जयपुर. तालकटोरा का स्वरूप ऐतिहासिक और जयपुर बसने से पहले का है. पहले यहां जंगल और एक बड़ा तालाब हुआ करता था. जिसके किनारे बादल महल बना हुआ था, जो राजा-महाराजाओं के आखेट की स्थली थी. जब तालाब सूखा और जयपुर बसा तब तालाब के अंदर तालाब की संकल्पना थी.
बड़ा तालाब तो राजामल का तालाब (जय सागर) बना, जिस पर आज कंवर नगर क्षेत्र बसा हुआ है. उसी पर थोड़ी ऊंचाई पर तालकटोरा बनाया गया था. बरसात में जब राजामल के तालाब और तालकटोरा में पानी भर जाता था. उस वक्त ये तालाब के अंदर तैरते हुए कटोरे की भांति नजर आता था, लेकिन अब इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने की जरूरत है.
तीज-गणगौर पर बिखरती थी छटा : तीज-गणगौर की सवारी का समापन तालकटोरा पर ही होता है. पहले यहां बोट और फव्वारे चला करते थे. यही नहीं, कुछ समय के लिए इसे जयपुर की जलदाय व्यवस्था के लिए भी काम में लिया गया था, लेकिन अक्सर ये तीज त्यौहारों के लिए ज्यादा काम में आता था.
स्मार्ट सिटी खर्च कर रहा 15 करोड़ : तालकटोरा के जीर्णोद्धार का काम आरटीडीसी द्वारा किया जा रहा है. इस संबंध में बीते दिनों टेंडर कर कार्यादेश जारी किया, जिसके बाद परिवर्तन भी देखने को मिला. इसे टूरिस्ट स्पॉट के रूप में विकसित करने की तैयारी है. स्मार्ट सिटी द्वारा इस पूरे प्रोजेक्ट की फंडिंग की जा रही है. फिलहाल, इसके जीर्णोद्धार पर 15 करोड़ रुपये की खर्च किए जा रहे हैं.
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तालकटोरा में मिल रहा घरों और नालों का गंदा पानी : तालकटोरा में जमा हुई जलकुंभियों को हटाया गया और पानी को साफ करने की भी उच्च स्तरीय व्यवस्था का दावा है, ताकि पानी हमेशा साफ बना रहे. लेकिन अभी भी क्षेत्रीय लोगों के घर के नाले तालकटोरा में खुल रहे हैं. उन्हें डायवर्ट नहीं किया गया. यहां तक कि ब्रह्मपुरी क्षेत्र का बरसाती पानी भी नालों के जरिए तालकटोरा तक पहुंच रहा है. हालांकि, अब झील में आने वाले सीवरेज के पानी को साफ करने के लिए चौगान स्टेडियम में 1 एमएलडी का एसटीपी प्लांट लगाने की कवायद है.
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बहरहाल, तालकटोरा के जीर्णोद्धार में इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि हेरिटेज लुक पर असर ना पड़े. साथ ही जो गंदा पानी तालकटोरा में पहुंचता है, उसे साफ करने के लिए एसटीपी, पैदल चलने के लिए स्पेस, लाइटिंग और डेकोरेशन की भी व्यवस्था का प्लान है. लेकिन मानसून के दौर में घरों और नालों से आने वाले पानी को नहीं रोका गया तो इसे साफ करने की परिकल्पना सार्थक नहीं हो पाएगी.