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दिल्ली में बैठे डॉक्टर ने असम में किया इलाज, नाव-नेटवर्क और दोस्त ने बचाई 'लालचंद' की जान

असम में आई बाढ़ में फंसे लिवर सोराइसिस के एक मरीज तक सर गंगा राम हॉस्पिटल के डॉक्टर टेली कंस्लटेंसी के जरिए पहुंचकर सही समय पर उनका इलाज कर उस मरीज की जान बचाकर एक नई जिंदगी दी. अब सर गंगाराम हॉस्पिटल इस गरीब मरीज को दिल्ली लाकर स्थायी इलाज करेगा.

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दिल्ली में बैठे डॉक्टर ने असम में किया इलाज
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Published : Jul 31, 2020, 8:13 AM IST

जयपुर/नई दिल्ली: असम में आई बाढ़ ने लोगों के जीवन को मुश्किल में डाल दिया है. घर से बेघर हो कर लोग खाने के लिए दाने-दाने को मोहताज तो हुए ही साथ ही बीमार होने पर डॉक्टरी सलाह और दवाइयों से भी महरूम हो गए.

दिल्ली में बैठे डॉक्टर ने असम में किया इलाज

ऐसे में दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में वीडियो कॉलिंग के जरिए बाढ़ में फंसे लालचंद विश्वास को मेडिकल एडवाइस और दवाइयां पहुंचाकर उनकी बड़ी मदद की. बता दें कि एक मुस्लिम दोस्त रहमान ने ऐसी विकट परिस्थिति में भी आपसी भाईचारे और सौहार्द की भावना दोस्ती की एक नई मिसाल पेश की.

लिवर सोराइसिस से पीड़ित है मरीज

करीब एक पखवाड़े पहले असम की बाढ़ में फंसे एक गरीब मरीज लालचंद विश्वास की हालत अचानक बिगड़ गई. वह लिवर सोराइसिस से पीड़ित हैं. उनका लिवर खराब हो गया है. लॉकडाउन और बाढ़ की वजह से दवाई समय पर नहीं मिल पाईं जिससे उनकी तबियत ज्यादा खराब हो गई.

यह भी पढ़ें- CM गहलोत का बड़ा बयान, कहा- विस बुलाने के साथ ही प्रदेश में बढ़ी हॉर्स ट्रेडिंग की कीमत

विश्वास के दोस्त रहमान ने दिल्ली की सर गंगा राम हॉस्पिटल में सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड लिवर ट्रांसप्लांट डिपार्टमेंट के कंसलटेंट के रूप में काम करने वाले डॉ. धीर को फोन किया. रहमान ने अपने डॉक्टर धीर को बताया कि मरीज की हालत बहुत खराब है उसे सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही है और उसके पेट में भी सूजन हो गई थी. रहमान ने वीडियो कॉल कर डॉक्टर धीर को अपने दोस्त से बात करवाई और उन्हें उसकी बीमारी के बारे में विस्तार से बताया.

नाव पर लिटाकर नेटवर्क वाले इलाके में लाया गया मरीज

मरीज की खराब हालत को देखते हुए डॉ. धीर ने तत्काल अपने विभाग के दूसरे डॉक्टरों के साथ मिलकर एक मेडिकल कंसल्टेंसी उपलब्ध करवाई. टेली कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए डॉक्टर और उनके सहयोगियों ने मरीज को देखा, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह थी कि बाढ़ ग्रसित इलाके में मोबाइल का नेटवर्क सही तरीके से काम नहीं कर रहा था जहां पर में विश्वास वार्ड में फंसे हुए थे. इस समस्या का समाधान के लिए मरीज को नाव के सहारे वहां तक लाया गया जहां पर मोबाइल का नेटवर्क सही तरीके से आ रहा था. इस बीच मरीज और डॉक्टर के बीच पूरा कम्यूनिकेशन बोट पर ही चलता रहा.

भाषा का अंतर थी बड़ी समस्या

मोबाइल नेटवर्क ही अकेली समस्या नहीं थी. भाषा का अंतर एक बहुत बड़ी समस्या थी. डॉक्टर और मरीज एक दूसरे की भाषा समझ नहीं पा रहे थे, लेकिन रहमान की मदद की भाषा की समस्या खत्म हो गई. रहमान ने फार्मेसी में पढ़ाई कर रखी थी. इससे भी काफी हद तक मदद मिली. डॉ गंगाराम हॉस्पिटल से जो भी इंस्ट्रक्शंस दिए जा रहे थे, रहमान उसको वैसे ही फॉलो कर रहे थे.

यह भी पढ़ें- अनलॉक 3.0 : राजस्थान में एक सितंबर से खुल सकेंगे मंदिर, सीएम गहलोत ने दिए निर्देश

रहमान ने मरीज विश्वास के कुछ जांच किए और उन्हें डॉक्टर के बताए हुए इंजेक्शन भी दिए. 1 घंटे के बाद दुबारा टेली कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मरीज से संपर्क किया गया तो पाया गया कि विश्वास की तबीयत में बहुत हद तक सुधार हुआ है और उसकी हालात स्थिर हुई है.

एक महीने की मुफ्त दवाई भेजी

डॉ. धीर ने बताया कि गंगा राम हॉस्पिटल ना सिर्फ मरीज की कंसल्टेंसी दी बल्कि उनके मित्र की मदद से अगले 1 महीने के लिए उन्हें दवाइयां भी उपलब्ध करवाई गई. अस्पताल के चेयरमैन डॉ डीएस राणा ने बताया कि उनका अस्पताल, अस्पताल के संस्थापक सर गंगाराम के उसूलों और सिद्धांतों का पूरा पालन करता है जो गरीब और जरूरतमंदों की जाति धर्म आर्थिक स्थिति और दूरियों को दरकिनार करते हुए हमेशा मदद की पक्षधर थे.

नहीं मिलती मेडिकल हेल्प तो जा सकती थी जान

रहमान ने बताया कि अगर सही समय पर में उसके दोस्त विश्वास को मेडिकल हेल्प नहीं मिलती तो उसकी जान जा सकती थी. मैंने अपने मित्र की इसलिए भी मदद की, क्योंकि उसके परिवार में उसके अलावा कोई और मदद करने वाला नहीं था. गंगा राम हॉस्पिटल ने जिस तरीके से मेरे मित्र की मदद की है उसके लिए हम आभार व्यक्त करते हैं. फिलहाल मरीज की स्थिति स्टेबल है जैसे ही दिल्ली में कोरोना को लेकर की स्थिति नॉर्मल होगी उन्हें अस्पताल बुलाकर इलाज किया जाएगा.

जयपुर/नई दिल्ली: असम में आई बाढ़ ने लोगों के जीवन को मुश्किल में डाल दिया है. घर से बेघर हो कर लोग खाने के लिए दाने-दाने को मोहताज तो हुए ही साथ ही बीमार होने पर डॉक्टरी सलाह और दवाइयों से भी महरूम हो गए.

दिल्ली में बैठे डॉक्टर ने असम में किया इलाज

ऐसे में दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में वीडियो कॉलिंग के जरिए बाढ़ में फंसे लालचंद विश्वास को मेडिकल एडवाइस और दवाइयां पहुंचाकर उनकी बड़ी मदद की. बता दें कि एक मुस्लिम दोस्त रहमान ने ऐसी विकट परिस्थिति में भी आपसी भाईचारे और सौहार्द की भावना दोस्ती की एक नई मिसाल पेश की.

लिवर सोराइसिस से पीड़ित है मरीज

करीब एक पखवाड़े पहले असम की बाढ़ में फंसे एक गरीब मरीज लालचंद विश्वास की हालत अचानक बिगड़ गई. वह लिवर सोराइसिस से पीड़ित हैं. उनका लिवर खराब हो गया है. लॉकडाउन और बाढ़ की वजह से दवाई समय पर नहीं मिल पाईं जिससे उनकी तबियत ज्यादा खराब हो गई.

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विश्वास के दोस्त रहमान ने दिल्ली की सर गंगा राम हॉस्पिटल में सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड लिवर ट्रांसप्लांट डिपार्टमेंट के कंसलटेंट के रूप में काम करने वाले डॉ. धीर को फोन किया. रहमान ने अपने डॉक्टर धीर को बताया कि मरीज की हालत बहुत खराब है उसे सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही है और उसके पेट में भी सूजन हो गई थी. रहमान ने वीडियो कॉल कर डॉक्टर धीर को अपने दोस्त से बात करवाई और उन्हें उसकी बीमारी के बारे में विस्तार से बताया.

नाव पर लिटाकर नेटवर्क वाले इलाके में लाया गया मरीज

मरीज की खराब हालत को देखते हुए डॉ. धीर ने तत्काल अपने विभाग के दूसरे डॉक्टरों के साथ मिलकर एक मेडिकल कंसल्टेंसी उपलब्ध करवाई. टेली कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए डॉक्टर और उनके सहयोगियों ने मरीज को देखा, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह थी कि बाढ़ ग्रसित इलाके में मोबाइल का नेटवर्क सही तरीके से काम नहीं कर रहा था जहां पर में विश्वास वार्ड में फंसे हुए थे. इस समस्या का समाधान के लिए मरीज को नाव के सहारे वहां तक लाया गया जहां पर मोबाइल का नेटवर्क सही तरीके से आ रहा था. इस बीच मरीज और डॉक्टर के बीच पूरा कम्यूनिकेशन बोट पर ही चलता रहा.

भाषा का अंतर थी बड़ी समस्या

मोबाइल नेटवर्क ही अकेली समस्या नहीं थी. भाषा का अंतर एक बहुत बड़ी समस्या थी. डॉक्टर और मरीज एक दूसरे की भाषा समझ नहीं पा रहे थे, लेकिन रहमान की मदद की भाषा की समस्या खत्म हो गई. रहमान ने फार्मेसी में पढ़ाई कर रखी थी. इससे भी काफी हद तक मदद मिली. डॉ गंगाराम हॉस्पिटल से जो भी इंस्ट्रक्शंस दिए जा रहे थे, रहमान उसको वैसे ही फॉलो कर रहे थे.

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रहमान ने मरीज विश्वास के कुछ जांच किए और उन्हें डॉक्टर के बताए हुए इंजेक्शन भी दिए. 1 घंटे के बाद दुबारा टेली कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मरीज से संपर्क किया गया तो पाया गया कि विश्वास की तबीयत में बहुत हद तक सुधार हुआ है और उसकी हालात स्थिर हुई है.

एक महीने की मुफ्त दवाई भेजी

डॉ. धीर ने बताया कि गंगा राम हॉस्पिटल ना सिर्फ मरीज की कंसल्टेंसी दी बल्कि उनके मित्र की मदद से अगले 1 महीने के लिए उन्हें दवाइयां भी उपलब्ध करवाई गई. अस्पताल के चेयरमैन डॉ डीएस राणा ने बताया कि उनका अस्पताल, अस्पताल के संस्थापक सर गंगाराम के उसूलों और सिद्धांतों का पूरा पालन करता है जो गरीब और जरूरतमंदों की जाति धर्म आर्थिक स्थिति और दूरियों को दरकिनार करते हुए हमेशा मदद की पक्षधर थे.

नहीं मिलती मेडिकल हेल्प तो जा सकती थी जान

रहमान ने बताया कि अगर सही समय पर में उसके दोस्त विश्वास को मेडिकल हेल्प नहीं मिलती तो उसकी जान जा सकती थी. मैंने अपने मित्र की इसलिए भी मदद की, क्योंकि उसके परिवार में उसके अलावा कोई और मदद करने वाला नहीं था. गंगा राम हॉस्पिटल ने जिस तरीके से मेरे मित्र की मदद की है उसके लिए हम आभार व्यक्त करते हैं. फिलहाल मरीज की स्थिति स्टेबल है जैसे ही दिल्ली में कोरोना को लेकर की स्थिति नॉर्मल होगी उन्हें अस्पताल बुलाकर इलाज किया जाएगा.

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