जयपुर. कोरोना वायरस के चलते पूरी दुनिया अस्त-व्यस्त है. हर आदमी इस संक्रमण से बचना चाहता है, लेकिन एक वर्ग ऐसा है जो इस बीमारी की पहवाह किए बिना लगातार इससे न केवल जंग लड़ रहा है बल्कि दूसरों को भी बचा रहा है. इन्हीं में से एक है नर्सें. कोरोना संकट की इस कठिन चुनौती में इनकी भूमिका और भी अहम हो जाती है. आज का दिन उन्हीं को समर्पित है. अंतरराष्ट्रीय नर्स-डे. ईटीवी भारत इन योद्धाओं को सैल्यूट करता है. आपको मिलाते हैं, उन योद्धाओं से जो अपनी घरेलू जिम्मेदारियों को घर में 'लॉक' कर कोरोना से लड़ रही हैं.
मरीजों को जीवन देने वाली दुनिया की नर्सों को समर्पित है आज का दिन
नर्सेज दुनियाभर में अलग-अलग बीमारियों से पीड़ित लोगों की मदद करती हैं और उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूती देती हैं. दिन-रात काम करने वाली यह नर्सेज मरीजों को जल्द ठीक करने और उनकी हर तरह से देखभाल करने का काम करती हैं. आज का दिन दुनिया की तमाम नर्सों को समर्पित है.
डॉक्टर पति और नर्स पत्नी बने कोरोना कर्मवीर, फर्ज के लिए अपने बच्चों को किया खुद से दूर
लॉकडाउन के दौरान कई दिनों से अस्पताल में 15-15 घंटे ड्यूटी दे रहे कोरोना के इन कर्मवीरों से मिलिए. अपने काम के प्रति जज्बा दिखा रहे डॉक्टर पति और स्टाफ नर्स पत्नी ने अपने नन्हें बच्चों को उनके ननिहाल भेज दिया है. जिससे उनके काम में कोई व्यवधान न आए. यह कर्मवीर जोड़ा बड़े इत्मिनान से कहता नजर आ रहा है कि पहले देश, फिर परिवार.
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से लड़ाई में कोरोना वॉरियर्स अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं. इस लड़ाई में जहां चिकित्सक अपनी जान पर खेलकर कोरोना को मात दे रहे. इन्हें देख ऐसा लगता है जैसे फर्ज के आगे रिश्तों की फिक्र गुम गई हो, इनके इस समर्पण को सभी सलाम करते हैं.
40 दिनों से घर से दूर रहकर कोरोना को हराने में जुटे 'योद्धाओं' ने बताए अपने अनुभव
कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में कोरोना वॉरियर्स अपने परिवार को छोड़ कर डटे हुए हैं. जिले के स्वास्थ्यकर्मी लगातार कई दिनों से अपने घरों से दूर कोरोना मरीजों की जांच, देखरेख और उपचार का काम कर रहे हैं.