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वैक्सीन बर्बादी बहाना, सरकार पर निशाना...गहलोत बोले- राजस्थान को बदनाम करने की कोशिश कर रही बीजेपी

वैक्सीन बर्बादी को लेकर चल रहे विपक्ष के आरोपों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पलटवार किया है. सीएम गहलोत ने कहा कि वैक्सीन बर्बादी को लेकर विपक्ष के साथी राजस्थान को बदनाम करना चाह रहे हैं, जबकि हमारी मंशा है कि सभी जाति, धर्म, पार्टी सब को साथ लेकर कोरोना की जंग जीती जाए. प्रदेश के सभी वर्ग को फ्री वैक्सीन मिले इनको लेकर हम सुप्रीम कोर्ट तक गए हैं.

वैक्सीन बर्बादी बहाना, सरकार पर निशाना, CM Gehlot speaks on Vaccine Wastage
वैक्सीन बर्बादी बहाना, सरकार पर निशाना
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Published : Jun 3, 2021, 7:40 PM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रदेश में वैक्सीन बर्बादी (Vaccine Wastage) को लेकर जिस तरह से विपक्ष ने माहौल बनाया है, जो समझ में आता है कि वह राजस्थान को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं. राजस्थान जो कोरोना मैनेजमेंट (Corona Management) हो या फिर वैक्सीनेशन सब मामलों में पहले पायदान पर रहा है. राजस्थान (Rajasthan) को किस तरह से बदनाम किया जाए यह कोशिश विपक्षी दलों (opposition Party) की है.

वैक्सीन बर्बादी के आरोपों पर बोले गहलोत

सीएम गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने कहा कि कुछ आंकड़े वैक्सीनेशन की बर्बादी के सामने आए, उनको लेकर चिकित्सा मंत्री (Health Minister Dr. Raghu Sharma) ने खंडन भी किया, लेकिन बावजूद इसके विपक्ष इसे राजनीतिक मुद्दा (Political Issues) बनाकर सरकार की आलोचना करने में लग गया, जबकि वैक्सीनेशन वेस्टेज को लेकर केंद्र सरकार की स्पष्ट गाइडलाइन (Central Government Guidelines) है कि 10 फीसदी वैक्सीन खराब हो सकती है. राजस्थान में तो महज 2 फीसदी ही वैक्सीन (Vaccine) खराब हुई है.

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गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार (Central Government) के मापदंड के अनुसार राजस्थान पहले नंबर पर वैक्सीनेशन में है, लेकिन केन्द्र सरकार ने ही वैक्सीन उपलब्ध कराने में हाथ खींच लिए हैं, यह बड़ा दुर्भाग्य है कि केंद्र सरकार ने 18 से 45 वर्ष के युवाओं को फ्री वैक्सीनेशन (Free Vaccination) के लिए मना कर दिया. उसका भार राज्य सरकार के कंधों पर डाल दिया, जबकि अब तक इतिहास में देखा गया है कि जब जब भी कोई टीकाकरण अभियान चलता है वह केंद्र सरकार की ओर से चलाया जाता है.

गहलोत ने बाताय कि वर्तमान में 6 तरह के टीके लगाए जाते हैं और उसका पूरा खर्चा केंद्र सरकार उठाती है, लेकिन इस बार केंद्र सरकार ने यह भार राज्य सरकार (State Government) के ऊपर डाल दिया है. इसको लेकर हम सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) भी गए हैं और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी लगातार बात कर रहे हैं कि केंद्र सरकार पर इस को लेकर दबाव बनाया जाए कि वह देश में वैक्सीनेशन फ्री करे.

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सीएम गहलोत ने कहा कि जिन कंपनियों की ओर से वैक्सीन उपलब्ध कराई जा रही है उसमें भी अलग-अलग तरह की दर तय की हुई है. कंपनियां केंद्र सरकार को 150 रुपए में वैक्सीन उपलब्ध करा रही हैं, जबकि वही वैक्सीन राज्य सरकारों को ₹300 में और निजी अस्पतालों में ₹600 की वैक्सीन उपलब्ध करा रही है, यह कैसे संभव है कि एक ही वैक्सीन की अलग-अलग दर हो, यह भी एक अपने आप में बड़ा सवाल है.

गहलोत ने कहा कि मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार से जवाब मांगा है और तीखी आलोचना की है. सुप्रीम कोर्ट के रुख से हमें एक उम्मीद जगी है कि हमें वैक्सीनेशन में कुछ राहत मिलेगी, क्योंकि केंद्र सरकार ने जिस तरीके से वैक्सीनेशन (Vaccination) का भार राज्य सरकारों पर डाला है उससे राज्य सरकार पर 3 हजार करोड़ रुपए के अतिरिक्त भार आ रहा है.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रदेश में वैक्सीन बर्बादी (Vaccine Wastage) को लेकर जिस तरह से विपक्ष ने माहौल बनाया है, जो समझ में आता है कि वह राजस्थान को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं. राजस्थान जो कोरोना मैनेजमेंट (Corona Management) हो या फिर वैक्सीनेशन सब मामलों में पहले पायदान पर रहा है. राजस्थान (Rajasthan) को किस तरह से बदनाम किया जाए यह कोशिश विपक्षी दलों (opposition Party) की है.

वैक्सीन बर्बादी के आरोपों पर बोले गहलोत

सीएम गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने कहा कि कुछ आंकड़े वैक्सीनेशन की बर्बादी के सामने आए, उनको लेकर चिकित्सा मंत्री (Health Minister Dr. Raghu Sharma) ने खंडन भी किया, लेकिन बावजूद इसके विपक्ष इसे राजनीतिक मुद्दा (Political Issues) बनाकर सरकार की आलोचना करने में लग गया, जबकि वैक्सीनेशन वेस्टेज को लेकर केंद्र सरकार की स्पष्ट गाइडलाइन (Central Government Guidelines) है कि 10 फीसदी वैक्सीन खराब हो सकती है. राजस्थान में तो महज 2 फीसदी ही वैक्सीन (Vaccine) खराब हुई है.

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गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार (Central Government) के मापदंड के अनुसार राजस्थान पहले नंबर पर वैक्सीनेशन में है, लेकिन केन्द्र सरकार ने ही वैक्सीन उपलब्ध कराने में हाथ खींच लिए हैं, यह बड़ा दुर्भाग्य है कि केंद्र सरकार ने 18 से 45 वर्ष के युवाओं को फ्री वैक्सीनेशन (Free Vaccination) के लिए मना कर दिया. उसका भार राज्य सरकार के कंधों पर डाल दिया, जबकि अब तक इतिहास में देखा गया है कि जब जब भी कोई टीकाकरण अभियान चलता है वह केंद्र सरकार की ओर से चलाया जाता है.

गहलोत ने बाताय कि वर्तमान में 6 तरह के टीके लगाए जाते हैं और उसका पूरा खर्चा केंद्र सरकार उठाती है, लेकिन इस बार केंद्र सरकार ने यह भार राज्य सरकार (State Government) के ऊपर डाल दिया है. इसको लेकर हम सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) भी गए हैं और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी लगातार बात कर रहे हैं कि केंद्र सरकार पर इस को लेकर दबाव बनाया जाए कि वह देश में वैक्सीनेशन फ्री करे.

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सीएम गहलोत ने कहा कि जिन कंपनियों की ओर से वैक्सीन उपलब्ध कराई जा रही है उसमें भी अलग-अलग तरह की दर तय की हुई है. कंपनियां केंद्र सरकार को 150 रुपए में वैक्सीन उपलब्ध करा रही हैं, जबकि वही वैक्सीन राज्य सरकारों को ₹300 में और निजी अस्पतालों में ₹600 की वैक्सीन उपलब्ध करा रही है, यह कैसे संभव है कि एक ही वैक्सीन की अलग-अलग दर हो, यह भी एक अपने आप में बड़ा सवाल है.

गहलोत ने कहा कि मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार से जवाब मांगा है और तीखी आलोचना की है. सुप्रीम कोर्ट के रुख से हमें एक उम्मीद जगी है कि हमें वैक्सीनेशन में कुछ राहत मिलेगी, क्योंकि केंद्र सरकार ने जिस तरीके से वैक्सीनेशन (Vaccination) का भार राज्य सरकारों पर डाला है उससे राज्य सरकार पर 3 हजार करोड़ रुपए के अतिरिक्त भार आ रहा है.

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