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SPECIAL: पटवारियों के आंदोलन का असर, लाखों किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के मुआवजे से वंचित, फसल बेचने में भी होगी परेशानी

ग्रेड पे 3600 सहित अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश के पटवारी पिछले 15 फरवरी से शहीद स्मारक पर धरने पर बैठे हैं. पटवारियों के इस आंदोलन से छात्र, आम जनता तो परेशान हो ही रही है. साथ ही सबसे अधिक नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है. पटवारियों के आंदोलन के चलते किसानों की क्रॉप कटिंग नहीं हो पा रही, जिसके कारण लाखों किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ भी नहीं मिल रहा. देखें पूरी रिपोर्ट...

effect of Patwaris Movement, Movement of Patwaris
पटवारियों के आंदोलन का असर
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Published : Apr 5, 2021, 12:46 PM IST

जयपुर. ग्रेड पे 3600 सहित अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर पटवारी सरकार के खिलाफ लगातार आक्रोश जता रहे हैं. इससे प्रदेश की आम जनता के साथ-साथ किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. 50 से ज्यादा ऐसे काम हैं, जो केवल पटवारी ही करता है. पटवारियों के काम नहीं करने से सरकार के राजस्व पर भी असर पड़ रहा है. प्रतिदिन सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का घाटा हो रहा है. सरकार की योजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं.

पटवारियों के आंदोलन का असर

पटवारियों के आंदोलन से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, बुजुर्ग एवं सामाजिक पेंशन रिपोर्ट, नामांतरण के काम, किसान क्रेडिट कार्ड के लोन का काम, जाति सहित सभी तरह के प्रमाण पत्र, क्रॉप कटिंग का काम, पंजीयन, गिरदावरी, भूमि रूपांतरण आदि ऐसे काम हैं, जो प्रभावित हो रहे हैं.

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि पटवारियों के आंदोलन के चलते 2 कामों में किसानों को बहुत नुकसान हुआ है. पहला तो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सभी किसानों की क्रॉप कटिंग ऑनलाइन नहीं हो पाई, जिसमें पटवारियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. इसके कारण प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ किसानों को नहीं मिला.

पटवारियों के आंदोलन के चलते एमएसपी पर खरीद के लिए होने वाले पंजीयन में भी देरी हुई, जिसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ा. एमएसपी पर खरीद के लिए सरकार ने खसरा गिरदावरी की नकल की अनिवार्य की हुई है. पटवारियों के आंदोलन के चलते किसानों की गिरदावरी नहीं हो पाई और गिरदावरी रिपोर्ट किसानों के पास नहीं पहुंची. पटवारियों के आंदोलन के चलते अब सरकार ने खसरा गिरदावरी की नकल की अनिवार्यता समाप्त कर दी है और एक शपथ पत्र के जरिए किसान एमएसपी पर खरीद के लिए पंजीयन करा सकता है.

पढ़ें- स्पेशल: मित्र कीट और फफूंद से खेतों में हो रहा कीटों का सफाया, जैविक खेती को मिल रहा बढ़ावा

रामपाल जाट का कहना है कि कोई भी किसानों के बारे में नहीं सोचता है, ना तो सरकार और न ही पटवारी, लेकिन यदि सरकार को लगता है कि पटवारियों का आंदोलन जायज है, उनकी मांगें सही हैं, तो सरकार को उनकी मांगें मान लेनी चाहिए. उन्होंने सभी कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां जल्द से जल्द दूर करने की मांग की.

प्रधानमंत्री फसल बीमा को लेकर रामपाल जाट ने आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार प्रीमियम तो सभी किसानों का काट लेती है, लेकिन जब क्लेम देने की बात ही आती है तो वह हाथ पीछे खींच लेती है और सभी किसानों को मुआवजा नहीं दिया जाता. पटवारियों जैसे आंदोलन से किसानों को नुकसान होता है और सरकार उसकी पूरी भरपाई नहीं करती.

किसान राजेश कुमावत ने बताया कि किसानों का सीधा लिंक पटवारी से होता है अधिकतर काम पटवारियों के जरिए ही पूरा होता है. पिछले डेढ़ महीने से किसान परेशान हो रहा है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की कई फाइलें किसानों की अटकी हुई हैं. हाल ही में आंधी तूफान से किसानों की फसलों को भी नुकसान हुआ है, जिसका भी मूल्यांकन पटवारियों के आंदोलन के चलते नहीं हो पाया. कई नामांतरण भी अभी तक नहीं खुले हैं.

कुमावत ने कहा कि कई किसानों ने अपना ऋण चुका दिया है और वह ऋण मुक्त होना चाहते हैं, लेकिन पटवारियों के आंदोलन के चलते वह भी नहीं हो पा रहा. बिना ऋण मुक्त हुए उन्हें दोबारा लोन नहीं मिल सकता. राजेश कुमावत ने मांग की कि सरकार वार्ता कर जल्द से जल्द पटवारियों के आंदोलन को समाप्त कराए. उन्होंने इस आंदोलन में राजनीति होने का भी आरोप लगाया.

पढ़ें- थार का श्रृंगार : सरकार की एक अदद पहल और संरक्षण की बाट जोहता राज्य पुष्प रोहिड़ा का वृक्ष

किसान रामपाल ने बताया कि आंधी तूफान के चलते फसलों को नुकसान हुआ है, लेकिन पटवारियों के आंदोलन के चलते उनकी क्रॉप कटिंग नहीं हो पाई और अब उन्हें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा. कई किसानों की गिरदावरी भी नहीं हो पाई. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों के मामले में राजनीति कर रही है. जब किसानों का काम होता है, तो कोई ना कोई सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर बैठ जाते हैं.

राजस्थान पटवार संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र कुमार निमिवाल ने बताया कि पटवारियों के आंदोलन से लाखों किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से वंचित हो गए. उन्होंने कहा कि सरकार ने बिना गिरदावरी शपथ पत्र के जरिए एमएसपी पर खरीद के लिए पंजीयन शुरू कर दिया, लेकिन खरीद के समय किसानों को गिरदावरी पेश करना अनिवार्य है. जब किसानों की गिरदावरी हुई नहीं तो वह अपनी फसल किस तरह से बेच पाएंगे.

अतिरिक्त पटवार मंडलों में तो पटवारियों की हड़ताल के चलते गिरदावरी नहीं हो पाई. कोटा की भवानी मंडी में भी इस तरह के मामले सामने आए थे कि जब किसान अनाज लेकर मंडी पहुंचे तो बिना गिरदावरी रिपोर्ट के उनकी फसल नहीं खरीदी गई. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत भी यह बात साफ कर दी गई है कि जब तक क्रॉप कटिंग नहीं होगी, तब तक किसानों को फसल बीमा का क्लेम नहीं दिया जाएगा और साथ ही ओलावृष्टि से भी प्रदेश में कई जगह फसलों को नुकसान हुआ है. उसका भी पटवारियों ने मूल्यांकन नहीं किया.

किसानों की केसीसी की फाइलें भी तैयार नहीं हो पा रही, जिसके कारण उनका भुगतान रुका हुआ है. किसानों की भूमि रूपांतरण सहित कई छोटे-छोटे काम हैं, जो पटवारियों के द्वारा ही किए जाते हैं, वह सारे काम रुके हुए हैं.

राजेंद्र निमिवाल ने कहा कि हाल ही में सरकार की ओर से शुरू की गई चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में लघु एवं सीमांत किसानों को भी शामिल किया गया है. बिना पटवारियों के अतिरिक्त पटवार मंडलों के लघु सीमांत किसानों को किस तरह से चिन्हित किया जाएगा, यह एक बड़ा सवाल है. किसानों की पेंशन भी नहीं बन पा रही है. बिना पटवारियों की रिपोर्ट के प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का पैसा भी किसानों के खाते में नहीं आ रहा है.

एक नजर में प्रदेश की स्थिति

पूरे प्रदेश में 12264 पटवारियों के पद हैं, इनमें से 7700 पदों पर पटवारी काम कर रहे हैं. शेष रहे पटवार मंडलों का प्रभार इन्ही पटवारियों को दिया हुआ है. अतिरिक्त पटवार मंडलों का पटवारियों ने 15 जनवरी से कार्य बहिष्कार किया हुआ है, जिसके चलते वहां पूरी तरह से काम ठप पड़ा है.

जयपुर. ग्रेड पे 3600 सहित अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर पटवारी सरकार के खिलाफ लगातार आक्रोश जता रहे हैं. इससे प्रदेश की आम जनता के साथ-साथ किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. 50 से ज्यादा ऐसे काम हैं, जो केवल पटवारी ही करता है. पटवारियों के काम नहीं करने से सरकार के राजस्व पर भी असर पड़ रहा है. प्रतिदिन सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का घाटा हो रहा है. सरकार की योजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं.

पटवारियों के आंदोलन का असर

पटवारियों के आंदोलन से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, बुजुर्ग एवं सामाजिक पेंशन रिपोर्ट, नामांतरण के काम, किसान क्रेडिट कार्ड के लोन का काम, जाति सहित सभी तरह के प्रमाण पत्र, क्रॉप कटिंग का काम, पंजीयन, गिरदावरी, भूमि रूपांतरण आदि ऐसे काम हैं, जो प्रभावित हो रहे हैं.

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि पटवारियों के आंदोलन के चलते 2 कामों में किसानों को बहुत नुकसान हुआ है. पहला तो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सभी किसानों की क्रॉप कटिंग ऑनलाइन नहीं हो पाई, जिसमें पटवारियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. इसके कारण प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ किसानों को नहीं मिला.

पटवारियों के आंदोलन के चलते एमएसपी पर खरीद के लिए होने वाले पंजीयन में भी देरी हुई, जिसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ा. एमएसपी पर खरीद के लिए सरकार ने खसरा गिरदावरी की नकल की अनिवार्य की हुई है. पटवारियों के आंदोलन के चलते किसानों की गिरदावरी नहीं हो पाई और गिरदावरी रिपोर्ट किसानों के पास नहीं पहुंची. पटवारियों के आंदोलन के चलते अब सरकार ने खसरा गिरदावरी की नकल की अनिवार्यता समाप्त कर दी है और एक शपथ पत्र के जरिए किसान एमएसपी पर खरीद के लिए पंजीयन करा सकता है.

पढ़ें- स्पेशल: मित्र कीट और फफूंद से खेतों में हो रहा कीटों का सफाया, जैविक खेती को मिल रहा बढ़ावा

रामपाल जाट का कहना है कि कोई भी किसानों के बारे में नहीं सोचता है, ना तो सरकार और न ही पटवारी, लेकिन यदि सरकार को लगता है कि पटवारियों का आंदोलन जायज है, उनकी मांगें सही हैं, तो सरकार को उनकी मांगें मान लेनी चाहिए. उन्होंने सभी कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां जल्द से जल्द दूर करने की मांग की.

प्रधानमंत्री फसल बीमा को लेकर रामपाल जाट ने आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार प्रीमियम तो सभी किसानों का काट लेती है, लेकिन जब क्लेम देने की बात ही आती है तो वह हाथ पीछे खींच लेती है और सभी किसानों को मुआवजा नहीं दिया जाता. पटवारियों जैसे आंदोलन से किसानों को नुकसान होता है और सरकार उसकी पूरी भरपाई नहीं करती.

किसान राजेश कुमावत ने बताया कि किसानों का सीधा लिंक पटवारी से होता है अधिकतर काम पटवारियों के जरिए ही पूरा होता है. पिछले डेढ़ महीने से किसान परेशान हो रहा है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की कई फाइलें किसानों की अटकी हुई हैं. हाल ही में आंधी तूफान से किसानों की फसलों को भी नुकसान हुआ है, जिसका भी मूल्यांकन पटवारियों के आंदोलन के चलते नहीं हो पाया. कई नामांतरण भी अभी तक नहीं खुले हैं.

कुमावत ने कहा कि कई किसानों ने अपना ऋण चुका दिया है और वह ऋण मुक्त होना चाहते हैं, लेकिन पटवारियों के आंदोलन के चलते वह भी नहीं हो पा रहा. बिना ऋण मुक्त हुए उन्हें दोबारा लोन नहीं मिल सकता. राजेश कुमावत ने मांग की कि सरकार वार्ता कर जल्द से जल्द पटवारियों के आंदोलन को समाप्त कराए. उन्होंने इस आंदोलन में राजनीति होने का भी आरोप लगाया.

पढ़ें- थार का श्रृंगार : सरकार की एक अदद पहल और संरक्षण की बाट जोहता राज्य पुष्प रोहिड़ा का वृक्ष

किसान रामपाल ने बताया कि आंधी तूफान के चलते फसलों को नुकसान हुआ है, लेकिन पटवारियों के आंदोलन के चलते उनकी क्रॉप कटिंग नहीं हो पाई और अब उन्हें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा. कई किसानों की गिरदावरी भी नहीं हो पाई. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों के मामले में राजनीति कर रही है. जब किसानों का काम होता है, तो कोई ना कोई सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर बैठ जाते हैं.

राजस्थान पटवार संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र कुमार निमिवाल ने बताया कि पटवारियों के आंदोलन से लाखों किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से वंचित हो गए. उन्होंने कहा कि सरकार ने बिना गिरदावरी शपथ पत्र के जरिए एमएसपी पर खरीद के लिए पंजीयन शुरू कर दिया, लेकिन खरीद के समय किसानों को गिरदावरी पेश करना अनिवार्य है. जब किसानों की गिरदावरी हुई नहीं तो वह अपनी फसल किस तरह से बेच पाएंगे.

अतिरिक्त पटवार मंडलों में तो पटवारियों की हड़ताल के चलते गिरदावरी नहीं हो पाई. कोटा की भवानी मंडी में भी इस तरह के मामले सामने आए थे कि जब किसान अनाज लेकर मंडी पहुंचे तो बिना गिरदावरी रिपोर्ट के उनकी फसल नहीं खरीदी गई. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत भी यह बात साफ कर दी गई है कि जब तक क्रॉप कटिंग नहीं होगी, तब तक किसानों को फसल बीमा का क्लेम नहीं दिया जाएगा और साथ ही ओलावृष्टि से भी प्रदेश में कई जगह फसलों को नुकसान हुआ है. उसका भी पटवारियों ने मूल्यांकन नहीं किया.

किसानों की केसीसी की फाइलें भी तैयार नहीं हो पा रही, जिसके कारण उनका भुगतान रुका हुआ है. किसानों की भूमि रूपांतरण सहित कई छोटे-छोटे काम हैं, जो पटवारियों के द्वारा ही किए जाते हैं, वह सारे काम रुके हुए हैं.

राजेंद्र निमिवाल ने कहा कि हाल ही में सरकार की ओर से शुरू की गई चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में लघु एवं सीमांत किसानों को भी शामिल किया गया है. बिना पटवारियों के अतिरिक्त पटवार मंडलों के लघु सीमांत किसानों को किस तरह से चिन्हित किया जाएगा, यह एक बड़ा सवाल है. किसानों की पेंशन भी नहीं बन पा रही है. बिना पटवारियों की रिपोर्ट के प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का पैसा भी किसानों के खाते में नहीं आ रहा है.

एक नजर में प्रदेश की स्थिति

पूरे प्रदेश में 12264 पटवारियों के पद हैं, इनमें से 7700 पदों पर पटवारी काम कर रहे हैं. शेष रहे पटवार मंडलों का प्रभार इन्ही पटवारियों को दिया हुआ है. अतिरिक्त पटवार मंडलों का पटवारियों ने 15 जनवरी से कार्य बहिष्कार किया हुआ है, जिसके चलते वहां पूरी तरह से काम ठप पड़ा है.

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