जयपुर. विधानसभा में शुक्रवार को 'संसदीय लोकतंत्र के उन्नयन में राज्यपाल और विधायक की भूमिका' विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया. इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot in Rajasthan legislative Assembly) ने कहा कि अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान का संसदीय इतिहास बेहतर रहा है और यहां सत्र भी लंबे चलते हैं जो हम सब के लिए अच्छी बात है. गहलोत ने कहा कि (CM Gehlot Statement on Governor) आज देश के जो हालात हैं उसमें राज्यपाल की भूमिका पर मेरा बोलना ठीक नहीं रहेगा क्योंकि कुछ बोल दिया तो वह नेशनल न्यूज बन जाएगी.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि स्पीकर सीपी जोशी निष्पक्ष होकर विधान सभा का संचालन कर रहे हैं जो तारीफ के काबिल है. ये जोशी की मेहनत है कि अन्यरा ज्यों में 8-10 दिन से ज्यादा सत्र नहीं चलते लेकिन यहां पर सत्र लंबे चलते हैं और काफी कुछ चीजें सीखने को भी मिलती है. इसके लिए पक्ष और विपक्ष दोनों ही समन्वय के साथ चलते हैं.
गहलोत ने कहा कि सीपी जोशी ने सही कहा कि जब केंद्र और राज्य में अलग-अलग पार्टी की सरकार होती है तो कई बार स्थितियां विकट बन जाती हैं, लेकिन राजस्थान के संबंध में में कहना चाहूंगा कि यहां जो भी अब तक राज्यपाल रहे उनके राज्य सरकारों से अच्छे संबंध ही रहे. हांलाकि वेस्ट बंगाल की स्थिति दूसरी है और वहां पर राज्यपाल ही प्रकाश डाल सकते हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि डेमोक्रेसी में राज्यपाल की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है और कई ऐसे मामले होते हैं जब राज्यपाल को ही निर्णय लेना पड़ता है. उस समय राज्यपाल की भूमिका और स्व विवेक पर ही सब कुछ निर्भर होता है.
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जन अपेक्षा विधायक और सांसदों से ज्यादा
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि लोकतंत्र में सांसद विधायक और निकाय मेंबर सब की भूमिका तय होती है लेकिन वर्तमान में जनता गली-मोहल्ले की सफाई तक की उम्मीद सांसद और विधायकों से करती है. ऐसे में आज नगर पालिका जैसी संस्थाओं को और अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है. सबके अपने-अपने काम हैं, विधायक विधानसभा में कानून बनाएं और सांसद संसद में, इस प्रकार के सेमिनारों में इन पर प्रकाश डाला जाएगा तो हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा. कार्यक्रम को विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर सीपी जोशी और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी संबोधित किया.