जयपुर. राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को बजट पर अपना जवाब पेश करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजनीतिक तौर पर कई बयान दिए. गहलोत ने कहा कि 3 दिन तक प्रधानमंत्री और गृह मंत्री मौन थे, जबकि दिल्ली में आग लग रही थी और लोग मर रहे थे, उनको कोई चिंता नहीं थी.
लेकिन जैसे ही सोनिया गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की उसके 10 मिनट में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्वीट आ गया शांति बनाए रखने का, तो फिर 3 दिन तक यह कहां थे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आप लोगों ने हमारे शांति मार्च पर भी कमेंट किए. लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि जिस तरह से दिल्ली में 28 लोग और उससे पहले यूपी में 15 लोग मर गए, यह चिंता का विषय होना चाहिए.
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उन्होंने कहा मानवता भी कोई चीज है एक हेडकांस्टेबल हमारे राजस्थान का उसकी मौत हुई तो क्या बीती राजस्थान पर यह सबको पता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरीके से कहीं हिंसा होती है तो राष्ट्राध्यक्ष का कार्यक्रम कैंसिल हो जाता है लेकिन राष्ट्राध्यक्ष आए और चले गए. सीएम ने कहा वो जहां रुके थे वहां से 20 किलोमीटर में फायरिंग हो रही थी. पूरा देश चिंतित है कि किस तरह से दंगे रुकेंगे NRC और CAA को लेकर निकाले हुए शांति मार्च पर आप कमेंट करते हैं और आरोप लगाते हैं कि मैंने इंटरनेट बंद कर दिया.
लेकिन आपने तो पूरे देश का इंटरनेट बंद करा दिया. सीएम गहलोत ने कहा एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा इंटरनेट बंद रहता है. इस दौरान उन्होंने बीजेपी नेताओं पर हमला करते हुए कहा कि आजकल आप लोग गांधी का नाम लेते दिखाई देते हो चाहे मन से लो चाहे बेमन से लेकिन गांधी का नाम लेते हो. लेकिन हद है उस नौटंकी की कि आप गांधी और गोडसे का साथ में नाम लेते हो.
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बीजेपी पर हमलावर होते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि गजब का साहस है आपमें कि गांधी और गोडसे दोनों साथ रखते हो, जिसका मर्डर हुआ वह भी साथ में और जिस ने मर्डर किया वह भी साथ में. वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरक्षण को लेकर भी भाजपा पर निशाना साधा. उन्होंने भाजपा नेता मदन दिलावर का नाम लेते हुए कहा कि यह कहते हैं कि हम आरक्षण विरोधी हैं. लेकिन इनको नहीं पता कि भाजपा और जनसंघ की पैदाइश ही आरक्षण विरोधी सोच से हुई है.
ऐसे आरोपों से हंसी आती है मैंने गरीब सवर्णों को 14 फीसदी आरक्षण देने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेई जी को चिट्ठी लिखी और अब जब 10 फीसदी आर्थिक आधार पर पिछड़े सवर्णों को मिला है तो उसमें कई कमियां रह गई हैं. लेकिन राजस्थान में हमने सब कमियों को दूर करते हुए केवल 8 लाख इनकम का प्रावधान ही रखा है. अब क्यों नहीं आप भी अपनी केंद्र सरकार से मांग करते हो कि वह राजस्थान का मॉडल ही स्वर्ण आरक्षण को लेकर देश में लागू करें.