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परकोटा चढ़ा अतिक्रमण की भेंटः अतिक्रमियों की ढाल बना सिस्टम, कहीं छिन न जाए यूनेस्को का तमगा - Jaipur latest news

प्रदेश की राजधानी जयपुर का परकोटा ऐतिहासिक रूप से अलग ही महत्व रखता है. यूनेस्को ने परकोटे के महत्व को देखते हुए इसे 2019 में विश्व विरासत के तमगे से नवाजा था. लेकिन यही परकोटा अब अतिक्रमण (Encroachment on the Parkota market of jaipur) की भेंट चढ़ता जा रहा है.

Encroachment on the Parkota market of jaipur
परकोटा बाजार चढ़ा अतिक्रमण की भेंट
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Published : Mar 2, 2022, 10:18 PM IST

जयपुर. राजधानी के परकोटे को 6 जुलाई 2019 को यूनेस्को ने विश्व विरासत के तमगे से नवाजा था. लेकिन यही परकोटा आज अतिक्रमण के नीचे दबा (Encroachment on the Parkota market of jaipur) जा रहा है. परकोटे के मुख्य बाजारों को देखकर लगता है मानो शहर में अतिक्रमण नहीं बल्कि अतिक्रमण में शहर हो. हालांकि कोरोना से पहले ड्रोन सर्वे कराकर अतिक्रमण को चिह्नित किया गया. अतिक्रमियों को नोटिस भी दिए गए. लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हो पाया.

1727 में बना जयपुर शहर चारों तरफ परकोटे से घिरा हुआ है. इस परकोटे की महत्ता यूनेस्को ने तो समझी. लेकिन शहर के बाशिंदों ने नहीं समझी. यही वजह है कि विश्व विरासत अतिक्रमण की भेंट चढ़ती जा रही है. आलम ये है कि कुछ जगह तो परकोटा लुप्त हो गया है. मुख्य बाजारों के बरामदों के ऊपर इमारतें बन गई हैं. जो न केवल अतिक्रमण का नायाब उदाहरण हैं, बल्कि खतरे की घंटी भी है.

पढ़ें. Special: स्मार्ट सिटी की सुस्त चाल, 100 साल पुराने परकोटे के बाजारों के बरामदे बदहाल

हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं हटे अतिक्रमणः आलम यह है कि हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद अतिक्रमण हटाए नहीं जा रहे. हाईकोर्ट ने निर्देश दिए थे कि अतिक्रमण को हटाकर रिपोर्ट दी जाए. लेकिन इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

3100 नोटिस दिए जा चुके हैंः परकोटे के भीतर अतिक्रमण के मामले में नगर निगम अब तक करीब 3100 लोगों को नोटिस दे चुका है. निगम ने अल्प, मध्यम और गंभीर स्तर में बांटकर नोटिस दिए हैं. इन नोटिसों से निगम की फाइल भले ही भर गई, लेकिन अतिक्रमण के मामले में जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हो पाया.

पढ़ें. जयपुर के परकोटे में बाजारों और बरामदों में पसरे अतिक्रमण को हटाने के लिए 'ऑपरेशन पिंक' की दरकार

ड्रोन सर्वे की रिपोर्ट ठंडे बस्ते मेंः विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए कोरोना से पहले अतिक्रमण को लेकर ड्रोन सर्वे किया गया था. इसमें 3100 से ज्यादा मामले सामने आए और जिन्हें नोटिस दिए जा चुके हैं. ड्रोन सर्वे की रिपोर्ट ठंडे बस्ते में है. कार्रवाई के नाम पर दो कदम भी नहीं चले हैं.

टेक्निकल कमेटी का अप्रूवल बाकीः परकोटे की दीवार को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए डीपीआर तो तैयार कर दी गई है. हालांकि इसे अभी टेक्निकल हेरिटेज कमेटी से अप्रूवल नहीं मिला है. वहीं मास्टर प्लान 2025 में चारदीवारी के 6.5 किलोमीटर परिधि क्षेत्र को स्पेशल एरिया दर्शाया गया है. मास्टर प्लान लागू होने के दो साल में ही इस स्पेशल एरिया का डवलपमेंट प्लान बनाकर लागू करना था, लेकिन नगर निगम अफसरों ने इसकी जरूरत ही नहीं समझी.

निर्माण के लिए इन नियमों की पालना जरूरीः यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी की सूची में शामिल पिंक सिटी जयपुर के परकोटा इलाके में नया निर्माण करना आसान नहीं है. यहां नए निर्माण की अनुमति के लिए हेरिटेज नगर निगम ने नए नियम जारी कर दिए हैं. नया निर्माण या फिर पुनर्निर्माण करने के लिए अब कई स्तर पर अनुमति लेनी पड़ेगी. नियमों के तहत अनुमति के लिए फाइल कई टेबल्स से होकर गुजरेगी. परकोटा क्षेत्र के मुख्य बाजारों के दोनों तरफ के भवनों के साथ ही चयनित 1575 हेरिटेज भवन, इमारतें और हेरिटेज वॉक-वे में निर्माण या पुनर्निमाण के लिए अनुमति के लिये ये नियम बनाये गए हैं. परकोटे क्षेत्र की छोटी गलियों और अन्य जगहों पर भी कुछ इस ढंग से भवन निर्माण की अनुमति मिल पाएगी.

पढ़ें. खबर का असर : निगम प्रशासन की आंखें खुली, परकोटे पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर दिया पहला नोटिस

इन नियमों की करनी होगी पालना

  • सबसे पहले भवन निर्माण/पुनर्निर्माण के लिए जोन कार्यालय में आवेदन करना होगा.
  • भूखंड स्वामित्व की जांच के बाद जोन कार्यालय मौका रिपोर्ट देगा.
  • भवन विनियमों के अनुसार मानचित्र की जांच होगी. उसके बाद फाइल को हेरिटेज प्रकोष्ठ के पास भेजा जाएगा.
  • हेरिटेज प्रकोष्ठ की मंजूरी के बाद फाइल टेक्नीकल हेरिटेज कमेटी के पास जाएगी.
  • टेक्नीकल कमेटी की अभिशंषा के बाद पत्रावली मेयर या भवन निर्माण-संकर्म समिति के पास जाएगी.
  • यहां से अनुमोदन के बाद पत्रावली फिर जोन कार्यालय आएगी.
  • जोन में नियमानुसार देय राशि जमा करवाने के बाद भवन निर्माण की अनुमति मिलेगी.

जयपुर परकोटे का यह है महत्व
1727 में सवाई जय सिंह द्वितीय ने परकोटे वाले नगर जयपुर की नींव रखी थी. मैदानी भाग में जयपुर को वास्तु पुरुष मंडल के आकार में बसाया गया. इससे पहले कछवाहा राजाओं की राजधानी आमेर थी. जयपुर को योजनापूर्वक वैज्ञानिक पद्वति के आधार पर बसाया गया, जहां सभी सड़कें और गलियां सीधी रेखा में समकोण बनाती हुई एक-दूसरे को काटती हुई बढ़ती हैं. यहां की पारंपरिक नगर निर्माण कला और वास्तुशिल्प में किला, बाजार चौक और तालाब ये तीन स्थान प्रमुख थे. परकोटे वाले जयपुर नगर की वैज्ञानिक संकल्पना में शिल्पशास्त्री विद्याधर की मुख्य भूमिका थी.

पढ़ें. जेडीए भूमि पर अवैध निर्माण करने वाले के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई

परकोटा, जीवंत विरासत वाले जयपुर का एक अभिन्न भाग है. यह बात जानकर किसी को भी हैरानी होगी कि परकोटे की दीवार प्रतिरक्षा की बजाय नगर सीमा को तय करने और एक व्यवस्था को बनाने के लिए की गई थी. जयपुर में मुख्य सड़कें सार्वजनिक संपर्क साधन की भूमिका निभाती थीं. जयपुर की बड़ी सड़कों और लंबे-चौड़े चौकों से गुजरने पर बाजार के बरामदों की स्तंभ-पंक्तियों से सड़क को एक व्यवस्थित रूप मिलता है. परकोटे में बने बुर्जनुमा दरवाजे, भीतर किसी महत्वपूर्ण भवन होने का संकेत देते हैं.

नगर के नौ आयातकार भूखंडों या चौकड़ियां (जो कुबेर की नौ निधियों की प्रतीक है) में सात को नागरिकों के लिए-उनके आवासों, दुकानों और बाजारों, मंदिरों और मस्जिदों तथा उन कारखानों के लिए ही बनाया गया. जिनके कारण जयपुर की गिनती आगे चलकर भारत के प्रमुख औद्योगिक केंद्रों में हुई. परकोटे के अधिकतर भवन गुलाबी बलुए पत्थर से बने हैं. जिसके कारण उनकी रंगछटा जयपुर को एक समष्टि-रूप नगर बना देती है. पत्थरों की खूब टिकाऊ गारे के साथ चिनाई की हुई होने की वजह से बाहर पलस्तर की जरूरत नहीं रही है. बाद में जो इमारतें ईंटों से बनाई गईं, उनके पलस्तर पर भी गुलाबी रंग का ही लेप है.

जयपुर. राजधानी के परकोटे को 6 जुलाई 2019 को यूनेस्को ने विश्व विरासत के तमगे से नवाजा था. लेकिन यही परकोटा आज अतिक्रमण के नीचे दबा (Encroachment on the Parkota market of jaipur) जा रहा है. परकोटे के मुख्य बाजारों को देखकर लगता है मानो शहर में अतिक्रमण नहीं बल्कि अतिक्रमण में शहर हो. हालांकि कोरोना से पहले ड्रोन सर्वे कराकर अतिक्रमण को चिह्नित किया गया. अतिक्रमियों को नोटिस भी दिए गए. लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हो पाया.

1727 में बना जयपुर शहर चारों तरफ परकोटे से घिरा हुआ है. इस परकोटे की महत्ता यूनेस्को ने तो समझी. लेकिन शहर के बाशिंदों ने नहीं समझी. यही वजह है कि विश्व विरासत अतिक्रमण की भेंट चढ़ती जा रही है. आलम ये है कि कुछ जगह तो परकोटा लुप्त हो गया है. मुख्य बाजारों के बरामदों के ऊपर इमारतें बन गई हैं. जो न केवल अतिक्रमण का नायाब उदाहरण हैं, बल्कि खतरे की घंटी भी है.

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हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं हटे अतिक्रमणः आलम यह है कि हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद अतिक्रमण हटाए नहीं जा रहे. हाईकोर्ट ने निर्देश दिए थे कि अतिक्रमण को हटाकर रिपोर्ट दी जाए. लेकिन इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

3100 नोटिस दिए जा चुके हैंः परकोटे के भीतर अतिक्रमण के मामले में नगर निगम अब तक करीब 3100 लोगों को नोटिस दे चुका है. निगम ने अल्प, मध्यम और गंभीर स्तर में बांटकर नोटिस दिए हैं. इन नोटिसों से निगम की फाइल भले ही भर गई, लेकिन अतिक्रमण के मामले में जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हो पाया.

पढ़ें. जयपुर के परकोटे में बाजारों और बरामदों में पसरे अतिक्रमण को हटाने के लिए 'ऑपरेशन पिंक' की दरकार

ड्रोन सर्वे की रिपोर्ट ठंडे बस्ते मेंः विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए कोरोना से पहले अतिक्रमण को लेकर ड्रोन सर्वे किया गया था. इसमें 3100 से ज्यादा मामले सामने आए और जिन्हें नोटिस दिए जा चुके हैं. ड्रोन सर्वे की रिपोर्ट ठंडे बस्ते में है. कार्रवाई के नाम पर दो कदम भी नहीं चले हैं.

टेक्निकल कमेटी का अप्रूवल बाकीः परकोटे की दीवार को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए डीपीआर तो तैयार कर दी गई है. हालांकि इसे अभी टेक्निकल हेरिटेज कमेटी से अप्रूवल नहीं मिला है. वहीं मास्टर प्लान 2025 में चारदीवारी के 6.5 किलोमीटर परिधि क्षेत्र को स्पेशल एरिया दर्शाया गया है. मास्टर प्लान लागू होने के दो साल में ही इस स्पेशल एरिया का डवलपमेंट प्लान बनाकर लागू करना था, लेकिन नगर निगम अफसरों ने इसकी जरूरत ही नहीं समझी.

निर्माण के लिए इन नियमों की पालना जरूरीः यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी की सूची में शामिल पिंक सिटी जयपुर के परकोटा इलाके में नया निर्माण करना आसान नहीं है. यहां नए निर्माण की अनुमति के लिए हेरिटेज नगर निगम ने नए नियम जारी कर दिए हैं. नया निर्माण या फिर पुनर्निर्माण करने के लिए अब कई स्तर पर अनुमति लेनी पड़ेगी. नियमों के तहत अनुमति के लिए फाइल कई टेबल्स से होकर गुजरेगी. परकोटा क्षेत्र के मुख्य बाजारों के दोनों तरफ के भवनों के साथ ही चयनित 1575 हेरिटेज भवन, इमारतें और हेरिटेज वॉक-वे में निर्माण या पुनर्निमाण के लिए अनुमति के लिये ये नियम बनाये गए हैं. परकोटे क्षेत्र की छोटी गलियों और अन्य जगहों पर भी कुछ इस ढंग से भवन निर्माण की अनुमति मिल पाएगी.

पढ़ें. खबर का असर : निगम प्रशासन की आंखें खुली, परकोटे पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर दिया पहला नोटिस

इन नियमों की करनी होगी पालना

  • सबसे पहले भवन निर्माण/पुनर्निर्माण के लिए जोन कार्यालय में आवेदन करना होगा.
  • भूखंड स्वामित्व की जांच के बाद जोन कार्यालय मौका रिपोर्ट देगा.
  • भवन विनियमों के अनुसार मानचित्र की जांच होगी. उसके बाद फाइल को हेरिटेज प्रकोष्ठ के पास भेजा जाएगा.
  • हेरिटेज प्रकोष्ठ की मंजूरी के बाद फाइल टेक्नीकल हेरिटेज कमेटी के पास जाएगी.
  • टेक्नीकल कमेटी की अभिशंषा के बाद पत्रावली मेयर या भवन निर्माण-संकर्म समिति के पास जाएगी.
  • यहां से अनुमोदन के बाद पत्रावली फिर जोन कार्यालय आएगी.
  • जोन में नियमानुसार देय राशि जमा करवाने के बाद भवन निर्माण की अनुमति मिलेगी.

जयपुर परकोटे का यह है महत्व
1727 में सवाई जय सिंह द्वितीय ने परकोटे वाले नगर जयपुर की नींव रखी थी. मैदानी भाग में जयपुर को वास्तु पुरुष मंडल के आकार में बसाया गया. इससे पहले कछवाहा राजाओं की राजधानी आमेर थी. जयपुर को योजनापूर्वक वैज्ञानिक पद्वति के आधार पर बसाया गया, जहां सभी सड़कें और गलियां सीधी रेखा में समकोण बनाती हुई एक-दूसरे को काटती हुई बढ़ती हैं. यहां की पारंपरिक नगर निर्माण कला और वास्तुशिल्प में किला, बाजार चौक और तालाब ये तीन स्थान प्रमुख थे. परकोटे वाले जयपुर नगर की वैज्ञानिक संकल्पना में शिल्पशास्त्री विद्याधर की मुख्य भूमिका थी.

पढ़ें. जेडीए भूमि पर अवैध निर्माण करने वाले के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई

परकोटा, जीवंत विरासत वाले जयपुर का एक अभिन्न भाग है. यह बात जानकर किसी को भी हैरानी होगी कि परकोटे की दीवार प्रतिरक्षा की बजाय नगर सीमा को तय करने और एक व्यवस्था को बनाने के लिए की गई थी. जयपुर में मुख्य सड़कें सार्वजनिक संपर्क साधन की भूमिका निभाती थीं. जयपुर की बड़ी सड़कों और लंबे-चौड़े चौकों से गुजरने पर बाजार के बरामदों की स्तंभ-पंक्तियों से सड़क को एक व्यवस्थित रूप मिलता है. परकोटे में बने बुर्जनुमा दरवाजे, भीतर किसी महत्वपूर्ण भवन होने का संकेत देते हैं.

नगर के नौ आयातकार भूखंडों या चौकड़ियां (जो कुबेर की नौ निधियों की प्रतीक है) में सात को नागरिकों के लिए-उनके आवासों, दुकानों और बाजारों, मंदिरों और मस्जिदों तथा उन कारखानों के लिए ही बनाया गया. जिनके कारण जयपुर की गिनती आगे चलकर भारत के प्रमुख औद्योगिक केंद्रों में हुई. परकोटे के अधिकतर भवन गुलाबी बलुए पत्थर से बने हैं. जिसके कारण उनकी रंगछटा जयपुर को एक समष्टि-रूप नगर बना देती है. पत्थरों की खूब टिकाऊ गारे के साथ चिनाई की हुई होने की वजह से बाहर पलस्तर की जरूरत नहीं रही है. बाद में जो इमारतें ईंटों से बनाई गईं, उनके पलस्तर पर भी गुलाबी रंग का ही लेप है.

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