जयपुर. 28 मई को विश्वभर में वर्ल्ड कैंसर डे के रूप में मनाया जाता है. चिकित्सकों के अनुसार विभिन्न प्रकार के कैंसर के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिसमें ब्लड कैंसर भी शामिल है. बार-बार बुखार का आना, शरीर में कमजोरी आना, शरीर में खून की कमी होना, हाथ-पांव में कमजोरी महसूस होना, यह सभी लक्षण (Symptoms of Blood Cancer) दिखें तो सचेत होने की आवश्यकता है. ये सभी लक्षण वैसे तो सामान्य नजर आते हैं, लेकिन उपचार के बाद भी ठीक न हो तो यह शरीर के रक्त में कैंसर सेल की शुरुआत का संकेत भी हो सकते हैं.
ब्लड कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ उपेन्द्र शर्मा का कहना है कि बच्चों में ब्लड कैंसर के मामले (Blood Cancer in Children Rapidly Increasing) काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. डॉ शर्मा ने बताया कि बच्चों में कई तरह के ब्लड कैंसर (Blood Cancer in Children) होते हैं, जिसकी शुरुआती स्तर में उपचार की शुरुआत करके उन्हें पूर्ण रूप से स्वस्थ किया जा सकता है. उपचार पूर्ण होकर स्वस्थ जीवन जी रहे हजारों बच्चे सामान्य जांच के लिए चिकित्सालय में आते हैं. ये अन्य बच्चों की तरह स्पोर्ट्स और फिजिकल एक्टिविटी में भी पूर्ण रूप से एक्टिव होते हैं. डॉ उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि जागरुकता की कमी के चलते इस रोग की पहचान नहीं होती और उपचार समय पर शुरू नहीं हो पाता. हर रोगी में शुरुआती लक्षण (Symptoms of Blood Cancer) अलग-अलग होते हैं, जिनमें बार-बार बुखार आना, एनिमिया का उपचार लेने के बाद भी ठीक न होना, शरीर पर गांठ का उभरना शामिल है. इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि कोई भी असमान्य लक्षण उपचार के बाद भी लम्बे समय तक ठीक न हो तो कैंसर रोग विशेषज्ञ से एक बार परामर्श अवश्य करना चाहिए.
ब्लड कैंसर तीन प्रकार (Three types of Blood Cancer) का होता है
- ल्यूकेमिया जो असामान्य सफेद ब्लड सेल्स (WBC) के लगातार उत्पादन के कारण होता है.
- लिम्फोमा जो लिम्फैटिक प्रणाली को प्रभावित करता है.म
- माइलोमा जो प्लाज्मा कोशिकाओं का कैंसर (Cancer of Plasma Cells) है, जो एंटीबॉडी गठन में मदद करता है.
ब्लड कैंसर से जुड़े इलाज की बात करें तो चिकित्सकों का कहना है कि यदि समय रहते इसका पता लग जाए तो इलाज आसान होता है और मरीज की जान बचाई जा सकती है. ब्लड कैंसर के कई मामलों में ब्लड सेल ट्रांसप्लांट के जरिए इलाज होता है. ये एक ऐसा तरीका है, जिसमें बोन मैरों को बाहर निकालकर थेरेपी मैरो से बदल देते हैं. हालांकि इसके लिए एक डोनर की जरूरत होती है. हालांकि ये स्थिति तब आती है जब मरीज में कैंसर के लक्षण गंभीर हो जाते हैं. इसके अलावा चिकित्सकों का कहना है कि यदि लाइफस्टाइल को ठीक रखा जाए तो इस बीमारी से आसानी से लड़ा जा सकता है.