जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के आठ सरकारी किशोर गृहों को बंद करने के संबंध में जारी आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मुख्स सचिव, बाल अधिकारिता विभाग और विधि एवं विधिक कार्य विभाग को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश इंडिया फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि किशोर न्याय अधिनियम की धारा- 50 की उपधारा- 1 के तहत छह साल से 18 सााल के बालकों के लिए किशोर गृह स्थापित किए गए थे.
वहीं, बाल अधिकारिता विभाग ने गत 4 अक्टूबर को आदेश जारी कर जयपुर, कोटा, जोधपुर, राजसमंद, अजमेर, टोंक, सीकर और भरतपुर के किशोर गृह को बंद करने का आदेश जारी कर दिया. वहीं, इनमें रह रहे किशोरों को एनजीओ की ओर से संचालित किशोर गृहों में भेजने का प्रावधान किया.
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याचिका में कहा गया कि सरकार ने बिना किसी कार्य योजना और इन गृहों में रहने वाले किशोरों की सहमति लिए बिना यह आदेश जारी किया है. यहां तक की राजसमंद में तो सरकारी किशोर गृह के अलावा दूसरा कोई किशोर गृह भी संचालित नहीं है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने 4 अक्टूबर के आदेश की क्रियान्विति पर अंतरिम रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.