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Coal crisis in Rajasthan : प्रदेश के बिजलीघर में गहरा सकता है कोयला संकट, अब विदेशों से कोयला आयात की है तैयारी

प्रदेश के बिजली घरों में एक बार फिर कोयला संकट की स्थिति (Coal crisis in Rajasthan power station) बन सकती है. छत्तीसगढ़ सरकार ने दूसरे फेज के लिए आवंटित खदान से कोयला खनन की अनुमति नहीं दी है.

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Published : Feb 14, 2022, 11:09 PM IST

Coal crisis in Rajasthan power station
राजस्थान के बिजलीघर में कोयला संकट

जयपुर. प्रदेश के बिजली घरों में एक बार फिर कोयला संकट की स्थिति (Coal crisis in Rajasthan power station) बन सकती है. छत्तीसगढ़ सरकार ने दूसरे फेज के लिए आवंटित खदान से अभी तक कोयला खनन की अनुमति नहीं दी है. जबकि छत्तीसगढ़ में प्रदेश की मौजूदा खदान में अधिकतम 25 दिन का ही कोयला बचा है. ऐसे में प्रदेश की बिजली इकाइयों के लिए विदेशों से 3.8 लाख मीट्रिक टन कोयला खरीदे जाने की तैयारी है.

प्रस्ताव किया तैयार, राज्य सरकार की अनुमति के बाद होगी खरीद : बताया जा रहा है कि कोयले का आयात इंडोनेशिया,आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका से किया जा सकता है. विदेशों से आयात होने वाले कोयले की खरीद दर करीब 450 करोड़ रुपए आंकी जा रही है. बताया जा रहा है राजस्थान ऊर्जा विकास निगम की आगामी निदेशक मंडल की बैठक के लिए इस सम्बंध में प्रस्ताव तैयार किया गया है. लेकिन राज्य सरकार की अनुमति के बाद ही खरीद की प्रक्रिया शुरू होगी. विदेश से कोयला आयात करने के कारण बिजली उत्पादन करीब 14 से 16 पैसे प्रति यूनिट महंगा होने की संभावना रहेगी.

यह भी पढ़ें- CM Ashok Gehlot review meeting : मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश, कोयला आपूर्ति के लिए सुनिश्चित किए जाएं सभी वैकल्पिक उपाय

केंद्र के निर्देश राज्य अपने स्तर पर कोयला का करें आयात : दरअसल देश में कोयले के सीमित भंडार हैं. इसे देखते हुए केंद्रीय विद्युत मंत्रालय की ओर से पूर्व में राज्यों को अपने स्तर पर कोयला आयात करने की सहमति दी थी. यह आयातीत कोयला कोल इंडिया से मिलने वाले कोयले का चार प्रतिशत हिस्सा होगा. बात करें राजस्थान की तो प्रदेश में 3240 मेगावाट क्षमता के बिजलीघर हैं. जहां कोल इंडिया की सहायक कंपनियों से कोयला पहुंचता है. इन्हीं प्लांटों में विदेश से आयात होने वाला कोयला आएगा.

यह भी पढ़ें- राजस्थान की विद्युत इकाई के लिए 7 लाख टन अतिरिक्त कोयला उपलब्ध कराएगी कोल इंडिया

छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस की सरकार लेकिन अनुमति का इंतजार : राजस्थान को छत्तीसगढ़ में दूसरे फेज की खदान का आवंटन और अन्य एनओसी प्रक्रिया कि केंद्र सरकार की ओर से मंजूरी पूर्व में मिल चुकी है. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने अब तक खनन की अनुमति नहीं दी है. जबकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों में ही कांग्रेस की सरकार है. इससे पूर्व भी जब कोयले का संकट आया था. तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसकी मॉनिटरिंग कर स्थिति में सुधार करवाया था0 उस दौरान भी मंत्री से लेकर अधिकारी तक कई बार दिल्ली जाकर विभाग से जुड़े प्रमुख अधिकारियों से वार्ता करके आए थे. अब एक बार फिर वही स्थिति बनी तो जल्द ही ऊर्जा मंत्री और विभाग से जुड़े अधिकारी दिल्ली जा सकते हैं.

जयपुर. प्रदेश के बिजली घरों में एक बार फिर कोयला संकट की स्थिति (Coal crisis in Rajasthan power station) बन सकती है. छत्तीसगढ़ सरकार ने दूसरे फेज के लिए आवंटित खदान से अभी तक कोयला खनन की अनुमति नहीं दी है. जबकि छत्तीसगढ़ में प्रदेश की मौजूदा खदान में अधिकतम 25 दिन का ही कोयला बचा है. ऐसे में प्रदेश की बिजली इकाइयों के लिए विदेशों से 3.8 लाख मीट्रिक टन कोयला खरीदे जाने की तैयारी है.

प्रस्ताव किया तैयार, राज्य सरकार की अनुमति के बाद होगी खरीद : बताया जा रहा है कि कोयले का आयात इंडोनेशिया,आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका से किया जा सकता है. विदेशों से आयात होने वाले कोयले की खरीद दर करीब 450 करोड़ रुपए आंकी जा रही है. बताया जा रहा है राजस्थान ऊर्जा विकास निगम की आगामी निदेशक मंडल की बैठक के लिए इस सम्बंध में प्रस्ताव तैयार किया गया है. लेकिन राज्य सरकार की अनुमति के बाद ही खरीद की प्रक्रिया शुरू होगी. विदेश से कोयला आयात करने के कारण बिजली उत्पादन करीब 14 से 16 पैसे प्रति यूनिट महंगा होने की संभावना रहेगी.

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केंद्र के निर्देश राज्य अपने स्तर पर कोयला का करें आयात : दरअसल देश में कोयले के सीमित भंडार हैं. इसे देखते हुए केंद्रीय विद्युत मंत्रालय की ओर से पूर्व में राज्यों को अपने स्तर पर कोयला आयात करने की सहमति दी थी. यह आयातीत कोयला कोल इंडिया से मिलने वाले कोयले का चार प्रतिशत हिस्सा होगा. बात करें राजस्थान की तो प्रदेश में 3240 मेगावाट क्षमता के बिजलीघर हैं. जहां कोल इंडिया की सहायक कंपनियों से कोयला पहुंचता है. इन्हीं प्लांटों में विदेश से आयात होने वाला कोयला आएगा.

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छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस की सरकार लेकिन अनुमति का इंतजार : राजस्थान को छत्तीसगढ़ में दूसरे फेज की खदान का आवंटन और अन्य एनओसी प्रक्रिया कि केंद्र सरकार की ओर से मंजूरी पूर्व में मिल चुकी है. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने अब तक खनन की अनुमति नहीं दी है. जबकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों में ही कांग्रेस की सरकार है. इससे पूर्व भी जब कोयले का संकट आया था. तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसकी मॉनिटरिंग कर स्थिति में सुधार करवाया था0 उस दौरान भी मंत्री से लेकर अधिकारी तक कई बार दिल्ली जाकर विभाग से जुड़े प्रमुख अधिकारियों से वार्ता करके आए थे. अब एक बार फिर वही स्थिति बनी तो जल्द ही ऊर्जा मंत्री और विभाग से जुड़े अधिकारी दिल्ली जा सकते हैं.

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