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Corona Effect: पौधों में ही सब्जियां पकी, लेकिन मंडियों तक पहुंचाने से डर रहे काश्तकार !

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Published : Apr 1, 2020, 1:15 PM IST

वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण के बीच चल रहे लॉकडाउन के चलते कई किसान और काश्तकार तो खुद और परिवार को संक्रमण से बचाने के लिए खेतों में लगी अपनी सब्जियां तोड़कर मंडियों तक पहुंचाने से भी कतरा रहे हैं. कुछ ऐसे ही काश्तकारों के पास पहुंची ईटीवी भारत की टीम और जानी जमीनी हकीकत.

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ग्राउंड रिपोर्ट: कोरोना संक्रमण का डर

जयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण के बीच चल रहे लॉकडाउन में आम आदमी को रोजमर्रा की चीजें बमुश्किल मिल पा रही है, तो वहीं सब्जियां उगाने वाले किसान भी परेशान है. कई किसान और काश्तकार तो खुद और परिवार को संक्रमण से बचाने के लिए खेतों में लगी अपनी सब्जियां तोड़कर मंडियों तक पहुंचाने से भी कतरा रहे हैं. कुछ ऐसे ही काश्तकारों के पास पहुंची ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड रियलिटी जानी.

ग्राउंड रिपोर्ट: कोरोना संक्रमण का डर

कोरोना वायरस के संक्रमण का ही डर है कि, ऐसे कई छोटे काश्तकर और किसान हैं, जिन्होंने सीजनेबल सब्जियां बेचने के लिए उनकी खेती की थी. जब कोरोना महामारी के संक्रमण का फैलाव हुआ तो, इन्होंने अपनी पकी पकाई सब्जियों की फसल खेतों से उतारकर मंडियों तक पहुंचाना भी मुनासिब नहीं समझा. काश्तकारों का ये भी कहना है की सब्जियों को मण्डियों तक पहुंचाने में भी परेशानी है, क्योंकि इससे जुड़े वाहन मिल नहीं रहे और यदि मंडियों में जाए तो वहां संक्रमण का खतरा भी रहता है.

पढें- CM अशोक गहलोत की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक, विभिन्न मुद्दों पर हुई चर्चा

ऐसे में अधिकतर किसान इन फसलों को काटकर मंडियों में पहुंचा चुके हैं, लेकिन कई किसान ऐसे भी हैं जिन्होंने कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते अपनी फसलों को पौधों से अब तक नहीं उतारा है. ये काश्तकार खेतों में उगाई गई इन सब्जियों में से कुछ का उपयोग अपने ही परिवार के खानपान के लिए कर रहे हैं और बची हुई सब्जियों को या तो पौधों में ही लगी छोड़ देते हैं या फिर आस पड़ोस के परिचित लोगों के मांगने पर उन्हें दे देते हैं. इस वक्त खेतों में ककड़िया, बैंगन, मिर्ची, पालक, टमाटर, प्याज, गवार फली, लोकी, बालोर की फली, टिंडे, और कद्दू पक कर तैयार हैं.

जयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण के बीच चल रहे लॉकडाउन में आम आदमी को रोजमर्रा की चीजें बमुश्किल मिल पा रही है, तो वहीं सब्जियां उगाने वाले किसान भी परेशान है. कई किसान और काश्तकार तो खुद और परिवार को संक्रमण से बचाने के लिए खेतों में लगी अपनी सब्जियां तोड़कर मंडियों तक पहुंचाने से भी कतरा रहे हैं. कुछ ऐसे ही काश्तकारों के पास पहुंची ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड रियलिटी जानी.

ग्राउंड रिपोर्ट: कोरोना संक्रमण का डर

कोरोना वायरस के संक्रमण का ही डर है कि, ऐसे कई छोटे काश्तकर और किसान हैं, जिन्होंने सीजनेबल सब्जियां बेचने के लिए उनकी खेती की थी. जब कोरोना महामारी के संक्रमण का फैलाव हुआ तो, इन्होंने अपनी पकी पकाई सब्जियों की फसल खेतों से उतारकर मंडियों तक पहुंचाना भी मुनासिब नहीं समझा. काश्तकारों का ये भी कहना है की सब्जियों को मण्डियों तक पहुंचाने में भी परेशानी है, क्योंकि इससे जुड़े वाहन मिल नहीं रहे और यदि मंडियों में जाए तो वहां संक्रमण का खतरा भी रहता है.

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ऐसे में अधिकतर किसान इन फसलों को काटकर मंडियों में पहुंचा चुके हैं, लेकिन कई किसान ऐसे भी हैं जिन्होंने कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते अपनी फसलों को पौधों से अब तक नहीं उतारा है. ये काश्तकार खेतों में उगाई गई इन सब्जियों में से कुछ का उपयोग अपने ही परिवार के खानपान के लिए कर रहे हैं और बची हुई सब्जियों को या तो पौधों में ही लगी छोड़ देते हैं या फिर आस पड़ोस के परिचित लोगों के मांगने पर उन्हें दे देते हैं. इस वक्त खेतों में ककड़िया, बैंगन, मिर्ची, पालक, टमाटर, प्याज, गवार फली, लोकी, बालोर की फली, टिंडे, और कद्दू पक कर तैयार हैं.

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