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एमएलए की खरीद-फरोख्त से जुड़े ऑडियो वायरल करने के मामले में बहस पूरी, फैसला 7 मई को

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Published : Apr 30, 2022, 9:24 PM IST

एमएलए की कथित खरीद-फरोख्त से जुड़े ऑडियो वायरल करने के मामले (MLA horse-trading audio viral case) में सुनवाई पूरी हो चुकी है. इस बहुचर्चित मामले में सात मई को कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी.

MLA horse-trading audio viral case
एमएलए की खरीद-फरोख्त ऑडियो वायरल मामले में 7 मई को फैसला

जयपुर. अतिरिक्त सत्र न्यायालय क्रम-3 महानगर प्रथम में एमएलए की कथित खरीद-फरोख्त से जुड़े ऑडियो वायरल करने और इस संबंध में बयानबाजी करने के मामले (MLA horse-trading audio viral case) में बहस पूरी हो गई है. अदालत ओमप्रकाश सोलंकी की इस रिवीजन अर्जी पर सात मई को फैसला देगी. मामले में अशोक गहलोत और महेश जोशी के अलावा सीएम के ओएसडी लोकेश शर्मा, तत्कालीन सीएस, गृह सचिव, डीजीपी, एडीजी सहित एसओजी के थानाधिकारी रविंद्र कुमार को पक्षकार बनाया है.

अर्जी में कहा कि परिवादी ने ऑडियो को वायरल करने और अशोक गहलोत की ओर से बयानबाजी करने को लेकर निचली कोर्ट में परिवाद दायर किया था, लेकिन कोर्ट ने पूर्वाग्रह के चलते नवंबर 2021 में उसको खारिज कर दिया था. इसलिए निचली कोर्ट का आदेश रद्द कर मामले को जांच के लिए संबंधित पुलिस थाने भिजवाया जाए. वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि प्रकरण निचली अदालत में सुनवाई के योग्य नहीं है. निचली अदालत के परिवाद रद्द करने के आदेश को आपराधिक याचिका के जरिए हाईकोर्ट में चुनौती दी जानी चाहिए.

जयपुर. अतिरिक्त सत्र न्यायालय क्रम-3 महानगर प्रथम में एमएलए की कथित खरीद-फरोख्त से जुड़े ऑडियो वायरल करने और इस संबंध में बयानबाजी करने के मामले (MLA horse-trading audio viral case) में बहस पूरी हो गई है. अदालत ओमप्रकाश सोलंकी की इस रिवीजन अर्जी पर सात मई को फैसला देगी. मामले में अशोक गहलोत और महेश जोशी के अलावा सीएम के ओएसडी लोकेश शर्मा, तत्कालीन सीएस, गृह सचिव, डीजीपी, एडीजी सहित एसओजी के थानाधिकारी रविंद्र कुमार को पक्षकार बनाया है.

अर्जी में कहा कि परिवादी ने ऑडियो को वायरल करने और अशोक गहलोत की ओर से बयानबाजी करने को लेकर निचली कोर्ट में परिवाद दायर किया था, लेकिन कोर्ट ने पूर्वाग्रह के चलते नवंबर 2021 में उसको खारिज कर दिया था. इसलिए निचली कोर्ट का आदेश रद्द कर मामले को जांच के लिए संबंधित पुलिस थाने भिजवाया जाए. वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि प्रकरण निचली अदालत में सुनवाई के योग्य नहीं है. निचली अदालत के परिवाद रद्द करने के आदेश को आपराधिक याचिका के जरिए हाईकोर्ट में चुनौती दी जानी चाहिए.

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