जयपुर. अगस्ता हेलीकॉप्टर गहलोत सरकार के बोझ बन गया है. यह हेलीकॉप्टर न तो काम आ रहा है और न ही इसका बेचान हो पा रहा है. 12 बार बोली लगाने पर भी उसको खरीदार नहीं मिल रहा है. ऐसे में अब सरकार एक बार फिर कीमत में कमी करके वायुयान किंग एयर सी-90 के साथ अगस्ता हेलीकॉप्टर को नीलामी के माध्यम से बेचेगी.
मुख़्य सचिव निरजंन आर्य की अध्यक्षता में सचिवालय में आज हुई उच्च स्तरीय बैठक में अगस्ता हेलीकॉप्टर को बेचने पर सहमति बनी. बैठक में अगस्ता हेलीकॉप्टर के साथ वायुयान किंग एअर सी-90 भी नीलामी करने पर भी सहमति बनी. मुख्य सचिव ने नागरिक विमानन विभाग को इन दोनों को बेचने के लिए रिजर्व प्राइस से प्लस-माइनस दर पर निविदा आमंत्रित करने के निर्देश दिए.
बैठक में राजकीय वायुयान किंग-200 की मरम्मत कराकर फिर उपयोग में लेने और किंग एयर सी-90 एवं अगस्ता हेलीकॉप्टर को बेचने के बारे में उच्च स्तर पर निर्णय लेने पर बनी सहमति बनने के बाद उन्हाेंने इस सम्बन्ध में प्रस्ताव प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं. मुख्य सचिव ने अधिकारियों से दोनों राजकीय वायुयान के साथ अगस्ता हेलीकॉप्टर की वर्तमान स्थिति, भविष्य में उपयोग की संभावना और व्यवहारिकता पर विस्तृत चर्चा की.
इसके बाद वायुयान किंग-200 की मरम्मत कराकर फिर से उपयोग योग्य बनाने के निर्णय के लिए प्रस्ताव प्रस्तावित करने का निर्णय लिया गया. आर्य ने कहा कि इस वायुयान को पहले अधिघोषित किया जा चुका है. इसलिए इसे पुनः कार्य योग्य बनाकर लीज पर देने के लिए प्रस्ताव तैयार करना सुनिश्चित किया जाए. जरूरत होने पर इसका राज्य सरकार भी उपयोग कर सकेगी.
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12 बार बेचने का प्रयास
स्टेट हैंगर के नागरिक उड्डयन निदेशालय में एडब्ल्यू—109 ई पावर हेलीकॉप्टर की नीलामी के लिए सरकार ने रिजर्व कीमत इस बार 4.5 करोड़ रुपए रखी. पिछले महीने 6 अप्रैल को नीलामी में कोई खरीददार नहीं आया था. सरकार ने एक बार फिर बिड की तारीख बढ़ाई है. पहले 2 फरवरी को इसकी नीलामी आमंत्रित की गई थी.
पिछले 7 वर्षों में इस हेलीकॉप्टर को 12 बार बेचने का प्रयास किया गया. लेकिन यह नहीं बिक पाया. सरकार ने हेलीकॉप्टर को 30 करोड़ रुपये में खरीदा था. वसुंधरा सरकार ने वर्ष 2005 में हेलीकॉप्टर खरीदा था. 6 अप्रैल को राज्य सरकार ने नीलामी की शर्तों में संशोधन कर एक बार फिर बिकवाली निकाली. लेकिन कोई खरीददार नहीं आया.
7 वर्ष पहले इसके 18 करोड़ रुपये मिल रहे थे. लेकिन नौकरशाही के अड़ंगे के कारण तब इसे बेचा नहीं जा सका. इसके बाद 14 करोड़ में नीलामी रखी गई. फिर 12 करोड़ 40 लाख और इसके बाद 11 करोड़ में हेलीकॉप्टर बेचने की कोशिश की गई. लेकिन हर बार कोशिश नाकाम रही.
हेलीकॉप्टर को साढ़े 4 करोड़ में बेचने को लेकर भी प्रयास किया गया जो सफल नहीं हुआ. मुख्यमंत्री की उड़ान के समय पंखे की ब्लेड टूटने के बाद यह हेलीकॉप्टर ग्राउंड पर खड़ा है. सरकार ने साल 2005 में अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से 30 करोड़ रुपए से अधिक में यह पावर हेलीकॉप्टर ए-109 ई खरीदा था.