जयपुर. स्वयंसेवकों को होमगार्ड जवान के नाम से भी जानते हैं. अक्सर होमगार्ड के जवानों को हम ट्रैफिक सिगनल और रात्रि गश्त में पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिला कर जिम्मेदारी निभाते देखते हैं. इतना ही नहीं सरकारी कार्यालयों, पर्यटन स्थलों और आपात कालीन सेवाओं में ये होमगार्ड पूरी मुस्तैदी के साथ तैनात रहते हैं. इन जवानों के तन पर वर्दी भी पुलिस की तरह खाकी होती है, लेकिन दोनों के हालात में काफी अंतर है.
होमगार्ड के जवान इन दिनों काफी तकलीफ में है. तीन महीने से मानदेय नहीं मिलने से वे काफी परेशान हैं. घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में वे डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. राजस्थान होमगार्ड संगठन के अध्यक्ष झलकन सिंह बताते हैं कि प्रदेश में 30 हजार से अधिक होमगार्ड के जवान हैं जो अलग-अलग समय पर अलग-अलग जगह पर अपनी ड्यूटी देते हैं. लेकिन इन जवानों को सितम्बर, अक्टूबर, नवम्बर का मानदेय नहीं मिला है. दिवाली, कोविड और चुनाव में इमरजेंसी सेवाएं देने वाले इन जवानों को मायूसी तब हाथ लगती है, जब उन्हें दिन रात मेहनत करने के बाद भी पारिश्रमिक नहीं मिल पाता है.
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प्रदेश में होमगार्ड
- राजस्थान में 30 हजार से ज्यादा होमगार्ड के जवान
- अलग-अलग समय पर तमाम जगहों पर अपनी ड्यूटी देते हैं
- पुलिस के साथ रात्रि गश्त पर
- ट्रैफिक सिगनल पर यातायात पुलिस के साथ
- आंतरिक कानून व्यवस्था में पुलिस के साथ
- चुनाव के दौरान ड्यूटी
- सरकारी मुख्यालय जैसे सचिवालय, नगर निगम, पुरातत्व विभाग, एमएनआईटी, पर्यटन स्थल, म्यूजिम व हाईकोर्ट जैसी जगह तैनाती
- मोटर गैराज में ड्राइवर के रूप में
- सरकारी कार्यलयों में अन्य कार्य में भी सेवाएं देते हैं
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संगठन के प्रदेश अध्यक्ष झलकन सिंह बताते हैं कि प्रदेश में 30 हजार से ज्यादा होमगार्ड के जवान हैं, लेकिन इन्हें एक साथ और नियमित ड्यूटी नहीं मिलती है. 30 हजार में से 9 से 10 हजार जवानों को ही ड्यूटी पर बुलाया जाता है. इस महीने जो होमगार्ड का जवान ड्यूटी कर रहा है उसे यह भी पता नहीं कि अगले महीने उन्हें ड्यूटी पर आना है या नहीं. खास बात यह है कि सरकारी कर्मचारी की तरह ही यह जवान काम करते हैं. पुलिस के साथ कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए वे मुस्तैद रहते हैं, लेकिन मानदेय के नाम पर उन्हें 590 से 693 रुपए प्रतिदिन मिलता है.