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हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर पूछा- किन्नरों के कल्याणकारी प्रावधानों को लागू करने के लिए क्या कर रही है सरकार - राजस्थान हाई कोर्ट न्यूज

राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव और प्रमुख स्वास्थ्य सचिव को नोटिस जारी कर पूछा है कि किन्नरों के लिए किए गए कल्याणकारी प्रावधानों को लागू करने के लिए सरकार क्या कर रही है.

Transgender Person Act, जयपुर न्यूज
किन्नरों के लिए किए गए कल्याणकारी प्रावधानों को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा सवाल
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Published : Jan 9, 2020, 9:29 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव और प्रमुख स्वास्थ्य सचिव को नोटिस जारी कर पूछा है कि किन्नरों के लिए किए गए कल्याणकारी प्रावधानों को लागू करने के लिए सरकार क्या कर रही है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश अधिवक्ता शालिनी श्योराण की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.

किन्नरों के लिए किए गए कल्याणकारी प्रावधानों को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा सवाल

याचिका में कहा गया कि वर्ष 2011 की जनसंख्या के अनुसार प्रदेश में किन्नरों की संख्या 16 हजार पांच सौ थी, जो अब वर्ष 2018 में बढ़कर करीब 75 हजार हो गई है. राज्य सरकार ने इनके कल्याण के लिए ट्रांसजेंडर पर्सन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) एक्ट, 2019 बनाया है. जिसमें प्रावधान किया गया है कि इन्हें अलग से पहचान पत्र दिया जाएगा.

वहीं इनकी शिकायतों के निवारण के लिए कमेटी गठित करने के साथ ही पुनर्वास केन्द्र खोलने और संपत्ति में अधिकार देने का भी प्रावधान किया गया है. अधिनियम के तहत किन्नर को अपने परिवार से अलग नहीं किया जाएगा. वहीं इनके लिए अलग से शौचालय भी बनाए जाएंगे. याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल 2014 को आदेश जारी कर इन्हें सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा मानते हुए आरक्षण देने सहित अन्य प्रावधान छह माह में लागू करने को कहा था.

पढ़ें- कोटा: रिश्वतखोर एएसआई को कोर्ट ने भेजा 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में

इसके बावजूद इन्हें आज तक लागू नहीं किया गया. याचिका में कहा गया कि अधिनियम बनाने के बाद उसके प्रावधानों को लागू करने के संबंध में नियम ही नहीं बने हैं. जिसके चलते अधिनियम लागू नहीं हो पा रहा है. याचिका में यह भी कहा गया कि एचआईवी संक्रमण में देशभर में प्रदेश का सातवां स्थान है. यहां रोजाना तीन से चार लोगों की मौत एड्स या एचआईवी संक्रमण से होती है. इसके बावजूद राज्य सरकार एड्स कन्ट्रोल एक्ट, 2007 के प्रावधानों को लागू नहीं कर रही है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव और प्रमुख स्वास्थ्य सचिव को नोटिस जारी कर पूछा है कि किन्नरों के लिए किए गए कल्याणकारी प्रावधानों को लागू करने के लिए सरकार क्या कर रही है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश अधिवक्ता शालिनी श्योराण की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.

किन्नरों के लिए किए गए कल्याणकारी प्रावधानों को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा सवाल

याचिका में कहा गया कि वर्ष 2011 की जनसंख्या के अनुसार प्रदेश में किन्नरों की संख्या 16 हजार पांच सौ थी, जो अब वर्ष 2018 में बढ़कर करीब 75 हजार हो गई है. राज्य सरकार ने इनके कल्याण के लिए ट्रांसजेंडर पर्सन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) एक्ट, 2019 बनाया है. जिसमें प्रावधान किया गया है कि इन्हें अलग से पहचान पत्र दिया जाएगा.

वहीं इनकी शिकायतों के निवारण के लिए कमेटी गठित करने के साथ ही पुनर्वास केन्द्र खोलने और संपत्ति में अधिकार देने का भी प्रावधान किया गया है. अधिनियम के तहत किन्नर को अपने परिवार से अलग नहीं किया जाएगा. वहीं इनके लिए अलग से शौचालय भी बनाए जाएंगे. याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल 2014 को आदेश जारी कर इन्हें सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा मानते हुए आरक्षण देने सहित अन्य प्रावधान छह माह में लागू करने को कहा था.

पढ़ें- कोटा: रिश्वतखोर एएसआई को कोर्ट ने भेजा 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में

इसके बावजूद इन्हें आज तक लागू नहीं किया गया. याचिका में कहा गया कि अधिनियम बनाने के बाद उसके प्रावधानों को लागू करने के संबंध में नियम ही नहीं बने हैं. जिसके चलते अधिनियम लागू नहीं हो पा रहा है. याचिका में यह भी कहा गया कि एचआईवी संक्रमण में देशभर में प्रदेश का सातवां स्थान है. यहां रोजाना तीन से चार लोगों की मौत एड्स या एचआईवी संक्रमण से होती है. इसके बावजूद राज्य सरकार एड्स कन्ट्रोल एक्ट, 2007 के प्रावधानों को लागू नहीं कर रही है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

Intro:बाईट- याचिकाकर्ता शालिनी श्योराण


जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव और प्रमुख स्वास्थ्य सचिव को नोटिस जारी कर पूछा है कि किन्नरों के लिए किए गए कल्याणकारी प्रावधानों को लागू करने के लिए सरकार क्या कर रही है। न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश अधिवक्ता शालिनी श्योराण की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए।Body:याचिका में कहा गया कि वर्ष 2011 की जनसंख्या के अनुसार प्रदेश में किन्नरों की संख्या 16 हजार पांच सौ थी, जो अब वर्ष 2018 में बढक़र करीब 75 हजार हो गई है। राज्य सरकार ने इनके कल्याण के लिए ट्रांसजेंडर पर्सन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स)एक्ट, 2019 बनाया है। जिसमें प्रावधान किया गया है कि इन्हें अलग से पहचान पत्र दिया जाएगा। वहीं इनकी शिकायतों के निवारण के लिए कमेटी गठित करने के साथ ही पुनर्वास केन्द्र खोलने और संपत्ति में अधिकार देने का भी प्रावधान किया गया है। अधिनियम के तहत किन्नर को अपने परिवार से अलग नहीं किया जाएगा। वहीं इनके लिए अलग से शौचालय भी बनाए जाएंगे। याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल 2014 को आदेश जारी कर इन्हें सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछडा मानते हुए आरक्षण देने सहित अन्य प्रावधान छह माह में लागू करने को कहा था। इसके बावजूद इन्हें आज तक लागू नहीं किया गया। याचिका में कहा गया कि अधिनियम बनाने के बाद उसके प्रावधानों को लागू करने के संबंध में नियम ही नहीं बने हैं। जिसके चलते अधिनियम लागू नहीं हो पा रहा है। याचिका में यह भी कहा गया कि एचआईवी संक्रमण में देशभर में प्रदेश का सातवां स्थान है। यहां रोजाना तीन से चार लोगों की मौत एड्स या एचआईवी संक्रमण से होती है। इसके बावजूद राज्य सरकार एड्स कन्ट्रोल एक्ट, 2007 के प्रावधानों को लागू नहीं कर रही है। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।Conclusion:
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