जयपुर. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भरतपुर में अवैध खनन के खिलाफ आत्मदाह करने वाले संत विजय बाबा (Bharatpur Saint self immolation case) के निधन पर शोक जताया है. साथ ही घटना की जांच का जिम्मा प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी को देने की बात कही है. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने मृतक संत विजय दास के परिजनों को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि देने की घोषणा की है.
गहलोत ने किया ट्वीट: सीएम गहलोत ने ट्वीट किया कि संत विजय बाबा का निधन बेहद दुखद है. हमनें उन्हें बचाने के हरसंभव प्रयास किए. उन्हें बेहतर चिकित्सा उपलब्ध करवाई गई. मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें. सीएम गहलोत ने लिखा- मुझे दुख है कि जब सरकार ने उनकी मांगों पर सैद्धांतिक सहमति दे दी थी तो फिर उन्हें किन परिस्थितियों में यह दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठाना पड़ा. इस घटना की जांच प्रमुख शासन स्तर के अधिकारी से करवाने का निर्णय लिया है.
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मुझे दुख है कि जब सरकार ने उनकी मांगों पर सैद्धांतिक सहमति दे दी थी तो उन्हें किन परिस्थितियों में यह दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठाना पड़ा। इस घटना की जांच प्रमुख शासन सचिव स्तर के अधिकारी से करवाने का निर्णय लिया है।
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">मुझे दुख है कि जब सरकार ने उनकी मांगों पर सैद्धांतिक सहमति दे दी थी तो उन्हें किन परिस्थितियों में यह दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठाना पड़ा। इस घटना की जांच प्रमुख शासन सचिव स्तर के अधिकारी से करवाने का निर्णय लिया है।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) July 23, 2022मुझे दुख है कि जब सरकार ने उनकी मांगों पर सैद्धांतिक सहमति दे दी थी तो उन्हें किन परिस्थितियों में यह दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठाना पड़ा। इस घटना की जांच प्रमुख शासन सचिव स्तर के अधिकारी से करवाने का निर्णय लिया है।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) July 23, 2022
क्या था मामला: संत विजयदास ने अवैध खनन के विरोध में खुद को आग लगा ली थी. जिसके बाद शुक्रवार रात को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उनका निधन हो गया. उनके पार्थिव शरीर को मथुरा के बरसाना स्थित माताजी गोशाला में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. माताजी गोशाला के सचिव सुनील बाबा ने पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी. अंतिम यात्रा में संत, महंत, नेता भी शामिल हुए और सभी ने सीबीआई जांच की बात कहते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
विपक्षी दलों ने भी सरकार को घेरा: संत विजय दास के निधन को लेकर विपक्षी दलों ने गहलोत सरकार को घेरा. बीजेपी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, आम आदमी पार्टी सहित विपक्षी दलों ने संत के निधन पर गहलोत सरकार को जिम्मेदार ठहराया. साथ ही राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि भूमाफिया को संरक्षण देने के लिए, 551 दिन से अवैध खनन के विरोध में आंदोलन कर रहे संतों को नजरअंदाज किया गया. सरकार ने जब संतों की मांग को नहीं सुना तो मजबूरन एक संत को आत्मदाह जैसा कदम उठाना पड़ा.