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लोक कलाओं के संरक्षण और विकास के लिए बने प्रभावी वातावरणः राज्यपाल कलराज मिश्र - लोक कलाओं का संरक्षण

राज्यपाल कलराज मिश्र ने लोक कलाओं के संरक्षण और विकास के लिए समाज में प्रभावी वातावरण निर्माण किए जाने का आह्वान किया है. उन्होंने पारम्परिक कलाओं के प्रलेखन के साथ ही कलाकारों की प्रस्तुतियों के लिए अधिकाधिक अवसर दिए जाने पर भी जोर दिया है.

राज्यपाल कलराज मिश्र, Rajasthan Governor kalraj Mishra
राज्यपाल कलराज मिश्र
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Published : Mar 25, 2021, 4:04 PM IST

जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र ने लोक कलाओं के संरक्षण और विकास के लिए समाज में प्रभावी वातावरण निर्माण किए जाने का आह्वान किया है. उन्होंने पारम्परिक कलाओं के प्रलेखन के साथ ही कलाकारों की प्रस्तुतियों के लिए अधिकाधिक अवसर दिए जाने पर भी जोर दिया है.

राज्यपाल मिश्र गुरुवार को यहां राजभवन में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर के डाॅ. कोमल कोठारी लाइफ टाइम अचीवमेन्ट लोक कला पुरस्कार समारोह में संबोधित कर रहे थे. राज्यपाल मिश्र ने इस अवसर पर गोवा के प्रख्यात लोक कलाविद विनायक विष्णु खेडे़कर और गोवा के ही लोक संगीतकार और नर्तक कांता काशीनाथ गावड़े को वर्ष-2020 के लिए यह पुरस्कार प्रदान किए. उन्होंने दोनों लोक संस्कृति कर्मियों को प्रशस्ति पत्र, शाॅल और तुलसी का पौधा भी भेंट किया.

राज्यपाल कलराज मिश्र, Rajasthan Governor kalraj Mishra
राज्यपाल कलराज मिश्र

राज्यपाल ने कहा कि कलाकार के लिए कला की साधना ही ईश्वर प्राप्ति के समान होती है. लोक कलाकारों पर ही लोक कला और संस्कृति के संरक्षण और उसका उजास जन-जन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी होती है. उन्होंने कहा कि लोक कलाकारों के कार्य और योगदान से नई पीढ़ी को लोक कलाओं से जुड़ने और इन्हें सीखने की प्रेरणा मिलती है.

यह भी पढ़ेंः राजसमंद विधानसभा उपचुनाव 2021: रोचक हुआ मुकाबला, कांग्रेस ने "खिलाड़ियों को बनाया कोच"

पद्मश्री से सम्मानित गोवा के रेवन्दर निवासी खेडे़कर ने गोवा की प्रामाणिक कला और जनजाति कला शैलियों के संरक्षण, लोक वाद्य, लोक नृत्य, रीति रिवाजों और परम्पराओं पर गहन शोध और प्रलेखन किया है और उनकी 13 शोध आधारित पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं.

गोवा के मार्दोल निवासी कांता काशीनाथ गावड़े ने गावड़ा जनजाति के जागर लोकनाट्य की परम्परा के संरक्षण और प्रसार के लिए नाटक और फिल्मों के माध्यम से नये प्रयोग किए हैं. गावड़े ने गोवा की सुंवारी शैली पर आधारित संगीतमयी प्रस्तुति 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का निर्माण भी किया है.

राज्यपाल मिश्र ने कार्यक्रम के दौरान पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के संस्कृति भवन का वर्चुअल शिलान्यास भी किया. केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल के रिकॉर्डेड शुभकामना संदेश का प्रसारण भी कार्यक्रम के दौरान किया गया.

यह भी पढ़ेंः महज डेढ़ घंटे और नकदी समेत डेढ़ करोड़ का सामान गायब...

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर की निदेशक डाॅ. किरण सोनी गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि केन्द्र लोक कलाकारों को प्रोत्साहन देने, उन्हें मंच प्रदान करने और लोक कलाओं से जुड़े शोध और प्रलेखन की दिशा में निरंतर सक्रिय हैं. उन्होंने अपने संबोधन में पद्मभूषण डाॅ. कोमल कोठारी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर भी प्रकाश डाला.

कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्दराम जायसवाल,महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, दमन-दीव एवं राजस्थान से पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द के बोर्ड सदस्य, अधिकारीगण और संस्कृतिकर्मी आनलाइन और प्रत्यक्ष उपस्थित थे.

जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र ने लोक कलाओं के संरक्षण और विकास के लिए समाज में प्रभावी वातावरण निर्माण किए जाने का आह्वान किया है. उन्होंने पारम्परिक कलाओं के प्रलेखन के साथ ही कलाकारों की प्रस्तुतियों के लिए अधिकाधिक अवसर दिए जाने पर भी जोर दिया है.

राज्यपाल मिश्र गुरुवार को यहां राजभवन में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर के डाॅ. कोमल कोठारी लाइफ टाइम अचीवमेन्ट लोक कला पुरस्कार समारोह में संबोधित कर रहे थे. राज्यपाल मिश्र ने इस अवसर पर गोवा के प्रख्यात लोक कलाविद विनायक विष्णु खेडे़कर और गोवा के ही लोक संगीतकार और नर्तक कांता काशीनाथ गावड़े को वर्ष-2020 के लिए यह पुरस्कार प्रदान किए. उन्होंने दोनों लोक संस्कृति कर्मियों को प्रशस्ति पत्र, शाॅल और तुलसी का पौधा भी भेंट किया.

राज्यपाल कलराज मिश्र, Rajasthan Governor kalraj Mishra
राज्यपाल कलराज मिश्र

राज्यपाल ने कहा कि कलाकार के लिए कला की साधना ही ईश्वर प्राप्ति के समान होती है. लोक कलाकारों पर ही लोक कला और संस्कृति के संरक्षण और उसका उजास जन-जन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी होती है. उन्होंने कहा कि लोक कलाकारों के कार्य और योगदान से नई पीढ़ी को लोक कलाओं से जुड़ने और इन्हें सीखने की प्रेरणा मिलती है.

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पद्मश्री से सम्मानित गोवा के रेवन्दर निवासी खेडे़कर ने गोवा की प्रामाणिक कला और जनजाति कला शैलियों के संरक्षण, लोक वाद्य, लोक नृत्य, रीति रिवाजों और परम्पराओं पर गहन शोध और प्रलेखन किया है और उनकी 13 शोध आधारित पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं.

गोवा के मार्दोल निवासी कांता काशीनाथ गावड़े ने गावड़ा जनजाति के जागर लोकनाट्य की परम्परा के संरक्षण और प्रसार के लिए नाटक और फिल्मों के माध्यम से नये प्रयोग किए हैं. गावड़े ने गोवा की सुंवारी शैली पर आधारित संगीतमयी प्रस्तुति 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का निर्माण भी किया है.

राज्यपाल मिश्र ने कार्यक्रम के दौरान पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के संस्कृति भवन का वर्चुअल शिलान्यास भी किया. केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल के रिकॉर्डेड शुभकामना संदेश का प्रसारण भी कार्यक्रम के दौरान किया गया.

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पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर की निदेशक डाॅ. किरण सोनी गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि केन्द्र लोक कलाकारों को प्रोत्साहन देने, उन्हें मंच प्रदान करने और लोक कलाओं से जुड़े शोध और प्रलेखन की दिशा में निरंतर सक्रिय हैं. उन्होंने अपने संबोधन में पद्मभूषण डाॅ. कोमल कोठारी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर भी प्रकाश डाला.

कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्दराम जायसवाल,महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, दमन-दीव एवं राजस्थान से पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द के बोर्ड सदस्य, अधिकारीगण और संस्कृतिकर्मी आनलाइन और प्रत्यक्ष उपस्थित थे.

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