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Special : गहलोत सरकार ने बदला 'अटल फॉर्मूला'...जानिए क्या है ओल्ड और न्यू पेंशन में अंतर

गहलोत सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू कर एक बार फिर से पेंशन मुद्दा चर्चा में ला दिया है. 1 अप्रैल 2022 के बाद से अब प्रदेश के सभी 7 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ मिलेगा. यानी पुरानी पेंशन योजना लागू होने के बाद (Benefits of old pension scheme) रिटायर्ड होने पर अब कर्मचारियों को पूरी पेंशन मिलेगी. इसके साथ ही जो कर्मचारी अप्रैल 2004 के बाद सरकारी नौकरी में लगा है और जिसकी न्यू पेंशन स्कीम में 10 प्रतिशत कटौती हुई है, उसका पैसा भी वापस मिलेगा.

Implementation of Old Pension Scheme in Rajasthan Budget
ओल्ड और न्यू पेंशन में अंतर
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Published : Feb 25, 2022, 9:48 PM IST

जयपुर. लंबे समय से पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे राज्य कर्मचारियों को गहलोत सरकार के चौथे बजट में बड़ी सौगात (Rajasthan CM Announces to Restore Old Pension Scheme) मिली है. अब राजस्थान में 1 जनवरी 2004 और उसके बाद नियुक्त सभी कर्मचारियों को नई पेंशन की जगह पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ मिल सकेगा. वहीं, अब इस मुद्दे पर राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस इसे देशभर में भुनाने की तैयारी कर रही है.

आसान भाषा में समझें क्या है अंतर...
गजेंद्र सिंह की नौकरी अक्टूबर 2006 में बतौर एलडीसी लगी थी. 2004 में वैकेंसी आई और 2006 में उनकी नियुक्ति जयपुर सचिवालय में की गई. जनवरी 2030 को गजेंद्र रिटायर हो जाएंगे. रिटायरमेंट के वक्त उनकी बेसिक तनख्वाह यदि 80 हजार रुपये (इनहैंड) है तो ओल्ड पेंशन के नाम पर हर महीने अब उनके खाते में 40 हजार रुपये आएंगे. इसके साथ डीए का भुगतान भी होगा, जिसके लिए सर्विस टाइम में उनकी तनख्वाह से कोई कटौती नहीं हुई.

गजेंद्र सिंह राठौड़ ने क्या कहा...

जबकि न्यू पेंशन स्कीम में अगर गजेंद्र सिंह 2006 में नौकरी लगते हैं तो रिटायर्ड होने तक (New Pension Scheme Versus Old Pension Scheme) उनकी तनख्वाह से हर महीने 10 फीसदी की कटौती होगी और 10 फीसदी ही सरकार अपनी तरफ से मिलाकर शेयर मार्केट में लगाएगी. गजेंद्र सिंह जब 2030 में रिटायर होंगे तब कुल जमा कटौती का शेयर मार्केट के हिसाब से पैसा मिलेगा, जिसमें 60 फीसदी रिटायरमेंट के समय नकद और 40 फीसदी से हर महीने पेंशन मिलेगी.

प्रदेश में कितने कर्मचारियों और अधिकारियों को मिलेगा लाभ : अखिल राजस्थान कर्मचारी महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने कहा कि राजस्थान में 7 लाख 52 हजार कर्मचारियों-अधिकारियों के पद स्वीकृत हैं, जिसमें लगभग 7 लाख कर्मचारी-अधिकारी की नियुक्ति हो रखी है. इसमें ढाई लाख से तीन लाख ऐसे कर्मचारी और अधिकारी हैं जो अप्रैल 2004 के बाद नियुक्त हुए हैं. ओल्ड पेंशन लागू होने से सीधे तौर पर ढाई से तीन लाख कर्मचारियों को फायदा मिलेगा.
पढ़ें : Rajasthan Budget 2022: पुरानी पेंशन योजना लागू करने से कर्मचारियों में खुशी, सीएम गहलोत ने भी किया ट्वीट
गजेंद्र सिंह ने कहा कि 2004 में तत्कालीन केंद्र की अटल सरकार ने संसद में बिल लाकर न्यू पेंशन स्कीम लागू की, जिसमें सभी राज्य की सरकारों को यह अधिकार दिए कि वो इस न्यू पेंशन स्कीम को अपने अधिकार क्षेत्र के लिहाज से लागू (Benefits of Old Pension Scheme) कर सकती हैं. देश भर में सभी राज्यों ने (सिर्फ पश्चिम बंगाल को छोड़) न्यू पेंशन स्कीम को लागू कर दिया, जिसमें राजस्थान की तत्कालीन वसुंधरा सरकार भी शामिल थी.

न्यू पेंशन स्कीम लागू होने के साथ शुरू हुआ आंदोलन : गजेंद्र सिंह ने बताया कि 2004 से न्यू पेंशन लागू होने के साथ इसका विरोध शुरू हो गया था. पिछले 17 साल से प्रदेश के कर्मचारी और अधिकारी इस न्यू पेंशन स्कीम का विरोध कर रहे थे, जो इस बार 2022 में गहलोत सरकार की बजट घोषणा के साथ (Gajendra Singh Rathore Supported Gehlot Decision) खत्म हुआ है. अब प्रदेश के कर्मचारी और अधिकारी में इस फैसले के बाद खुशी है.
पढ़ें : पेंशन पर राजनीति, जानें पुरानी पेंशन व्यवस्था से कितनी अलग है नई व्यवस्था
न्यू पेंशन में कटौती का क्या : गजेंद्र सिंह ने कहा कि वर्ष 2004 के बाद नियुक्त होने वाले कर्मचारी और अधिकारी की जो 10 फीसदी वेतन कटौती एनपीएस के नाम पर हुई है, इसको लेकर हालांकि अभी कोई आदेश जारी नहीं हुए, लेकिन जल्द ही इसको लेकर सरकार आदेश जारी करेगी. उसके बाद स्थिति साफ होगी की कटौती के पैसे किस तरह से वापस दिए जाएंगे. लेकिन हम उम्मीद कररहे हैं कि सरकार शेयर मार्केट में लगे एनपीएस के पैसों को वापस एकत्रित कर कर्मचारियों के जीपीएफ खाते में जमा करेगी. उन्होंने कहा कि इस वक्त करीब 20 हजार करोड़ कर्मचारियों के पैसे शेयर मार्केट में लगे हुए हैं.
पढ़ें : old pension scheme implemented in Rajasthan: डोटासरा और माकन बोले- राजस्थान की तरह अन्य राज्य भी लागू करें ये घोषणा

इस मुद्दे को देशभर में भुनाने की तैयारी कर रही कांग्रेस...

राजस्थान की गहलोत सरकार ने बजट में कर्मचारियों की वर्षों पुरानी मांग को पूरी करते हुए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर दी है. राजस्थान सरकार की ओर से लिए गए इस निर्णय को अब कांग्रेस देशभर में मुद्दा बनाने जा रही है. यही कारण है कि शुक्रवार को राजस्थान के बजट को लेकर दिल्ली में बैठकर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अजय माकन और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने मीडिया को संबोधित करते हुए निर्णय की जानकारी दी. साथ ही देशभर में इन घोषणाओं को लागू करने की मांग केंद्र और राज्य सरकारों से की है.

जयपुर. लंबे समय से पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे राज्य कर्मचारियों को गहलोत सरकार के चौथे बजट में बड़ी सौगात (Rajasthan CM Announces to Restore Old Pension Scheme) मिली है. अब राजस्थान में 1 जनवरी 2004 और उसके बाद नियुक्त सभी कर्मचारियों को नई पेंशन की जगह पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ मिल सकेगा. वहीं, अब इस मुद्दे पर राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस इसे देशभर में भुनाने की तैयारी कर रही है.

आसान भाषा में समझें क्या है अंतर...
गजेंद्र सिंह की नौकरी अक्टूबर 2006 में बतौर एलडीसी लगी थी. 2004 में वैकेंसी आई और 2006 में उनकी नियुक्ति जयपुर सचिवालय में की गई. जनवरी 2030 को गजेंद्र रिटायर हो जाएंगे. रिटायरमेंट के वक्त उनकी बेसिक तनख्वाह यदि 80 हजार रुपये (इनहैंड) है तो ओल्ड पेंशन के नाम पर हर महीने अब उनके खाते में 40 हजार रुपये आएंगे. इसके साथ डीए का भुगतान भी होगा, जिसके लिए सर्विस टाइम में उनकी तनख्वाह से कोई कटौती नहीं हुई.

गजेंद्र सिंह राठौड़ ने क्या कहा...

जबकि न्यू पेंशन स्कीम में अगर गजेंद्र सिंह 2006 में नौकरी लगते हैं तो रिटायर्ड होने तक (New Pension Scheme Versus Old Pension Scheme) उनकी तनख्वाह से हर महीने 10 फीसदी की कटौती होगी और 10 फीसदी ही सरकार अपनी तरफ से मिलाकर शेयर मार्केट में लगाएगी. गजेंद्र सिंह जब 2030 में रिटायर होंगे तब कुल जमा कटौती का शेयर मार्केट के हिसाब से पैसा मिलेगा, जिसमें 60 फीसदी रिटायरमेंट के समय नकद और 40 फीसदी से हर महीने पेंशन मिलेगी.

प्रदेश में कितने कर्मचारियों और अधिकारियों को मिलेगा लाभ : अखिल राजस्थान कर्मचारी महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने कहा कि राजस्थान में 7 लाख 52 हजार कर्मचारियों-अधिकारियों के पद स्वीकृत हैं, जिसमें लगभग 7 लाख कर्मचारी-अधिकारी की नियुक्ति हो रखी है. इसमें ढाई लाख से तीन लाख ऐसे कर्मचारी और अधिकारी हैं जो अप्रैल 2004 के बाद नियुक्त हुए हैं. ओल्ड पेंशन लागू होने से सीधे तौर पर ढाई से तीन लाख कर्मचारियों को फायदा मिलेगा.
पढ़ें : Rajasthan Budget 2022: पुरानी पेंशन योजना लागू करने से कर्मचारियों में खुशी, सीएम गहलोत ने भी किया ट्वीट
गजेंद्र सिंह ने कहा कि 2004 में तत्कालीन केंद्र की अटल सरकार ने संसद में बिल लाकर न्यू पेंशन स्कीम लागू की, जिसमें सभी राज्य की सरकारों को यह अधिकार दिए कि वो इस न्यू पेंशन स्कीम को अपने अधिकार क्षेत्र के लिहाज से लागू (Benefits of Old Pension Scheme) कर सकती हैं. देश भर में सभी राज्यों ने (सिर्फ पश्चिम बंगाल को छोड़) न्यू पेंशन स्कीम को लागू कर दिया, जिसमें राजस्थान की तत्कालीन वसुंधरा सरकार भी शामिल थी.

न्यू पेंशन स्कीम लागू होने के साथ शुरू हुआ आंदोलन : गजेंद्र सिंह ने बताया कि 2004 से न्यू पेंशन लागू होने के साथ इसका विरोध शुरू हो गया था. पिछले 17 साल से प्रदेश के कर्मचारी और अधिकारी इस न्यू पेंशन स्कीम का विरोध कर रहे थे, जो इस बार 2022 में गहलोत सरकार की बजट घोषणा के साथ (Gajendra Singh Rathore Supported Gehlot Decision) खत्म हुआ है. अब प्रदेश के कर्मचारी और अधिकारी में इस फैसले के बाद खुशी है.
पढ़ें : पेंशन पर राजनीति, जानें पुरानी पेंशन व्यवस्था से कितनी अलग है नई व्यवस्था
न्यू पेंशन में कटौती का क्या : गजेंद्र सिंह ने कहा कि वर्ष 2004 के बाद नियुक्त होने वाले कर्मचारी और अधिकारी की जो 10 फीसदी वेतन कटौती एनपीएस के नाम पर हुई है, इसको लेकर हालांकि अभी कोई आदेश जारी नहीं हुए, लेकिन जल्द ही इसको लेकर सरकार आदेश जारी करेगी. उसके बाद स्थिति साफ होगी की कटौती के पैसे किस तरह से वापस दिए जाएंगे. लेकिन हम उम्मीद कररहे हैं कि सरकार शेयर मार्केट में लगे एनपीएस के पैसों को वापस एकत्रित कर कर्मचारियों के जीपीएफ खाते में जमा करेगी. उन्होंने कहा कि इस वक्त करीब 20 हजार करोड़ कर्मचारियों के पैसे शेयर मार्केट में लगे हुए हैं.
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इस मुद्दे को देशभर में भुनाने की तैयारी कर रही कांग्रेस...

राजस्थान की गहलोत सरकार ने बजट में कर्मचारियों की वर्षों पुरानी मांग को पूरी करते हुए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर दी है. राजस्थान सरकार की ओर से लिए गए इस निर्णय को अब कांग्रेस देशभर में मुद्दा बनाने जा रही है. यही कारण है कि शुक्रवार को राजस्थान के बजट को लेकर दिल्ली में बैठकर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अजय माकन और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने मीडिया को संबोधित करते हुए निर्णय की जानकारी दी. साथ ही देशभर में इन घोषणाओं को लागू करने की मांग केंद्र और राज्य सरकारों से की है.

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