ETV Bharat / city

राजस्थान : निजी स्कूलों की फीस वसूली के मामले में बहस पूरी, फैसला सुरक्षित - Jaipur News

राजस्थान हाईकोर्ट में निजी स्कूलों की फीस वसूली के मामले में बहस पूरी हो गई है. सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है.

Gehlot Government News,  Private school fees case
राजस्थान हाईकोर्ट
author img

By

Published : Dec 16, 2020, 3:30 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में निजी स्कूलों की फीस वसूली के मामले में बुधवार को सभी पक्षों की बहस पूरी हो गई है. इस पर मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार व अन्य की अपील पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

निजी स्कूलों की फीस वसूली के मामले में बहस पूरी

सुनवाई के दौरान एक अभिभावक संघ की ओर से कहा गया कि कोरोना संकट को देखते हुए राज्य सरकार को फीस वहन करनी चाहिए. जबकि एक अभिभावक ने कहा कि स्कूल खुलने के बाद भी स्कूल संचालकों को ट्यूशन फीस का 30 फीसदी ही वसूल किया जाना चाहिए.

इस पर सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश महर्षि ने कहा कि आरटीई एक्ट के तहत निशुल्क शिक्षा के 25 फीसदी विद्यार्थियों के अलावा अन्य विद्यार्थियों की फीस सरकार वहन करने के लिए बाध्य नहीं है. यदि सरकार की ओर से तय की गई फीस से अदालत संतुष्ट नहीं है तो सीए और ऑडिटर अभिभावकों को शामिल करते हुए गठित फीस निर्धारण कमेटी से फीस निर्धारित करवाई जा सकती है.

पढ़ें- सवाई माधोपुर में देह व्यापार के आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज

वहीं, विद्याश्रम स्कूल की ओर से अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने कहा कि स्कूल प्रशासन और अभिभावकों के बीच संतुलन रखना जरूरी है. देश के अलग-अलग 8 हाईकोर्ट तय कर चुके हैं कि कोरोना के हालत में भी स्कूल सौ फीसदी ट्यूशन फीस वसूल सकते हैं. यदि फीस को लेकर कोई विवाद है तो कुल फीस का 80 फीसदी लिया जा सकता है. सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है.

गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन की याचिका पर गत 7 सितंबर को निजी स्कूलों को 70 फीसदी ट्यूशन फीस वसूल करने की छूट दी थी. राज्य सरकार व अन्य की ओर से इस आदेश के खिलाफ पेश अपील पर खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश पर रोक लगाते हुए सरकार को अंतरिम रूप से फीस तय करने को कहा था. जिसकी पालना में राज्य सरकार ने सिलेबस के आधार पर फीस तय की है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में निजी स्कूलों की फीस वसूली के मामले में बुधवार को सभी पक्षों की बहस पूरी हो गई है. इस पर मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार व अन्य की अपील पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

निजी स्कूलों की फीस वसूली के मामले में बहस पूरी

सुनवाई के दौरान एक अभिभावक संघ की ओर से कहा गया कि कोरोना संकट को देखते हुए राज्य सरकार को फीस वहन करनी चाहिए. जबकि एक अभिभावक ने कहा कि स्कूल खुलने के बाद भी स्कूल संचालकों को ट्यूशन फीस का 30 फीसदी ही वसूल किया जाना चाहिए.

इस पर सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश महर्षि ने कहा कि आरटीई एक्ट के तहत निशुल्क शिक्षा के 25 फीसदी विद्यार्थियों के अलावा अन्य विद्यार्थियों की फीस सरकार वहन करने के लिए बाध्य नहीं है. यदि सरकार की ओर से तय की गई फीस से अदालत संतुष्ट नहीं है तो सीए और ऑडिटर अभिभावकों को शामिल करते हुए गठित फीस निर्धारण कमेटी से फीस निर्धारित करवाई जा सकती है.

पढ़ें- सवाई माधोपुर में देह व्यापार के आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज

वहीं, विद्याश्रम स्कूल की ओर से अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने कहा कि स्कूल प्रशासन और अभिभावकों के बीच संतुलन रखना जरूरी है. देश के अलग-अलग 8 हाईकोर्ट तय कर चुके हैं कि कोरोना के हालत में भी स्कूल सौ फीसदी ट्यूशन फीस वसूल सकते हैं. यदि फीस को लेकर कोई विवाद है तो कुल फीस का 80 फीसदी लिया जा सकता है. सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है.

गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन की याचिका पर गत 7 सितंबर को निजी स्कूलों को 70 फीसदी ट्यूशन फीस वसूल करने की छूट दी थी. राज्य सरकार व अन्य की ओर से इस आदेश के खिलाफ पेश अपील पर खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश पर रोक लगाते हुए सरकार को अंतरिम रूप से फीस तय करने को कहा था. जिसकी पालना में राज्य सरकार ने सिलेबस के आधार पर फीस तय की है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.