया. इतना ही नहीं बाइंडिंग करने वाले शख्स मुबारक खान ने इसका मेहनताना भी महज 350 रुपए ही लिया.

150 किलो की रामचरित मानस, sharad mathur ramcharit manas
ए-3 साइज के पन्नों पर ब्रश से लिखी गई रामचरित मानस की चौपाइयां

पढ़ेंः PM मोदी ने अमेरिकी कंपनियों को भारत में निवेश का न्योता दिया

शरद माथुर ने जो कर दिखाया वो वाकई काबिले तारीफ है. जिसे लोग नामुमकिन बता रहे थे शरद ने उसे मुमकिन कर दिखाया. माथुर पर इस अनूठी कृती के लिए ये लाइने बिलकुल स्टीक बैठती हैं. कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों

जयपुर. राजधानी के सांगानेर निवासी शरद माथुर को जब रामचरित मानस को पढ़ने में बड़ी दिक्कत आई तो उन्होंने पेंट व ब्रश से बड़े शब्दों में पूरी रामचरित मानस लिख दी. छः साल में 3 हजार ए-3 साइज के पन्नों पर 1.5 इंच के बड़े-बड़े अक्षरों में मानस के सभी काण्ड व चौपाईयों को माथुर ने बड़ी खूबसूरती से लिख दिया. महाकाव्य के हर काण्ड को उन्होंने 21 खण्डो में तैयार किया है जिसका कुल वजन करीब 150 किलो है.

150 किलो की रामचरित मानस, sharad mathur ramcharit manas
घर में सुरक्षित जगह रखे रामचरित मानस के 21 खण्ड

संगीत की शिक्षा देने वाले शरद ने बताया कि वे अपने साथियों के साथ रामचरित मानस और सुंदरकांड का पाठ करते हैं. चश्मा लगा होने के कारण उन्हें पुस्तकों के अक्षर छोटे और धुंधले दिखाई देते थे. ऐसे में सबसे पहले उन्होंने सुंदरकाण्ड को बड़े अक्षरों में लिखना शुरू किया. जिसके बाद उनमें आत्मविश्वास बढ़ गया. और फिर उन्होंने पूरी रामचरितमानस को लिखने की ठानी.

अयोध्या मंदिर में करेंगे भेंट!
शरद माथुर बताते है कि उन्होंने इसकी शुरुआत तब तब की थी जब साल 2014 में नरेन्द्र मोदी पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने थे. तब अयोध्या राम मंदिर के निर्माण की आस जगी थी. ऐसे में उन्होंने पेंट और ब्रश से रामचरित मानस की चौपाइयों को लिखना शुरू किया और लिखते चले गए. शरद को विश्वास है कि अयोध्या में राम मंदिर बनेगा और वे अपनी इस अनूठी कृति को वहां भेंट करेंगे.

जयपुर के कलाकार शरद माथुर ने बनाई अनूठी रामचरित मानस

पढ़ेंः सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अब नहीं दिखेंगे प्लास्टिक के झंडे, गृह मंत्रालय ने राज्यों को लिखी चिट्ठी

शरद को शुरूआती दौर में ये सब करना असंभव लगा लेकिन उनकी धर्मपत्नी पूनम और दोनों बेटों ने उनके इस कार्य में हाथ बंटाया. शरद खुद चौपइयों को ब्रश से लिखते तो बाकी लोग पन्ने पर बॉर्डर बनाने और लेमिनेशन का काम करते. जैसे-जैसे ये महाकाव्य रूप लेने लगा तो शरद के मित्र व अन्य लोग भी इस पुनित कार्य के लिए आगे आने लगे.

सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल...
खास बात यह है कि इस रामचरितमानस की रचना में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल भी छुपी है. क्योंकि मानस के बड़े पन्नों को बांधने का काम लेने को कोई भी तैयार नहीं था. इसके लिए वे अच्छा पैसा देने को भी तैयार थे लेकिन अंत में एक मुस्लिम कारिगार ने ही मानस को बांधने का काम किया. इतना ही नहीं बाइंडिंग करने वाले शख्स मुबारक खान ने इसका मेहनताना भी महज 350 रुपए ही लिया.

150 किलो की रामचरित मानस, sharad mathur ramcharit manas
ए-3 साइज के पन्नों पर ब्रश से लिखी गई रामचरित मानस की चौपाइयां

पढ़ेंः PM मोदी ने अमेरिकी कंपनियों को भारत में निवेश का न्योता दिया

शरद माथुर ने जो कर दिखाया वो वाकई काबिले तारीफ है. जिसे लोग नामुमकिन बता रहे थे शरद ने उसे मुमकिन कर दिखाया. माथुर पर इस अनूठी कृती के लिए ये लाइने बिलकुल स्टीक बैठती हैं. कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों

Intro:पेंट व ब्रश से ही लिख दी सम्पूर्ण रामचरित मानस, 6 वर्ष में 3 हजार पन्नों पर लिख दिया महाकाव्य

एंकर:- रामचरित मानस को पढ़ने में दिक्कत हुई तो उसका ऐसा फार्मूला निकाला कि वो आज सबकी जुबान पर आगया , जयपुर के सांगानेर निवासी शरद माथुर को रामचरित मानस के छोटे शब्दों में होने के चलते पढ़ने में बड़ी दिक्कत आई तो शारद माथुर ने पेंट व ब्रश से बड़े शब्दों में पूरी रामचरित मानस लिख दी। छः साल में करीब 3 हजार ए-3 साइज के पन्नों पर बड़े-बड़े अक्षरों में सभी काण्ड व चौपाईयों को लिखा है।
VO:1:- इनसे मिलिए यह है जयपुर के सांगानेर में रहने वाले शारद माथुर , शारद माथुर ने छः साल में कड़ी मेहनत से करीब 3 हजार ए-3 साइज के पन्नों पर बड़े-बड़े अक्षरों में सभी काण्ड व चौपाईयों को लिखा है , महाकाव्य के हर काण्ड को अलग-अलग तैयार किया है, जिनका कुल वजन करीब 15० किलो है। शरद ने पहले सुंदरकाण्ड को बड़े अक्षरों में लिखना चाहा, लेकिन जब इसकी शुरुआत की तो उन्हें लगा कि ये पूरी हो भी पाएगी या नहीं। जैसे ही सुंदरकाण्ड पूरा हुआ तो उनमें आत्मविश्वास और बढ़ गया और उन्होंने पूरी रामयण को ही लिखने की ठान ली। इस दौरान कई बार आर्थिक संकट ने उनके हाथों को रोकना चाहा, लेकिन भगवान श्रीराम की लगन और उनके मजबूत इरादों से सपना पूरा हो गया।
बाइट:- शरद माथुर - रचनाकार
VO:2:- दरअसल शरद माथुर कॉलोनी के साथियों के साथ रामचरित मानस पढ़ा करते लेकिन रामचरित मानस के छोटे छोटे शब्दों में होने के चलते पढ़ने में बड़ी दिक्कत आई , इस समस्या को देखते हुए शरद ने रामचरित मानस को पेंट ओर ब्रश से लिखना शुरू किया तो लिखते चले गए , हालांकि इससे पहले उन्होंने अलग तरीके से भी लिखने की कोशिश की लेकिन सफल नही हो आये थे ,

बाइट:- शरद माथुर - रचनाकार
VO:3:- शरद ने अपने सपने को पूरा करने की शुरुआत की तो पहले सभी को ये असंभव लग रहा था। लेकिन शरद की धर्मपत्नी पूनम माथुर और पुत्र शुभम और साहिल ने उनके इस कार्य में उनका हाथ बंटाया। इन्होंने हर पन्ने पर बॉर्डर बनाने और लेमिनेशन का जिम्मा लिया। जैसे जैसे ये महाकाव्य रूप लेने लगा तो शरद के मित्र व अन्य लोग भी इस पुनित कार्य के लिए आगे आने लगे।
बाइट:- शरद माथुर - रचनाकार
बाइट:- पूनम माथुर - रचनाकार की पत्नी
VO:4:- शरद माथुर बताते है कि जब उन्होेंने इसकी शुरुआत की थी उस समय नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने थ्ो। देश भर में अयोध्या राम मंदिर के निर्माण को लेकर आशाएं जग गई। शरद को विश्वास है कि जब राम मंदिर बनेगा तो पूरी रामचरित मानस को वहां पर भ्ोंट देंगे।
बाइट:- शरद माथुर - रचनाकार
VO:5:- शरद माथुर जब हर काण्ड को अलग-अलग बाइंडिंग करने के लिए उन्होंने कई जगह कोशिश की, लेकिन किसी ने इस काम को पूरा करने की हां नही की , लेकिन जब उन्होंने मुस्लिम बाइंडर ने इन सभी काण्ड को बाइंड करने को कहा तो ना केवल उसने उसे बाइंड बल्कि लागत भी नाम मात्र ली बखूबी ।
बाइट:- शरद माथुर - रचनाकार
VO:6:- शरद माथुर ने जो कर दिखाया वो वाकई काबिले तारीफ है। जिसे लोग नामुमकिन बता रहे थे शरद ने उसे मुमकिन कर दिखाया , इसी लिए शरद माथुर पर किसी कवि वो चार लेने सटीक बैठती है कौंन कहता है आसमा में सुराख हो नही सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालें यारों ।
- जयपुर से Etv Bharat के लिए जसवंत सिंह की रिपोर्ट Body:VOConclusion:Vo
Last Updated : Sep 26, 2019, 12:19 PM IST
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