रोहतक. भारत सरकार ने पहले स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन को मानव परीक्षण की अनुमति दे दी है. इस वैक्सिन को हैदराबाद की भारत बायोटेक की तरफ से 'कोवैक्सिन' नाम के टीके का विकास किया जा रहा है. इस अनुमति के बाद देश के 13 बड़े सेंटर्स में इसका ट्रायल शुरू होने जा रहा है. इन 13 सेंटर्स में रोहतक पीजीआई भी शामिल है.
दो चरणों में होगा ट्रायल
अब रोहतक पीजीआईएमएस में मरीजों पर ट्रायल की जाएगी. बताया जा रहा है कि इसके लिए पीजीआई ने मार्च से ही तैयारी शुरू कर दी थी, इस वैक्सीन का दो चरणों में ट्रॉयल किया जाएगा. पहले चरण में 375 और दूसरे चरण में 750 लोगों पर ट्रायल किया जायेगा.
लग सकता है 6 महीने से 1 साल का वक्त
डॉक्टर्स का दावा है कि ट्रायल में 6 महीने से 1 वर्ष तक का समय लग सकता है. यही नहीं अच्छे रिजल्ट आने पर जल्दी ट्रायल खत्म हो सकता है. ट्रायल के साथ-साथ मरीजों को दूसरी जीवन रक्षक दवा भी दी जाएगी, ताकि कोई अनहोनी न हो. पहले और दूसरे चरण में दवा की मात्रा का भी ध्यान रखा जाएगा.
इन डॉक्टर्स पर है अहम जिम्मेदारी
इस अहम ट्रायल के लिए रोहतक के पीजीआईएमएस के फार्माकोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. सविता वर्मा को प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर, कोविड-19 के स्टेट नोडल अधिकारी डॉ. ध्रुव चौधरी और कम्युनिटी विभाग के डॉ. रमेश वर्मा को को-इंवेस्टिगेटर की जिम्मेदारी दी गई है.
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वहीं इस बारे में पीजीआईएमएस के वीसी डॉ. ओपी कालरा ने बताया कि यह ट्रायल 2 चरणों में होना है. उन्होंने कहा की हमें खुशी है कि इस ट्रायल के लिए रोहतक पीजीआईएमएस की चुना गया है. इसके लिए हमने मार्च से ही शुरू कर दी थी.
हैदराबाद की जीनोम वैली में तैयार हुई वैक्सीन
भारत बायोटेक की ओर से जारी बयान के मुताबिक, वैक्सीन को हैदराबाद के जीनोम वैली के बीएसएल-3 (बायो-सेफ्टी लेवल 3) हाई कंटेनमेंट फैसिलिटी में तैयार किया गया है. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने पहले और दूसरे चरण का ह्यूमन ट्रायल शुरू करने की मंजूरी दे दी है.