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19 महीने का मासूम...16 करोड़ का इंजेक्शन, क्या बचा पाएंगे ? पीएम और सीएम से लगाई गुहार

विजेंद्र और उनकी पत्नी सरलेश का बच्चा 19 महीने का होने के बाद भी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पा रहा. ऐसा नहीं है कि उसकी परवरिश में कोई कमी रह गई हो, बल्कि बच्चा एक ऐसी गंभीर बीमारी से ग्रसित है, जिसमें उसकी मांसपेशियां सिकुड़ती जा रही हैं. आधा शरीर काम करना बंद कर चुका है. बीमारी से बचाव का केवल एक ही माध्यम है, 16 करोड़ का इंजेक्शन जोलगेन्स्मा, जिसे दो साल की उम्र तक लगाना जरूरी है. तभी बच्चे को बचाया जा सकता है और अब बच्चे के परिजनों के पास महज 5 महीने का समय बचा है. लेकिन परिजनों की आर्थिक स्थिति कमजोर है. यही वजह है कि अब उन्होंने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से गुहार लगाई है.

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पीएम और सीएम से मदद की गुहार...
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Published : Aug 11, 2021, 10:27 PM IST

Updated : Aug 12, 2021, 9:39 AM IST

जयपुर. चूरू जिले के खारिया गांव के रहने वाले दंपती की संतान हेमंत 'एसएमए-2' (Spinal Muscular Atrophy Type 2) नामक की दुर्लभ और गंभीर बीमारी से ग्रसित है. महज 19 महीने के मासूम हेमंत के परिजनों का कहना है कि इसके इलाज के लिए 16 करोड़ कीमत का जोलगेन्स्मा इंजेक्शन (Zolgensma Injection) काफी मददगार साबित हो सकता है.

वहीं, अगर दो साल की उम्र से पहले हेमंत को ये इंजेक्शन नहीं लगाया जाएगा तो आगे चलकर उसकी जान को खतरा भी हो सकता है. परिजन बताते हैं कि हेमंत का आधा शरीर काम नहीं कर रहा है. ऐसे में समय पर दवा नहीं मिलने से उसकी परेशानी और ज्यादा बढ़ सकती है.

हेमंत के पिता विजेंद्र सिंह,

हेमंत के पिता विजेंद्र सिंह एक फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं. लिहाजा वो इतने महंगे इंजेक्शन खरीदने और इलाज करवा पाने की स्थिति में नहीं हैं. मजबूरन मदद के लिए दर-दर भटक रहे हैं. हालांकि, हेमंत से मिलने के बाद सम्पूर्ण शराबबंदी आंदोलन की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूनम अंकुर छाबड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर बच्चे की जान बचाने का आग्रह किया है.

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डॉक्टर का प्रेसक्रिप्शन...

पढ़ें : IIT जोधपुर में शुरू हुआ मस्कुलर डिस्ट्रॉफी सेंटर, इस दुर्लभ बीमारी पर होगा शोध

क्या है SMA बीमारी...

स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी (एसएमए) एक आनुवांशिक बीमारी है, जो नर्वस सिस्टम और स्वैच्छिक मांसपेशी के काम को प्रभावित करती है. इस बीमारी के कारण हाथ, पैर और श्वसन तंत्र की मांसपेशियां आम तौर पर पहले प्रभावित होती हैं. डॉक्टरों के अनुसार एसएमए (SMA) एक असाध्य रोग है, जिसमें जन्मजात बच्चों के धीरे-धीरे मांसपेशियां कमजोर होती हैं. उम्र बढ़ने के साथ-साथ रोग बढ़ता जाता है.

जयपुर. चूरू जिले के खारिया गांव के रहने वाले दंपती की संतान हेमंत 'एसएमए-2' (Spinal Muscular Atrophy Type 2) नामक की दुर्लभ और गंभीर बीमारी से ग्रसित है. महज 19 महीने के मासूम हेमंत के परिजनों का कहना है कि इसके इलाज के लिए 16 करोड़ कीमत का जोलगेन्स्मा इंजेक्शन (Zolgensma Injection) काफी मददगार साबित हो सकता है.

वहीं, अगर दो साल की उम्र से पहले हेमंत को ये इंजेक्शन नहीं लगाया जाएगा तो आगे चलकर उसकी जान को खतरा भी हो सकता है. परिजन बताते हैं कि हेमंत का आधा शरीर काम नहीं कर रहा है. ऐसे में समय पर दवा नहीं मिलने से उसकी परेशानी और ज्यादा बढ़ सकती है.

हेमंत के पिता विजेंद्र सिंह,

हेमंत के पिता विजेंद्र सिंह एक फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं. लिहाजा वो इतने महंगे इंजेक्शन खरीदने और इलाज करवा पाने की स्थिति में नहीं हैं. मजबूरन मदद के लिए दर-दर भटक रहे हैं. हालांकि, हेमंत से मिलने के बाद सम्पूर्ण शराबबंदी आंदोलन की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूनम अंकुर छाबड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर बच्चे की जान बचाने का आग्रह किया है.

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क्या है SMA बीमारी...

स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी (एसएमए) एक आनुवांशिक बीमारी है, जो नर्वस सिस्टम और स्वैच्छिक मांसपेशी के काम को प्रभावित करती है. इस बीमारी के कारण हाथ, पैर और श्वसन तंत्र की मांसपेशियां आम तौर पर पहले प्रभावित होती हैं. डॉक्टरों के अनुसार एसएमए (SMA) एक असाध्य रोग है, जिसमें जन्मजात बच्चों के धीरे-धीरे मांसपेशियां कमजोर होती हैं. उम्र बढ़ने के साथ-साथ रोग बढ़ता जाता है.

Last Updated : Aug 12, 2021, 9:39 AM IST
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