जयपुर. पुलिस मुख्यालय की CID क्राइम ब्रांच और राजस्थान SOG के बीच में तकरार उत्पन्न होने का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है. वाहनों की फर्जी दस्तावेज के मामले में राजस्थान SOG ने कुछ महीने पहले नागौर के एक युवक कुशालराम पर 25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था. उसी आरोपी को CID ने जब पकड़कर SOG को सौंपा तो SOG ने उसे क्लीनचिट दे दिया.
राजस्थान पुलिस की दो एजेंसी CID क्राइम ब्रांच और SOG के बीच में परस्पर समन्वय नहीं होने और तकरार उत्पन्न होने का एक प्रकरण उजागर हुआ है. सीआईडी क्राइम ब्रांच ने नागौर पुलिस के सहयोग से पांचौड़ी थाना इलाके से मंगलवार को 25 हजार रुपए के इनामी बदमाश कुशालराम को गिरफ्तार किया था. आरोपी को दबोचने के बाद उसे जयपुर लाकर एसओजी को सौंप दिया गया. एसओजी ने गिरफ्तार युवक को क्लीन चिट देते हुए छोड़ दिया.
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इस पूरे प्रकरण पर SOG का यह तर्क है कि अनुसंधान में युवक पर आरोप साबित नहीं हुए हैं. उसी आधार पर उसे आरोपी नहीं मानते हुए छोड़ा गया है. यदि आवश्यकता पड़ी तो अनुसंधान में पूछताछ के लिए उसे फिर से बुला लिया जाएगा. यदि उस पर आरोप प्रमाणित होते हैं तो गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
इनाम की घोषणा की लेकिन क्लीन चिट के बारे में नहीं बताया
हालांकि, राजस्थान पुलिस की दो एजेंसियों के बीच में इस विवादास्पद प्रकरण पर कोई भी अधिकारी कैमरे के सामने कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. सीआईडी क्राइम ब्रांच टीम का यह तर्क है कि डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव के निर्देश पर पूरे प्रदेश में इनामी बदमाशों को गिरफ्तार करने के लिए अभियान चलाया गया है. उसी के तहत 25 हजार रुपए के इनामी बदमाश नागौर से गिरफ्तार किया गया है. एसओजी ने बदमाश पर इनाम रखा था. इसलिए उसे गिरफ्तार करने के बाद एसओजी को सौंपा गया.
वहीं यहां बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि यदि SOG अपनी जांच में पहले ही युवक को आरोपी नहीं मान रही थी तो इसकी सूचना पुलिस मुख्यालय को क्यों नहीं दी गई. साथ ही युवक पर की गई 25 हजार रुपए के इनाम की घोषणा को रद्द क्यों नहीं किया गया.