ETV Bharat / city

विशेष: लॉकडाउन में जिंदगी के साथ मौत के बाद का सफर भी थमा

देशभर में लॉकडाउन की स्थिति है और इन परिस्थितियों में अंतिम संस्कार तो हो रहे हैं. लेकिन अस्थि विसर्जन की प्रक्रिया फिलहाल रुकी हुई है. ऐसे में जयपुर के चांदपोल स्थित श्मशान घाट में लगभग 50 लोगों की अस्थियों को सुरक्षित रखा गया है. जिन्हें विसर्जित होने का इंतजार है.

लॉकडाउन में नहीं होगा अस्थियों का विसर्जन, There will be no immersion of bones in lockdown
श्मशान में अस्थियों को इंतजार, लॉकडाउन में नहीं होगा विसर्जन
author img

By

Published : Apr 7, 2020, 12:37 PM IST

जयपुर. कहा जाता है कि जब जिंदगी का सफर रुक जाता है तो फिर मौत अपना सफर शुरू कर देती है और यह अंतिम यात्रा होती है. भारत में फिलहाल लॉकडाउन की स्थिति है और इन परिस्थितियों में मौत के बाद की प्रक्रिया में अंतिम संस्कार तो हो रहे हैं. लेकिन तीसरे के बाद होने वाली अस्थि विसर्जन की प्रक्रिया फिलहाल रुक चुकी है.

श्मशान में अस्थियों को इंतजार, लॉकडाउन में नहीं होगा विसर्जन (पार्ट-1)

जयपुर के श्मशान गृहों में अस्थि कलश और अस्थियों से भरे हुए बैग अपनों का इंतजार कर रहे हैं, कि कब लॉकडाउन खत्म होगा और कब विसर्जन की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा. राजधानी के सबसे बड़े चांदपोल शवदाह गृह में फिलहाल अलग-अलग कमरों में उन लोगों की अस्थि कलश और अस्थियों से भरे हुए बैग रखे गए हैं. जिनका निधन और अंतिम संस्कार देश में लॉकडाउन के एलान के बाद हुआ.

जयपुर के चांदपोल स्थित श्मशान घाट में लगभग 50 लोगों की अस्थियों को सुरक्षित रखा गया है. यहां आने वाले लोग अपनों का अंतिम संस्कार तो कर जाते हैं. लेकिन इसके बाद अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के तहत तीसरे के दिन श्मशान घाट जाकर अस्थि जमा करनी होती है. जिसे तीये की बैठक के बाद स्थान पर विसर्जित करने के लिए आत्मजन जाते हैं.

श्मशान में अस्थियों को इंतजार, लॉकडाउन में नहीं होगा विसर्जन (पार्ट-2)

पढ़ें- Special: खोखले हैं सरकारी दावे, अब भी कई घरों में नहीं जलता चूल्हा, 2 दिन से भूखे हैं तीन परिवार..

फिलहाल, यह सब लोग अंतिम संस्कार के बाद इन शवों को श्मशान घाट पर ही छोड़ कर गए हैं. श्मशान घाट पर काम करने वाले कर्मचारियों ने बताया कि इसके लिए लोग स्वयं विवेक से ही निर्णय ले रहे हैं. उन्हें ऐसा करने के लिए समझाने के बाबत कोई मशक्कत नहीं करनी होती है.

प्रक्रिया के मुताबिक तीसरे से जुड़े कर्मकांड करने के बाद अस्थि कलश को जमा करके उन्हें सौंप दिया जाता है और वे लोग इसके तहत एक टोकन नंबर जारी करते हैं. साथ ही अस्थि कलश के बेड पर जरूरी जानकारी को इंगित करते हैं. धार्मिक कर्मकांड में अस्थि विसर्जन को लेकर ऐसी मान्यता है कि इसके बिना मोक्ष नहीं होता है.

पंडित मुकेश शास्त्री से जाने अंतिम संस्कार की विशेष बात

पढ़ें- SPECIAL: अगर आप भी कर रहे हैं इन 5 विषयों की तैयारी, तो ये WEBSITE बन सकती है मददगार

ऐसे में पंडित मुकेश शास्त्री के अनुसार अंतिम संस्कार के साढ़े 11 महीने तक कभी भी अस्थि विसर्जन का विधान गरुड़ पुराण में इंगित किया गया है. समय परिस्थिति के अनुसार 12 महीने के श्राद्ध से पहले अस्थि विसर्जन किया जा सकता है.

अगर जल में अस्थियों को प्रवाहित करने का विकल्प मौजूद नहीं है, तो अंतिम संस्कार स्थल से 100 मीटर की दूरी पर दक्षिण दिशा में जमीन से लगभग 5 फीट की गहराई पर अस्थियों को गाड़ने के बाद की प्रक्रिया को भी विसर्जन की संज्ञा दी गई है. ऐसे में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए आवश्यक है कि लोक डाउन की पालना करें और लॉक डाउन पूरा होने के बाद ही अपने स्वजनों के अंतिम संस्कार के कर्मकांड को पूरा किया जाए

जयपुर. कहा जाता है कि जब जिंदगी का सफर रुक जाता है तो फिर मौत अपना सफर शुरू कर देती है और यह अंतिम यात्रा होती है. भारत में फिलहाल लॉकडाउन की स्थिति है और इन परिस्थितियों में मौत के बाद की प्रक्रिया में अंतिम संस्कार तो हो रहे हैं. लेकिन तीसरे के बाद होने वाली अस्थि विसर्जन की प्रक्रिया फिलहाल रुक चुकी है.

श्मशान में अस्थियों को इंतजार, लॉकडाउन में नहीं होगा विसर्जन (पार्ट-1)

जयपुर के श्मशान गृहों में अस्थि कलश और अस्थियों से भरे हुए बैग अपनों का इंतजार कर रहे हैं, कि कब लॉकडाउन खत्म होगा और कब विसर्जन की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा. राजधानी के सबसे बड़े चांदपोल शवदाह गृह में फिलहाल अलग-अलग कमरों में उन लोगों की अस्थि कलश और अस्थियों से भरे हुए बैग रखे गए हैं. जिनका निधन और अंतिम संस्कार देश में लॉकडाउन के एलान के बाद हुआ.

जयपुर के चांदपोल स्थित श्मशान घाट में लगभग 50 लोगों की अस्थियों को सुरक्षित रखा गया है. यहां आने वाले लोग अपनों का अंतिम संस्कार तो कर जाते हैं. लेकिन इसके बाद अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के तहत तीसरे के दिन श्मशान घाट जाकर अस्थि जमा करनी होती है. जिसे तीये की बैठक के बाद स्थान पर विसर्जित करने के लिए आत्मजन जाते हैं.

श्मशान में अस्थियों को इंतजार, लॉकडाउन में नहीं होगा विसर्जन (पार्ट-2)

पढ़ें- Special: खोखले हैं सरकारी दावे, अब भी कई घरों में नहीं जलता चूल्हा, 2 दिन से भूखे हैं तीन परिवार..

फिलहाल, यह सब लोग अंतिम संस्कार के बाद इन शवों को श्मशान घाट पर ही छोड़ कर गए हैं. श्मशान घाट पर काम करने वाले कर्मचारियों ने बताया कि इसके लिए लोग स्वयं विवेक से ही निर्णय ले रहे हैं. उन्हें ऐसा करने के लिए समझाने के बाबत कोई मशक्कत नहीं करनी होती है.

प्रक्रिया के मुताबिक तीसरे से जुड़े कर्मकांड करने के बाद अस्थि कलश को जमा करके उन्हें सौंप दिया जाता है और वे लोग इसके तहत एक टोकन नंबर जारी करते हैं. साथ ही अस्थि कलश के बेड पर जरूरी जानकारी को इंगित करते हैं. धार्मिक कर्मकांड में अस्थि विसर्जन को लेकर ऐसी मान्यता है कि इसके बिना मोक्ष नहीं होता है.

पंडित मुकेश शास्त्री से जाने अंतिम संस्कार की विशेष बात

पढ़ें- SPECIAL: अगर आप भी कर रहे हैं इन 5 विषयों की तैयारी, तो ये WEBSITE बन सकती है मददगार

ऐसे में पंडित मुकेश शास्त्री के अनुसार अंतिम संस्कार के साढ़े 11 महीने तक कभी भी अस्थि विसर्जन का विधान गरुड़ पुराण में इंगित किया गया है. समय परिस्थिति के अनुसार 12 महीने के श्राद्ध से पहले अस्थि विसर्जन किया जा सकता है.

अगर जल में अस्थियों को प्रवाहित करने का विकल्प मौजूद नहीं है, तो अंतिम संस्कार स्थल से 100 मीटर की दूरी पर दक्षिण दिशा में जमीन से लगभग 5 फीट की गहराई पर अस्थियों को गाड़ने के बाद की प्रक्रिया को भी विसर्जन की संज्ञा दी गई है. ऐसे में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए आवश्यक है कि लोक डाउन की पालना करें और लॉक डाउन पूरा होने के बाद ही अपने स्वजनों के अंतिम संस्कार के कर्मकांड को पूरा किया जाए

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.