जयपुर. कोयले की कम आपूर्ति के बीच प्रदेश में बिजली का संकट गहराता जा रहा है. इसे देखत हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को आपात बैठक बुलाई और इस संकट से किस तरह से निकला जाए इसको लेकर समीक्षा की. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बिजली की बचत को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं.
मानसून में हुई बारिश से कोयला खदानों में पानी भर जाने के कारण पूरे उत्तर भारत में पिछले कुछ दिनों से कोयला उपलब्धता के संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास पर वीसी के माध्यम से आयोजित बैठक में बिजली की पर्याप्त उपलब्धता की तैयारियों की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि कोयला खदानों में पानी भरने से उपजे इस संकट के कारण प्रदेश में थर्मल पावर प्लांट्स की कुछ इकाइयां अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहीं हैं. ऐसे में आमजन को बिजली बचत के लिए जागरूक किया जाए.
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गहलोत ने कहा कि बिजली संकट के कारण ग्रिड में बिजली की कमी है. पवन ऊर्जा प्लांट्स से भी स्थापित क्षमता से कम बिजली मिल रही है. देश में गहराए कोयला संकट और पर्याप्त कोयला नहीं मिलने से थर्मल पावर प्लांट से बिजली उत्पादन क्षमता में आई कमी के बारे में आमजन को जागरूक किया जाए ताकि बिजली की बचत करें. उन्होंने कहा कि अधिकारी आगामी दिनों में बिजली की मांग और उपलब्धता के आधार पर आपूर्ति के संबंध में कार्य योजना बनाएं. विद्युत संकट को देखते हुए उन्होंने उपभोक्ताओं से बिजली बचत के तरीके अपनाने की अपील की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऊर्जा विभाग के अधिकारी छत्तीसगढ़ जाकर वहां स्थित कोल ब्लॉक्स में कोयले की वर्तमान उपलब्धता और प्रदेश की जरूरत के मुताबिक पर्याप्त कोयला उपलब्ध हो इसकी निरन्तर मॉनिटरिंग करें. उन्होंने केन्द्रीय अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर पर्याप्त मात्रा में कोयला रेक की आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा ताकि हमारे थर्मल पॉवर प्लांट्स का सुचारू संचालन हो सके. उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को जरूरत के अनुसार बिजली आपूर्ति सुचारू रखने के लिए थर्मल पावर प्लांट्स का कार्यशील रहना जरूरी है.
बैठक में ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने बताया कि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री से बातचीत के दौरान उनसे प्रदेश को आवंटित कोटे के अनुरूप कोयला प्रतिदिन उपलब्ध कराने का आग्रह किया है. केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने केन्द्रीय कोयला मंत्री और कोयले की उपलब्धता की मॉनिटरिंग के लिए बनाए उप-समूह से चर्चा कर राजस्थान को कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए प्रयास करने का आश्वासन दिया है.
मौसम के परिवर्तन बढ़ा बिजली संकट
मौसम में हुए परिवर्तन से गर्मी और उमस बढ़ी है. ऐसे में दोपहर 3 बजे के बाद बिजली की मांग काफी बढ़ गई है. आज की स्थिति में प्रतिदिन औसत मांग 12500 मेगावाट की है, जबकि औसत उपलब्धता 8500 मेगावाट ही है. प्रदेश में 4 अक्टूबर के बाद से बिजली का उपभोग बढ़ा है, लेकिन थर्मल पावर प्लांट्स के पूरी क्षमता से काम नहीं करने के कारण उपलब्धता घट रही है. मांग और उपलब्धता में प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से रात्रि 12 बजे तक 2500 मेगावाट से अधिक का अंतर आ गया है. कोल इंडिया लि. की सब्सिडिरी इकाइयों एनसीएल और एसईसीएल की ओऱ से भी प्रदेश की जरूरतों की अनुरूप कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.