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सिंदूरी चोला, स्वर्ण मुकुट, नौलखा हार धारण कर चांदी के सिंहासन पर विराजे गणपति, दर्शन के लिए पहुंचे श्रद्धालु

गणेश चतुर्थी पर जयपुर के मोती डूंगरी स्थित गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ (Ganesh Chaturthi in Moti Dungri Mandir) है. सोने-चांदी के आभूषणों से सजे भगवान गणेश की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालु लाइनों में लगे नजर आए. गुरुवार को शहर में गणेश जी की शोभायात्रा निकाली जाएगी, जिसमें कई आकर्षक झांकियां होंगी.

Ganesh Chaturthi in Moti Dungri Mandir, lakhs of devotees reached to get a glimpse of Ganesh Ji
सिंदूरी चोला, स्वर्ण मुकुट, नौलखा हार धारण कर चांदी के सिंहासन पर विराजे गणपति के दर्शन के लिए पहुंचे लाखों श्रद्धालु
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Published : Aug 31, 2022, 11:55 PM IST

जयपुर. गणेश चतुर्थी पर छोटी काशी में प्रथम पूज्य भगवान गणेश का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. सुबह से शाम और रात को भी गणपति के दरबार में भक्तों का सैलाब पहुंचता हुआ नजर आया. विशेषकर मोती डूंगरी गणेश मंदिर में. जहां गणपति पर सिंदूर का चोला चढ़ा स्वरूप विराजमान है. ये मंदिर भगवान गणेश के प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. गणेश चतुर्थी के अवसर पर यहां लाखों की संख्या श्रद्धालु पहुंचे. इस मंदिर के प्रति लोगों की खास आस्था और विश्वास जुड़ा हुआ है.

भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को बुधवार को पूरा शहर जन्मोत्सव के उल्लास में डूबा हुआ नजर आ रहा है. घर-घर में प्रथम पूज्य गणपति का गुणगान हो रहा है. वहीं शहर के गणेश मंदिरों में गणपति के जयकारे गूंज रहे हैं. मोती डूंगरी गणेशजी मंदिर में गणेश जी को स्वर्ण मुकुट धारण करा चांदी के सिंहासन पर विराजमान कराया गया (Ganesh Chaturthi in Moti Dungri Mandir) है. मोती, सोना, पन्ना, माणक के साथ पारंपरिक शृंगार किया गया है. वहीं 2 साल बाद कोरोना का प्रभाव कम होने के चलते इस बार भक्तों में भी खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. यही वजह है कि भगवान के पल भर के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु जेएलएन रोड, तख्तेशाही रोड और एमडी रोड पर लगे बैरिकेडिंग से गुजरते हुए मंदिर तक पहुंच रहे हैं.

मोती डूंगरी गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी को उमड़ी भक्तों की भीड़...

पढ़ें: घर देने वाले गणेश जी के नाम से मशहूर है जैसलमेर का चूंधी गणेश मंदिर

मोती डूंगरी गणेश मंदिर का इतिहास: मोती डूंगरी की तलहटी में स्थित भगवान गणेश का ये मंदिर जयपुरवासियों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. इतिहासकारों की मानें तो यहां स्थापित गणेश प्रतिमा जयपुर नरेश माधोसिंह प्रथम की पटरानी के पीहर मावली से 1761 ईस्वी में लाई गई थी. मावली में ये प्रतिमा गुजरात से लाई गई थी. उस समय ये 500 वर्ष पुरानी थी. जयपुर के नगर सेठ पल्लीवाल यह मूर्ति लेकर आए थे और उन्हीं की देख-रेख में मोती डूंगरी की तलहटी में इस मंदिर को बनवाया गया था.

पढ़ें: मोती डूंगरी गणेश मंदिर में भगवान को अर्पित की 3100 किलो मेहंदी, पहनाया नौलखा हार

मंदिर से जुड़ी है ये मान्यता: मोती डूंगरी स्थित गणेश मंदिर जयपुरवासियों के लिए प्रथम अराध्य माने जाते हैं. मंदिर को लेकर लोगों की मान्यता है कि यदि कोई भी व्यक्ति नया वाहन खरीदता है, तो उसे सबसे पहले मोती डूंगरी गणेश मंदिर में लाने की परंपरा है. नवरात्रा, रामनवमी, दशहरा, धनतेरस और दीपावली जैसे खास मुहूर्त पर वाहनों की पूजा के लिए यहां लंबी कतारें लगती हैं. लोगों का ऐसा मानना है कि नए वाहन की यहां लाकर पूजा करने से वाहन का एक्सीडेंट नहीं होता. इसके अलावा यहां शादी के समय पहला निमंत्रण-पत्र मंदिर में चढ़ाने की परंपरा है. मान्यता है कि निमंत्रण पर गणेश उनके घर आते हैं और शादी विवाह के सभी कार्यों को शुभता से पूर्ण करवाते हैं.

पढ़ें: भीलवाड़ा में बनाई भगवान गणेश की इको फ्रेंडली मूर्तियां

गुरुवार को निकलेगी भव्य शोभायात्रा: गणपति महोत्सव समिति की ओर से मोती डूंगरी गणेश मंदिर से गुरुवार को आतिशबाजी के साथ शोभायात्रा निकाली जाएगी. शोभायात्रा दोपहर 3 बजे ध्वज पूजन के बाद रवाना होगी. हाथी, घोड़े, ऊंट, बग्घी के साथ निकलने वाली शोभायात्रा में प्रमुख बैंडबाजों के वादन पूरे वातावरण को गणपति जन्मोत्सव से सराबोर करेंगे. शोभायात्रा में नोबत नगाड़ों की झांकी, अमृत महोत्सव की तिरंगा झांकी, त्रिपोलिया गेट पर गणेश जी रिद्धि-सिद्धि के साथ पृथ्वी पर नृत्य करते की झांकी, बालरूपी गणेश जी और शिव की पीठ पर खेलते गणेश जी की झांकी नजर आएगी. इसके साथ ही रिद्धि सिद्धी के साथ घूमर नृत्य करते और शेषनाग पर विराजे गणेश जी को दर्शाती झांकियां आकर्षण का केंद्र होंगी.

जयपुर. गणेश चतुर्थी पर छोटी काशी में प्रथम पूज्य भगवान गणेश का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. सुबह से शाम और रात को भी गणपति के दरबार में भक्तों का सैलाब पहुंचता हुआ नजर आया. विशेषकर मोती डूंगरी गणेश मंदिर में. जहां गणपति पर सिंदूर का चोला चढ़ा स्वरूप विराजमान है. ये मंदिर भगवान गणेश के प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. गणेश चतुर्थी के अवसर पर यहां लाखों की संख्या श्रद्धालु पहुंचे. इस मंदिर के प्रति लोगों की खास आस्था और विश्वास जुड़ा हुआ है.

भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को बुधवार को पूरा शहर जन्मोत्सव के उल्लास में डूबा हुआ नजर आ रहा है. घर-घर में प्रथम पूज्य गणपति का गुणगान हो रहा है. वहीं शहर के गणेश मंदिरों में गणपति के जयकारे गूंज रहे हैं. मोती डूंगरी गणेशजी मंदिर में गणेश जी को स्वर्ण मुकुट धारण करा चांदी के सिंहासन पर विराजमान कराया गया (Ganesh Chaturthi in Moti Dungri Mandir) है. मोती, सोना, पन्ना, माणक के साथ पारंपरिक शृंगार किया गया है. वहीं 2 साल बाद कोरोना का प्रभाव कम होने के चलते इस बार भक्तों में भी खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. यही वजह है कि भगवान के पल भर के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु जेएलएन रोड, तख्तेशाही रोड और एमडी रोड पर लगे बैरिकेडिंग से गुजरते हुए मंदिर तक पहुंच रहे हैं.

मोती डूंगरी गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी को उमड़ी भक्तों की भीड़...

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मोती डूंगरी गणेश मंदिर का इतिहास: मोती डूंगरी की तलहटी में स्थित भगवान गणेश का ये मंदिर जयपुरवासियों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. इतिहासकारों की मानें तो यहां स्थापित गणेश प्रतिमा जयपुर नरेश माधोसिंह प्रथम की पटरानी के पीहर मावली से 1761 ईस्वी में लाई गई थी. मावली में ये प्रतिमा गुजरात से लाई गई थी. उस समय ये 500 वर्ष पुरानी थी. जयपुर के नगर सेठ पल्लीवाल यह मूर्ति लेकर आए थे और उन्हीं की देख-रेख में मोती डूंगरी की तलहटी में इस मंदिर को बनवाया गया था.

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मंदिर से जुड़ी है ये मान्यता: मोती डूंगरी स्थित गणेश मंदिर जयपुरवासियों के लिए प्रथम अराध्य माने जाते हैं. मंदिर को लेकर लोगों की मान्यता है कि यदि कोई भी व्यक्ति नया वाहन खरीदता है, तो उसे सबसे पहले मोती डूंगरी गणेश मंदिर में लाने की परंपरा है. नवरात्रा, रामनवमी, दशहरा, धनतेरस और दीपावली जैसे खास मुहूर्त पर वाहनों की पूजा के लिए यहां लंबी कतारें लगती हैं. लोगों का ऐसा मानना है कि नए वाहन की यहां लाकर पूजा करने से वाहन का एक्सीडेंट नहीं होता. इसके अलावा यहां शादी के समय पहला निमंत्रण-पत्र मंदिर में चढ़ाने की परंपरा है. मान्यता है कि निमंत्रण पर गणेश उनके घर आते हैं और शादी विवाह के सभी कार्यों को शुभता से पूर्ण करवाते हैं.

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गुरुवार को निकलेगी भव्य शोभायात्रा: गणपति महोत्सव समिति की ओर से मोती डूंगरी गणेश मंदिर से गुरुवार को आतिशबाजी के साथ शोभायात्रा निकाली जाएगी. शोभायात्रा दोपहर 3 बजे ध्वज पूजन के बाद रवाना होगी. हाथी, घोड़े, ऊंट, बग्घी के साथ निकलने वाली शोभायात्रा में प्रमुख बैंडबाजों के वादन पूरे वातावरण को गणपति जन्मोत्सव से सराबोर करेंगे. शोभायात्रा में नोबत नगाड़ों की झांकी, अमृत महोत्सव की तिरंगा झांकी, त्रिपोलिया गेट पर गणेश जी रिद्धि-सिद्धि के साथ पृथ्वी पर नृत्य करते की झांकी, बालरूपी गणेश जी और शिव की पीठ पर खेलते गणेश जी की झांकी नजर आएगी. इसके साथ ही रिद्धि सिद्धी के साथ घूमर नृत्य करते और शेषनाग पर विराजे गणेश जी को दर्शाती झांकियां आकर्षण का केंद्र होंगी.

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