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Special: चूल्हा-चौका ही नहीं खाकी पहनकर जंगलों की रक्षा भी करती है नारी शक्ति - Jaipur News

देश में महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. महिलाएं हर काम में अपना परचम लहरा रहीं हैं. राजस्थान के वन विभाग में भी महिलाएं अपनी सेवाएं देकर बतौर फ्रंटलाइन वर्कर वन और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए काम कर रही हैं. वहीं इस क्षेत्र में महिलाओं ने देश-प्रदेश का नाम भी रौशन किया है.

Women in Rajasthan Forest Department, राजस्थान वन विभाग में महिलाएं, जयपुर न्यूज
वनों की रक्षा के लिए तत्पर प्रदेश की महिलाएं
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Published : Oct 3, 2020, 11:13 PM IST

जयपुर. देश की महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं. आज हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं. सिविल सेवाओं में भी आईपीएस, आईएएस, आईएफएस हर पोस्ट पर महिलाएं काबिज हैं. भारतीय सेना में भी महिलाएं हर दिन नई उड़ान भर रही हैं. इसी क्रम में राजस्थान वन विभाग में भी महिलाएं आगे आकर अब वन कर्मी और और दूसरे पदों पर भी सेवाएं दे रही हैं. भारतीय वन सेवा, राज्य वन सेवा, क्षेत्रीय वन अधिकारी, वनपाल, सहायक वनपाल और वनरक्षक के तकरीबन 800 पदों पर महिलाओं ने जिम्मेदारी उठा रखी है.

वनों की रक्षा के लिए तत्पर प्रदेश की महिलाएं

हालांकि ये स्थिति हमेशा से नहीं थी. राजस्थान वन सेवा में वर्ष 2014-15 बदलाव लेकर आया. वन विभाग राजस्थान में भारतीय वन सेवा में महिलाओं की भागीदारी काफी समय से है. लेकिन राजस्थान वन सेवा में सबसे पहले वर्ष 2014-15 में दो महिला अधिकारियों ने राज्य वन सेवा में बतौर सहायक वन संरक्षक के पद पर चयन होकर वन सेवाओं में महिलाओं की भागीदारी की शुरुआत की. इस साल दो महिला अधिकारी बतौर सहायक वनरक्षक पद पर चयनित हुई. इसके बाद से ही वन विभाग में बदलाव की एक नई बयार बह गई.

2011 तक फ्रंटलाइन पर नहीं थी महिलाएं

वन सेवा में वर्ष 1986 के बाद वर्ष 2011 तक फ्रंटलाइन स्टाफ के पदों पर भर्ती नहीं होने के कारण महिलाओं को वन विभाग में अपनी क्षमता और कौशल का मौका नहीं मिला. लेकिन वर्ष 2011, 2013 और 2016 में वनपाल और वनरक्षक की भर्ती प्रतियोगी परीक्षा में महिलाओं का चयन हुआ. चयन होने के बाद महिलाओं का योगदान निरंतर रहा है. फ्रंटलाइन स्टाफ के रूप में कुछ महिला वन कर्मियों ने पूर्ण लगन और क्षमतापूर्वक प्रादेशिक वन क्षेत्रों में काम किया. इसके अलावा अन्य वन्यजीव क्षेत्रों में भी कार्य करके अपनी पहचान स्थापित की है. इन्हीं प्रयासों से विभिन्न स्तर पर ऐसी कर्मठ महिला वन कर्मियों को पुरस्कृत भी किया गया है.

महिला वनरक्षकों किया गया सम्मानित

भैसोरड़गढ़ वन्यजीव अभ्यारण कार्यालय उप वन संरक्षक वन्यजीव कोटा में पदस्थास्थ वनरक्षक प्रेम कंवर शक्तावत को सराहनीय कार्य के लिए पुरस्कृत किया गया है. वहीं वनरक्षक अंजू चौहान को वन्यजीवों के लिए सराहनीय कार्य करने के लिए राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया. वनरक्षक अंजू चौहान उप वन संरक्षक सिरोही में पदस्थ हैं. अंजू चौहान को 15 अगस्त 2020 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक राजस्थान की ओर से सम्मानित किया गया.

वनरक्षक प्रेम कंवर वन्यजीव अभ्यारण भैंसरोडगढ़ में 2011 से पोस्टेड है. पिछले 10 वर्षों में प्रेम कंवर शक्तावत वनरक्षक में वन सुरक्षा ड्यूटी के साथ अब तक 96 वन्यजीव को रेस्क्यू कर बचाने का कार्य किया. इसके साथ ही यहां पाए जाने वाले दुर्लभ वन्यजीवों में से ऊदबिलाव की मॉनिटरिंग कर फोटोग्राफी की और प्रेजेंटेशन तैयार कर रिपोर्ट डिवीजन में प्रस्तुत की.

Women in Rajasthan Forest Department, राजस्थान वन विभाग में महिलाएं, जयपुर न्यूज
राजस्थान वन विभाग में महिलाएं

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इसके साथ ही अभ्यारण के 131 पक्षियों की आईडेंटिफिकेशन फोटोग्राफी का कार्य किया. प्रेजेंटेशन के माध्यम से स्कूल और अभ्यारण के गांव में वन्यजीवों के प्रति लोगों को जागरूक करने का कार्य किया. और वन विभाग के सभी कार्यों में सराहनीय कार्य किया है. वनरक्षक कंवर को सरकार की ओर से उपखंड स्तर पर एसडीएम रावतभाटा द्वारा 15 अगस्त 2015 को प्रशस्ति पत्र दिया गया. जिला स्तर पर चित्तौड़गढ़ कलेक्टर द्वारा 26 जनवरी 2018 को प्रशस्ति पत्र दिया गया. राज्य स्तर पर पीसीसीएफ जयपुर द्वारा 15 अगस्त 2018 को प्रशस्ति पत्र दिया गया.

विश्व पटल पर किया भारत का प्रतिनिधित्व

विश्व स्तर पर पहली भारतीय महिला वनरक्षक 9 वीं विश्व रेंजर कांग्रेस नेपाल नवंबर 2019 में सम्मिलित हुई. इंडिया को रिप्रेजेंट किया. जहां विश्व के 70 देशों के 550 रेंजर जिनमें 200 महिलाएं थी सम्मिलित हुए. महिलाओं के फारेस्ट में काम करते हुए क्या-क्या चैलेंज फेस करने होते हैं, इस सब्जेक्ट पर विश्व की 5 महिलाओं के पैनल में शामिल हुई और बेस्ट परफॉर्मेंस इन फॉरेस्ट सेवियर का सम्मान प्राप्त किया. महिलाएं वन विभाग में अपनी ड्यूटी को बखूबी से निभा रही है. वन और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए महिलाएं भी जंगलों में ड्यूटी कर रही है.

ड्यूटी के दौरान आती हैं चुनौतियां

महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि चूल्हा चौका ही नहीं खाकी पहनकर नारी शक्ति जंगलों की रक्षा भी करती है. राजस्थान वन विभाग में कार्यरत महिला वन कर्मियों ने बताया कि ड्यूटी के दौरान काफी चुनौतियां होती हैं लेकिन फिर भी चुनौतियों को स्वीकार कर अभी ड्यूटी को जिम्मेदारी के साथ निभाते हैं. अधिकारियों का भी पूरा सहयोग मिलता है, समय-समय पर अधिकारी मनोबल बढ़ाते हैं. वन विभाग की ओर से जो भी जिम्मेदारी दी जाती है उसे निभाया जाता है. महिला वन कर्मचारियों ने बताया कि वन्यजीवों की सुरक्षा वनों की सुरक्षा के साथ ही वन्यजीव संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम भी बखूबी से करते हैं. महिला कर्मचारी जंगलों में गश्त भी करती हैं.

ये पढ़ें: Special: तितलियों के झुंड ने बढ़ाया कौतूहल, विशेषज्ञ बोले- चिंता की बात नहीं

राजस्थान वन विभाग के मुखिया प्रधान मुख्य वन संरक्षक जीवी रेड्डी ने बताया कि वन विभाग में दूरदराज दुर्गम क्षेत्र और जंगलों में ज्यादा काम रहता है. इसी कारण पूर्व में वन विभाग में अधिकतर स्टॉफ पुरुष ही रहे थे. लेकिन समय के साथ सामाजिक परिपेक्ष बदला है. सरकार ने भी महिलाओं के बारे में सोचा. सरकार ने वन विभाग में महिलाओं को फ्रंटलाइन स्टाफ में भर्ती करने के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण रखा है. वर्ष 2011 से लार्ज स्केल पर भर्ती प्रक्रिया चालू की गई. महिलाओं को वन विभाग में भर्ती हुए 9 साल हो चुके हैं.

बखूबी निभा रहीं अपनी जिम्मेदारी

मुख्य वन संरक्षक बताते हैं कि पहले हम सोचते थे कि महिलाएं दूरदराज जंगल क्षेत्रों में नहीं जा सकती है, अकेली गश्त नही कर पाती है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. महिलाएं भी पुरुषों के बराबर काम कर रही है. कई महिलाओं ने तो पुरुषों से भी बढ़कर काम किया है. एक महिला के एक कर्मचारी डेजर्ट नेशनल पार्क में करीब छह-सात साल अकेली रही थी. सिरोही में भी एक महिला वनरक्षक अंजू चौहान सराहनीय कार्य कर रही है. अंजू चौहान अपनी ड्यूटी के साथ सांपों का रेस्क्यू भी करती है. कई बार सांप लोगों को एक घरों में घुस जाते हैं, जिन्हें वनरक्षक अंजू चौहान रेस्क्यू करके जंगल में छोड़ती है. सरिस्का में भी महिला कर्मचारी ट्रैकिंग पर जाती है और पुरुषों के बराबर काम करती हैं. रणथंबोर और मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में भी महिलाएं काम कर रही है.

वनों के सरंक्षण में विशेष योगदान

वन विभाग से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि विभाग में महिलाओं ने बहुत अच्छे परिणाम दिए हैं. जंगलों में ज्यादातर महिलाएं लकड़ी काटने जाती है, जिनको रोकने में भी महिला वनरक्षकों का विशेष योगदान रहा है. लकड़ी काटने आई महिलाओं को समझाने और उन्हें रोकने में सफलता मिली है. महिलाओं के मनोबल में वृद्धि के लिए वन विभाग की ओर से भी कई प्रयास किए जाते हैं.

महिलाओं के लिए वन विभाग में अलग से स्पेशल ट्रेनिंग क्लासे भी रखी जाती है. महिलाएं अपने परिवार के पालन के साथ अपनी ड्यूटी को भी बखूबी से निभा रही हैं. महिलाओं के लिए हेड क्वार्टर लेवल पर एक स्पेशल सेल भी तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है. महिलाओं के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार हो रहा है तो उसके लिए महिला सेल तैयार की जा रही है.

जयपुर. देश की महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं. आज हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं. सिविल सेवाओं में भी आईपीएस, आईएएस, आईएफएस हर पोस्ट पर महिलाएं काबिज हैं. भारतीय सेना में भी महिलाएं हर दिन नई उड़ान भर रही हैं. इसी क्रम में राजस्थान वन विभाग में भी महिलाएं आगे आकर अब वन कर्मी और और दूसरे पदों पर भी सेवाएं दे रही हैं. भारतीय वन सेवा, राज्य वन सेवा, क्षेत्रीय वन अधिकारी, वनपाल, सहायक वनपाल और वनरक्षक के तकरीबन 800 पदों पर महिलाओं ने जिम्मेदारी उठा रखी है.

वनों की रक्षा के लिए तत्पर प्रदेश की महिलाएं

हालांकि ये स्थिति हमेशा से नहीं थी. राजस्थान वन सेवा में वर्ष 2014-15 बदलाव लेकर आया. वन विभाग राजस्थान में भारतीय वन सेवा में महिलाओं की भागीदारी काफी समय से है. लेकिन राजस्थान वन सेवा में सबसे पहले वर्ष 2014-15 में दो महिला अधिकारियों ने राज्य वन सेवा में बतौर सहायक वन संरक्षक के पद पर चयन होकर वन सेवाओं में महिलाओं की भागीदारी की शुरुआत की. इस साल दो महिला अधिकारी बतौर सहायक वनरक्षक पद पर चयनित हुई. इसके बाद से ही वन विभाग में बदलाव की एक नई बयार बह गई.

2011 तक फ्रंटलाइन पर नहीं थी महिलाएं

वन सेवा में वर्ष 1986 के बाद वर्ष 2011 तक फ्रंटलाइन स्टाफ के पदों पर भर्ती नहीं होने के कारण महिलाओं को वन विभाग में अपनी क्षमता और कौशल का मौका नहीं मिला. लेकिन वर्ष 2011, 2013 और 2016 में वनपाल और वनरक्षक की भर्ती प्रतियोगी परीक्षा में महिलाओं का चयन हुआ. चयन होने के बाद महिलाओं का योगदान निरंतर रहा है. फ्रंटलाइन स्टाफ के रूप में कुछ महिला वन कर्मियों ने पूर्ण लगन और क्षमतापूर्वक प्रादेशिक वन क्षेत्रों में काम किया. इसके अलावा अन्य वन्यजीव क्षेत्रों में भी कार्य करके अपनी पहचान स्थापित की है. इन्हीं प्रयासों से विभिन्न स्तर पर ऐसी कर्मठ महिला वन कर्मियों को पुरस्कृत भी किया गया है.

महिला वनरक्षकों किया गया सम्मानित

भैसोरड़गढ़ वन्यजीव अभ्यारण कार्यालय उप वन संरक्षक वन्यजीव कोटा में पदस्थास्थ वनरक्षक प्रेम कंवर शक्तावत को सराहनीय कार्य के लिए पुरस्कृत किया गया है. वहीं वनरक्षक अंजू चौहान को वन्यजीवों के लिए सराहनीय कार्य करने के लिए राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया. वनरक्षक अंजू चौहान उप वन संरक्षक सिरोही में पदस्थ हैं. अंजू चौहान को 15 अगस्त 2020 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक राजस्थान की ओर से सम्मानित किया गया.

वनरक्षक प्रेम कंवर वन्यजीव अभ्यारण भैंसरोडगढ़ में 2011 से पोस्टेड है. पिछले 10 वर्षों में प्रेम कंवर शक्तावत वनरक्षक में वन सुरक्षा ड्यूटी के साथ अब तक 96 वन्यजीव को रेस्क्यू कर बचाने का कार्य किया. इसके साथ ही यहां पाए जाने वाले दुर्लभ वन्यजीवों में से ऊदबिलाव की मॉनिटरिंग कर फोटोग्राफी की और प्रेजेंटेशन तैयार कर रिपोर्ट डिवीजन में प्रस्तुत की.

Women in Rajasthan Forest Department, राजस्थान वन विभाग में महिलाएं, जयपुर न्यूज
राजस्थान वन विभाग में महिलाएं

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इसके साथ ही अभ्यारण के 131 पक्षियों की आईडेंटिफिकेशन फोटोग्राफी का कार्य किया. प्रेजेंटेशन के माध्यम से स्कूल और अभ्यारण के गांव में वन्यजीवों के प्रति लोगों को जागरूक करने का कार्य किया. और वन विभाग के सभी कार्यों में सराहनीय कार्य किया है. वनरक्षक कंवर को सरकार की ओर से उपखंड स्तर पर एसडीएम रावतभाटा द्वारा 15 अगस्त 2015 को प्रशस्ति पत्र दिया गया. जिला स्तर पर चित्तौड़गढ़ कलेक्टर द्वारा 26 जनवरी 2018 को प्रशस्ति पत्र दिया गया. राज्य स्तर पर पीसीसीएफ जयपुर द्वारा 15 अगस्त 2018 को प्रशस्ति पत्र दिया गया.

विश्व पटल पर किया भारत का प्रतिनिधित्व

विश्व स्तर पर पहली भारतीय महिला वनरक्षक 9 वीं विश्व रेंजर कांग्रेस नेपाल नवंबर 2019 में सम्मिलित हुई. इंडिया को रिप्रेजेंट किया. जहां विश्व के 70 देशों के 550 रेंजर जिनमें 200 महिलाएं थी सम्मिलित हुए. महिलाओं के फारेस्ट में काम करते हुए क्या-क्या चैलेंज फेस करने होते हैं, इस सब्जेक्ट पर विश्व की 5 महिलाओं के पैनल में शामिल हुई और बेस्ट परफॉर्मेंस इन फॉरेस्ट सेवियर का सम्मान प्राप्त किया. महिलाएं वन विभाग में अपनी ड्यूटी को बखूबी से निभा रही है. वन और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए महिलाएं भी जंगलों में ड्यूटी कर रही है.

ड्यूटी के दौरान आती हैं चुनौतियां

महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि चूल्हा चौका ही नहीं खाकी पहनकर नारी शक्ति जंगलों की रक्षा भी करती है. राजस्थान वन विभाग में कार्यरत महिला वन कर्मियों ने बताया कि ड्यूटी के दौरान काफी चुनौतियां होती हैं लेकिन फिर भी चुनौतियों को स्वीकार कर अभी ड्यूटी को जिम्मेदारी के साथ निभाते हैं. अधिकारियों का भी पूरा सहयोग मिलता है, समय-समय पर अधिकारी मनोबल बढ़ाते हैं. वन विभाग की ओर से जो भी जिम्मेदारी दी जाती है उसे निभाया जाता है. महिला वन कर्मचारियों ने बताया कि वन्यजीवों की सुरक्षा वनों की सुरक्षा के साथ ही वन्यजीव संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम भी बखूबी से करते हैं. महिला कर्मचारी जंगलों में गश्त भी करती हैं.

ये पढ़ें: Special: तितलियों के झुंड ने बढ़ाया कौतूहल, विशेषज्ञ बोले- चिंता की बात नहीं

राजस्थान वन विभाग के मुखिया प्रधान मुख्य वन संरक्षक जीवी रेड्डी ने बताया कि वन विभाग में दूरदराज दुर्गम क्षेत्र और जंगलों में ज्यादा काम रहता है. इसी कारण पूर्व में वन विभाग में अधिकतर स्टॉफ पुरुष ही रहे थे. लेकिन समय के साथ सामाजिक परिपेक्ष बदला है. सरकार ने भी महिलाओं के बारे में सोचा. सरकार ने वन विभाग में महिलाओं को फ्रंटलाइन स्टाफ में भर्ती करने के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण रखा है. वर्ष 2011 से लार्ज स्केल पर भर्ती प्रक्रिया चालू की गई. महिलाओं को वन विभाग में भर्ती हुए 9 साल हो चुके हैं.

बखूबी निभा रहीं अपनी जिम्मेदारी

मुख्य वन संरक्षक बताते हैं कि पहले हम सोचते थे कि महिलाएं दूरदराज जंगल क्षेत्रों में नहीं जा सकती है, अकेली गश्त नही कर पाती है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. महिलाएं भी पुरुषों के बराबर काम कर रही है. कई महिलाओं ने तो पुरुषों से भी बढ़कर काम किया है. एक महिला के एक कर्मचारी डेजर्ट नेशनल पार्क में करीब छह-सात साल अकेली रही थी. सिरोही में भी एक महिला वनरक्षक अंजू चौहान सराहनीय कार्य कर रही है. अंजू चौहान अपनी ड्यूटी के साथ सांपों का रेस्क्यू भी करती है. कई बार सांप लोगों को एक घरों में घुस जाते हैं, जिन्हें वनरक्षक अंजू चौहान रेस्क्यू करके जंगल में छोड़ती है. सरिस्का में भी महिला कर्मचारी ट्रैकिंग पर जाती है और पुरुषों के बराबर काम करती हैं. रणथंबोर और मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में भी महिलाएं काम कर रही है.

वनों के सरंक्षण में विशेष योगदान

वन विभाग से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि विभाग में महिलाओं ने बहुत अच्छे परिणाम दिए हैं. जंगलों में ज्यादातर महिलाएं लकड़ी काटने जाती है, जिनको रोकने में भी महिला वनरक्षकों का विशेष योगदान रहा है. लकड़ी काटने आई महिलाओं को समझाने और उन्हें रोकने में सफलता मिली है. महिलाओं के मनोबल में वृद्धि के लिए वन विभाग की ओर से भी कई प्रयास किए जाते हैं.

महिलाओं के लिए वन विभाग में अलग से स्पेशल ट्रेनिंग क्लासे भी रखी जाती है. महिलाएं अपने परिवार के पालन के साथ अपनी ड्यूटी को भी बखूबी से निभा रही हैं. महिलाओं के लिए हेड क्वार्टर लेवल पर एक स्पेशल सेल भी तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है. महिलाओं के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार हो रहा है तो उसके लिए महिला सेल तैयार की जा रही है.

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