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जयपुरः अधूरा आरोप पत्र पेश करने के आधार पर पूर्व आरपीएस बोहरा ने मांगी जमानत

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Published : Jul 15, 2021, 6:49 PM IST

रिश्वत के बदले अस्मत मांगने के मामले में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे बर्खास्त आरपीएस कैलाश बोहरा ने एसीबी की ओर से तय अवधि में अधूरा आरोप पत्र पेश करने के आधार पर डिफाल्ट जमानत मांगी है.

Ex-RPS Kailash Bohra, आरपीएस कैलाश बोहरा
पूर्व आरपीएस बोहरा ने मांगी जमानत

जयपुर. रिश्वत के बदले अस्मत मांगने के मामले में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे बर्खास्त आरपीएस कैलाश बोहरा ने एसीबी की ओर से तय अवधि में अधूरा आरोप पत्र पेश करने के आधार पर डिफाल्ट जमानत मांगी है. एसीबी कोर्ट मामले में शुक्रवार को फैसला देगी.

पढ़ेंः आरोपी पूर्व आरपीएस बोहरा की जमानत अर्जी खारिज

आरोपी की ओर से अधिवक्ता संदीप लुहाडिया ने अदालत को बताया कि गत 7 मई को एसीबी की ओर से मामले में पेश आरोप पत्र के साथ अभियोजन स्वीकृति पेश नहीं की गई थी. एसीबी की ओर से अदालत को अभियोजन स्वीकृति प्राप्त कर अलग से पेश करने की जानकारी दी गई थी. वहीं, हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका को निस्तारित करते हुए पीड़िता के बयानों के बाद नई जमानत याचिका पेश करने की छूट दी थी.

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि पूर्ण आरोप पत्र पेश होने के बाद अदालत प्रसंज्ञान लेकर ट्रायल शुरू करता है. एसीबी कोर्ट भी मान चुकी है कि अभियोजन स्वीकृति के अभाव में ट्रायल शुरू नहीं हो सकती है.

पढ़ेंः नाबालिग का अपहरण और दुष्कर्म मामले में आरोपी को पॉक्सो कोर्ट ने सुनाई सजा, 20 साल कारावास के साथ जुर्माना भी लगाया

इससे स्पष्ट है कि एसीबी की ओर से पेश अधूरा आरोप पत्र पेश किया गया था. ऐसे में सीआरपीसी की धारा 167(2) के तहत उसे डिफाल्ट जमानत पर रिहा किया जाए. प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए एसीबी की ओर से कहा गया कि आरोप पत्र पूर्ण पेश किया गया है. मामले में अभियोजन स्वीकृति अलग से पेश कर दी जाएगी.

जयपुर. रिश्वत के बदले अस्मत मांगने के मामले में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे बर्खास्त आरपीएस कैलाश बोहरा ने एसीबी की ओर से तय अवधि में अधूरा आरोप पत्र पेश करने के आधार पर डिफाल्ट जमानत मांगी है. एसीबी कोर्ट मामले में शुक्रवार को फैसला देगी.

पढ़ेंः आरोपी पूर्व आरपीएस बोहरा की जमानत अर्जी खारिज

आरोपी की ओर से अधिवक्ता संदीप लुहाडिया ने अदालत को बताया कि गत 7 मई को एसीबी की ओर से मामले में पेश आरोप पत्र के साथ अभियोजन स्वीकृति पेश नहीं की गई थी. एसीबी की ओर से अदालत को अभियोजन स्वीकृति प्राप्त कर अलग से पेश करने की जानकारी दी गई थी. वहीं, हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका को निस्तारित करते हुए पीड़िता के बयानों के बाद नई जमानत याचिका पेश करने की छूट दी थी.

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि पूर्ण आरोप पत्र पेश होने के बाद अदालत प्रसंज्ञान लेकर ट्रायल शुरू करता है. एसीबी कोर्ट भी मान चुकी है कि अभियोजन स्वीकृति के अभाव में ट्रायल शुरू नहीं हो सकती है.

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इससे स्पष्ट है कि एसीबी की ओर से पेश अधूरा आरोप पत्र पेश किया गया था. ऐसे में सीआरपीसी की धारा 167(2) के तहत उसे डिफाल्ट जमानत पर रिहा किया जाए. प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए एसीबी की ओर से कहा गया कि आरोप पत्र पूर्ण पेश किया गया है. मामले में अभियोजन स्वीकृति अलग से पेश कर दी जाएगी.

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