जयपुर. देश के 15 राज्यों में खाली होने जा रही 57 राज्यसभा सीटों का चुनावी रण (Rajasthan Rajya Sabha Election) मंगलवार यानि 24 मई से नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही शुरू हो जाएगा. बात राजस्थान की करें तो इन 57 राज्यसभा सीटों में से 4 राज्यसभा सीटें राजस्थान में भी खाली होंगी और इन 4 में से 3 सीट अपने खाते में डालने की पूरी कोशिश मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की रहेगी. बहुमत के आधार पर ये लग भी रहा है कि कांग्रेस 4 में से 2 सीट तो आसानी से और अगर रणनीतिक चूक नहीं हुई तो तीसरी सीट पर भी जीत दर्ज कर लेगी.
लेकिन राजस्थान में 4 राज्यसभा सीट में से 3 पर जीत दर्ज करना गहलोत के लिए इतना आसान भी नहीं होने वाला है, क्योंकि पायलट कैम्प के विधायकों को साथ लेकर चलना और निर्दलीयों को जोड़े रखना गहलोत के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. इस चुनौती के बीच गहलोत खेमे के एक दर्जन विधायक नारा हैं. इनकी नाराजगी राज्यसभा चुनावों में गहलोत के सामने मुसीबत बन सकते हैं.
कोई दे रहा इस्तीफा तो कोई सरकार पर उठा रहा सवाल: राजस्थान में जिन चार राज्यसभा सीटों पर 10 जून को मतदान होगा उसमें कांग्रेस के पक्ष में वोट करने वाले 12 कांग्रेस विधायक जबरदस्त नाराज हैं. हालात यह है कि विधायक गणेश घोघरा तो विधायक पद से अपना इस्तीफा तक दे चुके हैं, तो वहीं आधा दर्जन कांग्रेस के विधायक योग्य होने के बावजूद मंत्री पद नहीं दिए जाने से नाराज हैं.
ये विधायक नाराज-
- गणेश घोघरा- एसडीएम की ओर से अपने समर्थकों के साथ ही खुद पर दर्ज कराई गई FIR से गणेश घोघरा इतने ज्यादा नाराज हो गए कि उन्होंने अपने विधायक पद से ही इस्तीफा दे दिया. हालांकि, यह इस्तीफा उन्होंने विधानसभा स्पीकर की जगह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेजा है. ऐसे में इस्तीफे से ज्यादा गहलोत के सामने गणेश घोघरा की नाराजगी दूर करना प्राथमिकता बन गई है. वहीं, गणेश घोघरा आदिवासी बेल्ट से दिनेश खोड़निया की राज्यसभा दावेदारी पर भी नाराज हैं.
- रामलाल मीना- कांग्रेस के सबसे युवा विधायकों में से एक रामलाल मीणा भी गणेश घोघरा प्रकरण में सरकार से नाराज दिखाई दे रहे हैं. वे घोघरा के साथ खड़े हैं क्योंकि दोनों विधायक आदिवासी अंचल डूंगरपुर ओर बांसवाड़ा से आते हैं तो मीना भी नहीं चाहते हैं कि दिनेश खोड़निया को गहलोत राजयसभा में भेजे.
- भरत सिंह कुंदनपुर- अपने ही मंत्री प्रमोद जैन भया पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाले भरत सिंह कुंदनपुर भी नाराज चल रहे हैं. राज्यसभा चुनाव में इनकी नाराजगी को भी थामना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए एक चुनौती होगा.
- दिव्या मदेरणा- इन दिनों अगर कांग्रेस की कोई महिला विधायक सबसे ज्यादा चर्चा में है, तो वह है दिव्या मदेरणा. जो न केवल विधानसभा में सरकार को ब्यूरोक्रेसी से सचेत रहने की सलाह के साथ ही मंत्री महेश जोशी को मात्र रबर स्टैंप बता चुकी है, बल्कि हाल ही में मंत्री महेश जोशी के बेटे रोहित जोशी पर लगे आरोपों के बाद वह पुलिस महकमे के मुखिया डीजीपी पर एक के बाद एक हमले कर रही हैं.
- रामनारायण मीणा- कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ विधायकों में से एक रामनारायण मीणा भी सरकार से नाराज चल रहे हैं. योग्यता होने के बावजूद भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने से रामनारायण मीणा नाराज हैं.
- दयाराम परमार- सरकार से नाराजगी दिखा रहे विधायकों में एक नाम पूर्व मंत्री दयाराम परमार का भी है. जो मंत्रिमंडल विस्तार में खुद को शामिल नहीं किए जाने पर इतने नाराज हो गए कि उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यहां तक पूछ लिया कि मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए वह इसकी जानकारी उन्हें दे.
- खिलाड़ी लाल बैरवा- एससी आयोग के अध्यक्ष बनाए गए विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा भी इन दिनों सरकार से नाराज चल रहे हैं क्योंकि बैरवा को उम्मीद थी कि वह मंत्रिमंडल में शामिल किए जाएंगे. लेकिन उन्हें केवल एक ऐसा पद दे दिया गया जो केवल कहने को पद है, लेकिन विधायक होने के चलते उन्हें उसका कोई फायदा नहीं मिल रहा. खिलाड़ी लाल बैरवा एकमात्र ऐसे विधायक थे जिन्होंने शांति धारीवाल के उस बयान को आलाकमान के अधिकारों में हस्तक्षेप बताया था जिसमें धारीवाल ने कहा था कि अगले मुख्यमंत्री भी अशोक गहलोत ही बनेंगे.
- वाजिब अली- कांग्रेस में बसपा को छोड़कर शामिल होने वाले 6 विधायकों में से एक वाजिब अली भी अभी नाराज चल रहे हैं. कारण साफ है कि बसपा से कांग्रेस में आए छह में से चार विधायकों को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किसी न किसी पद से नवाज दिया है, लेकिन वाजिब अली के हाथ खाली हैं. वहीं, वाजिब अली अपने विधानसभा नगर के पड़ोस में ही आने वाली कामा विधायक और मंत्री जाहिदा को मिली ज्यादा पावर से भी नाराज हैं.
- संदीप यादव- बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए संदीप यादव भी सरकार से नाराज चल रहे हैं. कारण साफ है कि वादा करने के बावजूद उन्हें सरकार ने कोई पद नहीं दिया, जबकि उनके साथ बसपा को छोड़ कांग्रेस में शामिल होने वाले छह में से चार विधायकों को सरकार ने पद दे दिया.
- अमीन खान- कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ विधायकों में से एक अमीन खान भी कई बार अपनी नाराजगी विधानसभा में खुलेआम दिखा चुके हैं. अमीन खान भी मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं. साथ ही उनके क्षेत्र में भी उनकी सुनवाई नहीं होने से वो नाराज दिखाई दे रहे हैं.
- गिर्राज सिंह मलिंगा- धौलपुर के बाड़ी में एईएन के साथ हुई मारपीट के बाद सरकार होने के बावजूद न केवल मलिंगा के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ बल्कि उन्हें सरेंडर भी करना पड़ा. हालांकि उन्हें कोर्ट से जमानत मिल चुकी है लेकिन सत्ताधारी दल के विधायक होने के बावजूद उन्हें इस बात की टीस है कि कर्मचारियों के कहने पर उन्हें सरेंडर कर गिरफ्तारी तक देनी पड़ी. गिर्राज सिंह मलिंगा ने खुले में प्रदेश के डीजीपी पर उन्हें फंसाने के आरोप भी लगाए.
- बाबूलाल बैरवा- कठूमर से विधायक बाबूलाल बैरवा भी सरकार से नाराज है और उनकी नाराजगी का एक कारण मंत्री पद नहीं दिया जाना है. साथ ही सरकार की ओर से उनके बेटे को राजनीतिक नियुक्ति के तौर पर अध्यक्ष की जगह उपाध्यक्ष जैसा कमजोर और बिना ताकत वाला पद दिया जाना भी है.
सलाहकारों के आदेश जारी कर कुछ को साधा: सरकार से नाराज कांग्रेस के ही विधायकों की संख्या और भी ज्यादा होती और इनमें वs कांग्रेस के विधायक भी शामिल होते, जिन्हें मुख्यमंत्री ने अपना सलाहकार बनाया था. क्योंकि इन सलाहकारों को लेकर कोई सरकारी आदेश नहीं था. ऐसे में विधायक राजकुमार शर्मा, डॉ. जितेंद्र और दानिश अबरार भी अंदर खाने में अपनी नाराजगी दिखा रहे थे. लेकिन 21 मई को ही मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री सलाहकार परिषद के गठन के आदेश जारी कर इन तीन विधायकों की नाराजगी को थामने का प्रयास किया है.