जयपुर. नगरीय विकास मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के नगरीय विकास के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार ने न केवल बॉयलॉज में संशोधन किया है, बल्कि नई नीतियां बनाकर आमजन को राहत देने का प्रयास किया है.
उन्होंने बताया कि 2 अक्टूबर से शुरू होने वाले प्रशासन शहरों के संग अभियान में प्रदेश की जनता को बड़ी राहत दी जाएगी. जयपुर में जेएलएन मार्ग को रेड लाइट फ्री बनाया जाएगा. वहीं चारदीवारी में पार्किंग की समस्या के समाधान के लिए रामनिवास बाग में अंडर ग्राउंड पार्किंग बनायी जाएगी. शांति कुमार धारीवाल शुक्रवार को विधानसभा में मांग संख्या 29 (नगर आयोजना एवं प्रादेशिक विकास) की अनुदान मांगों पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे. चर्चा के बाद सदन ने नगर आयोजना एवं प्रादेशिक विकास की 73 अरब 58 करोड़ 25 लाख 19 हजार रूपये की अनुदान मांगों को ध्वनिमत से पारित कर दी.
यह रही प्रमुख घोषणाएं
नगरीय विकास मंत्री ने बताया कि आगामी 2 अक्टूबर, 2021 से प्रशासन शहरों के संग अभियान आरंभ किया जाएगा. उन्होंने कहा कि 2012 में चला ये अभियान काफी सफल रहा था. इस बार तब की दी गई छूटों के अतिरिक्त अब नगरीय निकायों के पट्टे सशर्त नहीं होंगे. इससे आम जन को बैंक ऋण लेने में आसानी होगी. कच्ची बस्ती और अन्य सभी पट्टों पर भी ऋण मिल सकेगा. उन्होंने बताया कि भूखंडों के उपविभाजन पश्चात पट्टे मिल सकेंगे और स्टेट क्राउन एक्ट के अलावा पुरानी आबादी में आवासीय व दुकान होने पर भी पट्टे मिल सकेंगे.
धारीवाल ने बताया कि मास्टर प्लान की क्रियान्वति के संबंध में गुलाब कोठारी केस में उच्च न्यायालय के आदेश की पालना में जोनल प्लान तैयार करने के आदेश पारित किए जा चुके हैं. हाल ही में जारी की गई लैंड पूलिंग नीति और टाउनशिप नीति से विकास कार्यों को गति मिलेगी. उन्होंने कहा कि 193 नगरीय निकायों में से 184 के मास्टर प्लान को राज्य सरकार अनुमोदित कर चुकी है.
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टाउनशिप पॉलिसी 2010, स्लम विकास नीति 2010, अफॉर्डेबल हाउसिंग नीति 2009 जैसी नीतियों में बदलाव कर इन्हें समयानुकूल और उपयोगी बनाया गया है. भवन विनियम, 2020 में हरित क्षेत्र के मानदंड को दोगुना कर दिया गया है. अब 1 हजार वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल के स्थान पर 750 वर्ग मीटर पर 10 प्रतिशत हरित क्षेत्र कर दिया गया है.
नगरीय विकास मंत्री ने बताया कि पूर्ववर्ती सरकार की अन्नपूर्णा रसोई योजना में नाश्ते के लिए 18.95 रुपये प्रति प्लेट और खाने के लिए 19.95 रुपये प्रति थाली का अनुदान देय था. वर्तमान में इंदिरा रसोई योजना में सिर्फ 12 रुपये प्रति थाली का अनुदान ही दिया जा रहा है. इससे आमजन को लाभ हो रहा है. इंदिरा रसोई में निगरानी रखने के लिए सीसीटीवी लगाए जाएंगे. लाभार्थियों से ऑनलाइन फीडबैक के लिए रिस्पांस सिस्टम लगवाए जा रहे हैं.
भ्रष्टाचार रोकने के लिए भौतिक सत्यापन बंद
उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार रोकने के लिए नाम हस्तांतरण, विक्रय स्वीकृति और ऋण स्वीकृति के लिए भौतिक सत्यापन बंद कर दिया गया है. अब स्थानीय निकायों को केवल दस्तावेजों के आधार पर 10 दिन के अंदर मंजूरी के प्रावधान बनाए गए हैं.
धारीवाल ने बताया कि जयपुर में स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत लगभग 750 करोड़ रुपये व्यय किए जा चुके हैं. रामनिवास बाग में भूमिगत पार्किंग की निविदा जारी की जा चुकी है. झोटवाड़ा एलिवेटेड रोड को शीघ्र पूरा किया जाएगा. इससे प्रभावित होने वाली 600 दुकानों और मकानों को निवारू रोड पर विस्थापित करने की योजना बनाई गई है. उन्होंने कहा कि जयपुर मेट्रो के बड़ी चौपड़ से ट्रांसपोर्ट नगर और सीतापुरा से अंबाबाड़ी रूट पर केंद्र सरकार से सहयोग और वित्तीय अनुकूलता को देखते हुए काम किया जाएगा.
आवासन मंडल को मरणासन्न अवस्था से उभारकर पुनः ऊर्जा दी है. ई-ऑक्शन और बुधवार नीलामी के जरिए 1100 करोड़ का राजस्व प्राप्त किया गया है. वहीं, मंडल की ओर से विकास को गति देने के लिए कोचिंग हब, चौपाटी योजना जैसे कार्य किए जा रहे हैं. वहीं, कर्ज में डूबे जयपुर विकास प्राधिकरण को गति देकर कोरोना काल में भी 1000 करोड़ का राजस्व प्राप्त कराया.
नगरीय विकास मंत्री ने बताया कि जयपुर स्मार्ट सिटी के तहत 16.50 करोड़ रुपये की लागत से कंवर नगर स्कूल परिसर का विस्तार, नए स्नातक महाविद्यालय का निर्माण और खेलकूद की सुविधाएं मिलेंगी. उन्होंने बताया कि जेडीए की ओर से चंदलाई बांध को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित भी किया जाएगा.
जयपुर के जवाहर लाल नेहरू मार्ग को रेड लाइट फ्री बनायेंगे. इसके लिए डीपीआर बन चुकी है. इसमें 700 करोड़ रुपये लागत आएगी. मई-जून 2021 में कार्य शुरू होकर 2 वर्ष में पूरा हो जाएगा.
देवनारायण योजना के तहत पशुपालकों के लिए कोटा में 1250 मकान बनाये जाएंगे. इनमें 900 डेयरी संचालकों को शिफ्ट करेंगे. पशुपालकों के लिए अस्पताल, स्कूल, पशु चिकित्सालय और पशुओं के लिए तालाब और बायोगैस प्लांट भी बनेगा. उन्होंने बताया कि कोटा में ही 100 करोड़ रुपये लागत से ऑक्सीजन पार्क बनाया जाएगा. चंबल रिवर फ्रंट विकास कार्य पर भी 800 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
अजमेर स्मार्ट सिटी में 8.75 करोड़ और कोटा स्मार्ट सिटी के अंतर्गत 20 करोड़ रुपये की लागत से लेगेसी वेस्ट का निस्तारण किया जायेगा. जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय अजमेर में 6.78 करोड़ रूपये व्यय कर 100 शैय्याओं का आइसोलेशन विंग का निर्माण होगा. सात करोड़ से 128 स्लाइस की सीटी स्कैन मशीन लगेगी. साथ ही 300 टन प्रतिदिन क्षमता का सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट शुरू किया जा रहा है.
उदयपुर स्मार्ट सिटी के तहत ब्रह्मपोल से चांदपोल झील के ऊपर सड़क का निर्माण कार्य 11.78 करोड़ की लागत से होगा. आईटी समाधान एवं निगरानी नेटवर्क कार्य 15 करोड़ की लागत से होगा. वहीं, 1.43 करोड़ से आयुर्वेद विभाग और राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय के लिये उपकरणों की खरीद की जायेगी.
स्वच्छ भारत मिशन शहरी में एक लाख से अधिक आबादी वाले नगरीय निकायों में एसटीपी और सीवरेज ट्रीटमेंट के कार्य होंगे. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में जयपुर, जोधपुर, एवं कोटा को एयर क्वालिटी इम्प्रूवमेंट के लिए प्रथम किस्त के अनुदान की 140 करोड़ 50 लाख की स्वीकृति जारी की गयी है. इससे शहरों में ग्रीन स्पेस डवलपमेंट, आधुनिक मशीनों द्वारा रोड़ की सफाई, सड़कों की मरम्मत कार्य, एंटी स्मोग गन से वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय किये जायेंगे. साथ ही अलवर, भिवाड़ी नगर परिषद को एक-एक एंटी स्मोक गन उपलब्ध करायी जायेगी.
निजी कॉलोनाइजर्स को रोकने के लिए अब 150 असिस्टेंट टाउन प्लानर्स की नियुक्ति की जायेगी. उनकी ड्यूटी उन्हें रोकने की होगी. उन्होंने बताया कि नगरपालिकाओं को सीमा बढ़ाने के लिए सिवायचक जमीन लेने की प्राथमिकता मिलेगी.
रियायती दरों पर जमीन पर निर्माण नहीं तो कार्यवाही
नगरीय विकास मंत्री ने बताया कि रियायती दरों पर आवंटित भूमि को संस्थाओं द्वारा 4 वर्ष में निर्माण करना आवश्यक होगा. नहीं करने पर राशि जब्त की जाकर भूमि आवंटन निरस्त किया जायेगा. वहीं, सरकार की ओर से 1426 संस्थाओं की जांच की गई, इनमें से 150 को नोटिस जारी किया गया है.
भवन निर्माण उद्योग को प्रोत्साहन व आमजन को राहत देने के लिए नये भवन विनियम-2020 जारी किये गये हैं. अब 250 वर्गमीटर की जगह 500 वर्गमीटर क्षेत्रफल तक के भूखंड पर विस्तृत भवन मानचित्र प्रस्तुत करने की अनिवार्यता को समाप्त की गयी है. वहीं, 500 वर्गमीटर से अधिक 2500 वर्गमीटर तक के भूखंडों पर 18 मीटर की उंचाई के भवनों को पंजीकृत वास्तुविदों से अनुमोदन कराकर निर्माण शुरू किया जा सकता है. अब 15 मीटर के स्थान पर 18 मीटर के भवनों को बहुमंजिला भवन माना गया है.