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रियलिटी चेक: कड़ाके की ठंड में भी राजधानी में खुले में सो रहे सैकड़ों बेसहारा - राजस्थान हिंदी समाचार

राजधानी जयपुर में तापमान 2 डिग्री तक जा पहुंचा है. उस दौरान भी शहर के फुटपाथ पर गरीब और मजदूर वर्ग खुले में रात बिताता देखा जा सकता है. राजधानी में नगर निगम प्रशासन ने 27 रैन बसेरे बनाए हैं, लेकिन आज भी सैकड़ों गरीब इन रैन बसेरों की पहुंच से दूर है. देखिए जयपुर से स्पेशल रिपोर्ट...

destitute sleeping, night shelter homes
खुले में सो रहे सैकड़ों बेसहारा
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Published : Jan 3, 2020, 4:40 PM IST

जयपुर. सर्दी की रात कितनी कष्टदायक होती है, अगर आपको इसका हाल जानना हो तो रात को शहर की सड़कों पर निकल जाइए. खुले आसमान के नीचे आपको इसका एहसास भी हो जाएगा. लेकिन इन जाड़े की रातों में भी सैकड़ों लोग जयपुर में खुले में रात गुजारते देखे जा सकते हैं.

जयपुर में खुले में सो रहे सैकड़ों बेसहारा

जहां फुटपाथ इनका बिस्तर होता है और सर्द हवाओं से बचने के लिए महज एक कंबल इनका सहारा.ईटीवी भारत ने राजधानी के पॉश एरिया कहे जाने वाले सी स्कीम क्षेत्र का जायजा लिया. जहां जय क्लब के सामने फुटपाथ पर बुजुर्ग से लेकर बच्चा तक इस सर्दी के सितम से जूझता हुआ दिखा.

पढ़ें- स्पेशल: खुले आसमान के नीचे बीत रही रैन...बसेरे का नहीं है इंतजाम

जब इन लोगों से बात करनी चाहिए तो कुछ प्रशासन के डर से अपनी बात कहने से हिचकिचा रहे थे, तो कुछ ने बताया कि उन्हें ना तो निगम प्रशासन की ओर से लगाए गए रैन बसेरों की जानकारी है और ना ही उनके पास कोई परिचय पत्र है, जिससे वो एंट्री ले सकें. ऐसे में अपने नियमित रोजगार से फ्री होकर वो अपने परिवार के साथ इन्हीं फुटपाथ पर रात गुजार लेते हैं.

पढ़ें- जोधपुर: निगम चला रहा आधा दर्जन रैन बसेरे, फिर भी लोग सड़क किनारे गुजारते हैं रात

सी स्कीम ये वही क्षेत्र है जहां से बड़े-बड़े आला अधिकारी गाड़ियों में बैठकर अपने गंतव्य के लिए निकल जाते हैं, लेकिन कोई एक भी इन्हें देखने पूछने वाला नहीं है. इस कड़ाके की ठंड में फुटपाथ पर रात गुजारने वाले इन लोगों को दुर्घटना का भी खतरा बना रहता है. ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए रैन बसेरे स्थापित कर राहत देने वाले प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं.

जयपुर. सर्दी की रात कितनी कष्टदायक होती है, अगर आपको इसका हाल जानना हो तो रात को शहर की सड़कों पर निकल जाइए. खुले आसमान के नीचे आपको इसका एहसास भी हो जाएगा. लेकिन इन जाड़े की रातों में भी सैकड़ों लोग जयपुर में खुले में रात गुजारते देखे जा सकते हैं.

जयपुर में खुले में सो रहे सैकड़ों बेसहारा

जहां फुटपाथ इनका बिस्तर होता है और सर्द हवाओं से बचने के लिए महज एक कंबल इनका सहारा.ईटीवी भारत ने राजधानी के पॉश एरिया कहे जाने वाले सी स्कीम क्षेत्र का जायजा लिया. जहां जय क्लब के सामने फुटपाथ पर बुजुर्ग से लेकर बच्चा तक इस सर्दी के सितम से जूझता हुआ दिखा.

पढ़ें- स्पेशल: खुले आसमान के नीचे बीत रही रैन...बसेरे का नहीं है इंतजाम

जब इन लोगों से बात करनी चाहिए तो कुछ प्रशासन के डर से अपनी बात कहने से हिचकिचा रहे थे, तो कुछ ने बताया कि उन्हें ना तो निगम प्रशासन की ओर से लगाए गए रैन बसेरों की जानकारी है और ना ही उनके पास कोई परिचय पत्र है, जिससे वो एंट्री ले सकें. ऐसे में अपने नियमित रोजगार से फ्री होकर वो अपने परिवार के साथ इन्हीं फुटपाथ पर रात गुजार लेते हैं.

पढ़ें- जोधपुर: निगम चला रहा आधा दर्जन रैन बसेरे, फिर भी लोग सड़क किनारे गुजारते हैं रात

सी स्कीम ये वही क्षेत्र है जहां से बड़े-बड़े आला अधिकारी गाड़ियों में बैठकर अपने गंतव्य के लिए निकल जाते हैं, लेकिन कोई एक भी इन्हें देखने पूछने वाला नहीं है. इस कड़ाके की ठंड में फुटपाथ पर रात गुजारने वाले इन लोगों को दुर्घटना का भी खतरा बना रहता है. ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए रैन बसेरे स्थापित कर राहत देने वाले प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं.

Intro:जयपुर - राजधानी में जब तापमान 2 डिग्री तक जा पहुंचा है। उस दौरान भी शहर के फुटपाथ पर गरीब और मजदूर वर्ग खुले में रात बिताता देखा जा सकता है। राजधानी में नगर निगम प्रशासन ने 27 रेन बसेरे बनाए हैं। लेकिन आज भी सैकड़ों गरीब इन रैन बसेरों की पहुंच से दूर है। कुछ के पास परिचय पत्र नहीं, तो कुछ को जानकारी नहीं। जिसके चलते मजबूरन ये लोग इस हाड़ कपा देने वाली सर्दी में भी खुले में रात गुजार रहे हैं।


Body:सर्दी की रात कितनी कष्टदायक होती है अगर आपको इसका हाल जानना हो तो रात को शहर की सड़कों पर निकल जाइए। खुले आसमान के नीचे आपको इसका एहसास भी हो जाएगा। लेकिन इन जाड़े की रातों में भी सैकड़ों लोग जयपुर में खुले में रात गुजारते देखे जा सकते हैं। जहां फुटपाथ इनका बिस्तर होता है। और सर्द हवाओं से बचने के लिए महज एक कंबल। ईटीवी भारत ने राजधानी के पोश एरिया कहे जाने वाले सी स्कीम क्षेत्र का जायजा लिया। जहां जय क्लब के सामने फुटपाथ पर बुजुर्ग से लेकर बच्चा तक इस सर्दी के सितम से जूझता हुआ दिखा। जब इन लोगों से बात करनी चाहिए तो कुछ प्रशासन के डर से अपनी बात कहने से हिचकिचा रहे थे। तो कुछ ने बताया कि उन्हें ना तो निगम प्रशासन की ओर से लगाए गए रैन बसेरों की जानकारी है। और ना ही उनके पास कोई परिचय पत्र है। ताकि वहां एंट्री ले सकें। ऐसे में अपने नियमित रोजगार से फ्री होकर वो अपने परिवार के साथ इन्हीं फुटपाथ पर रात गुजार लेते हैं।


Conclusion:सी स्कीम ये वही क्षेत्र है जहां से बड़े-बड़े आला अधिकारी गाड़ियों में बैठकर अपने गंतव्य के लिए निकल जाते हैं। लेकिन कोई एक भी इन्हें देखने पूछने वाला नहीं है। इस कड़ाके की ठंड में फुटपाथ पर रात गुजारने वाले इन लोगों को दुर्घटना का भी खतरा बना रहता है। ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए रैन बसेरे स्थापित कर राहत देने वाले प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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