जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग में पीपीपी मोड पर संचालित पीएससी में प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए संविदा पर लगे कर्मचारी को हटाने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने चिकित्सा सचिव और एनआरएचएम निदेशक सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है. न्यायाधीश पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की एकलपीठ ने यह आदेश वीरेन्द्र कुमार शर्मा की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए पीपीपी मोड पर संचालित पीएससी, बूंदी में फार्मासिस्ट के तौर पर साल 2015 से काम कर रहे हैं. अब उन्हें हटाकर दूसरे संविदाकर्मियों को लगाया जा रहा है.
यह भी पढ़ेंः 'Unique ID' नम्बर नहीं लेने वाले हथियारों के लाइसेंस हुए अवैध, गृह मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट
याचिका में कहा गया कि प्रदेश में एनआरएचएम योजना लागू है. ऐसे में याचिकाकर्ता को प्लेसमेंट एजेन्सी के बजाए सीधे राज्य सरकार के अधीन संविदा पर नियुक्ति दी जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ता को हटाने पर रोक लगा दी है.
यह भी पढ़ेंः सहकारिता विभाग की अनूठी पहल, प्रदेश भर में लगाएगा एक लाख पौधे
वहीं एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने कनिष्ठ लिपिकों को विभागों का आवंटन उनकी मेरिट के स्थान के बजाए विकल्प से करने पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है. न्यायाधीश अशोक कुमार गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश अविनाश कुमार और अन्य की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
यह भी पढ़ेंः छात्रसंघ चुनाव स्कूली बच्चों के लिए बना मुसीबत...पढ़ाई में आ रही बाधा
याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार एलडीसी पद पर चयनीत अभ्यर्थियों को उनकी ओर से दिए विकल्प के विभागों पर पद स्थापित करती है. जबकि नियमानुसार विभाग आवंटन मेरिट के आधार पर किया जाना चाहिए. अभ्यर्थियों को पोस्टिंग देने में उनकी योग्यता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.