जयपुर/नई दिल्ली. जाट रेजिमेंट में भारतीय सेना की सेवा करने वाले कारगिल युद्ध के सैनिक नेम सिंह जुरेल चाहते थे की उनका बेटा ध्रुव स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में शामिल हो जाए. लेकिन ध्रुव को अपने पिता के नक्शेकदम पर चलने के वजाय क्रिकेट में अपना कैरियर चुनने के लिए तैयार था. नेम का कहना है कि उन्हें अपने बेटे की पसंद पर भरोसा है.
18 साल के ध्रुव एक विकेटकीपर और शीर्ष क्रम के बल्लेबाज है. अगले महीने कोलंबो में अंडर- 19 यूथ एशिया कप में भारत का नेतृत्व करेंगे. ध्रुव ने इंग्लैंड में त्रिकोणीय टूर्नामेंट के फाइनल में अंडर- 19 कप में भारत की ओर से बांग्लादेश पर विजय के मुख्य खिलाड़ी थे. 262 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए, ज्लदीबाजी में दो विकेट खो दिए. ध्रुव के नाबाद 59 रन की मदद से ही भारत को जीतने में मदद की.
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अपने बेटे की भारत की अंडर- 19 टीम में खेलने के बाद भी शुरू में नेम सिंह, ध्रुव की भविष्य को लेकर आशंकित थे. फिर भी अपने बेटे के खेल के प्रति अटूट जुनून को देखकर वह उसके कोच परवेंद्र यादव के संरक्षण में आगरा के स्प्रिंगडेल अकादमी में दाखिला दिलवा दिया. उन्होंने कहा कि मुझे यकीन नहीं था कि वह इसे क्रिकेटर बना देंगे.
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इसके बारे में ध्रुव के कोच ने कहा कि जब वह तीन साल पहले मेरी अकादमी में आया था तो मुझे नहीं पता था कि वह कौन था. लेकिन उन्होंने मुझे अपनी विकेट कीपिंग और बल्लेबाजी से प्रभावित किया. इसलिए मैंने उनके साथ बने रहने का फैसला किया. उन्होंने बताया कि अगले साल उसे मेरठ में वैभव मिश्रा टूर्नामेंट के लिए चुना गया है. फाइनल में नंबर 6 पर बल्लेबाजी करते हुए नाबाद 36 गेंद पर 80 रन बनाए, जिससे उनकी टीम को जीत मिली थी.
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इसके बाद उसे साल 2018-19 सत्र के लिए अंडर- 19 टीम में जगह मिली.अपने बेटे की सफलता के बावजूद भी पिता नेम सिंह की इच्छा है की मेरा बेटा अपनी औपचारिक शिक्षा पूरी करें. पिछले साल आर्मी स्कूल से स्नातक करने के बाद उसने क्रिकेट में अपना कैरियर आगे बढ़ाने के लिए ब्रेक लिया. मुझे उम्मीद है कि वह अगले साल तक कॉलेज में दाखिला ले लेगा.