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जयपुरः जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने ली अधिकारियों की बैठक, दिए आवश्यक निर्देश

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Published : Sep 25, 2020, 1:05 AM IST

जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव राजेश यादव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रदेश में 'नेशनल वाटर क्वालिटी सब मिशन' के तहत चल रहे कार्यों की समीक्षा की. इस दौरान उन्होंने बताया कि, प्रदेश में फ्लोराइड से प्रभावित कुल क्षेत्रों में से 85 प्रतिशत लोगों को शुद्ध पेयजल मिलने लग गया है. बाकी बचे क्षेत्रों में लोगों को दिसंबर तक शुद्ध पेयजल मिलने लगेगा.

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जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की बैठक

जयपुर. जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव राजेश यादव ने गुरूवार को एनआईसी सेंटर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रदेश में 'नेशनल वाटर क्वालिटी सब मिशन' के तहत चल रहे कार्यों की समीक्षा की. साथ ही इस दौरान उन्होंने बताया कि, प्रदेश में फ्लोराइड से प्रभावित कुल क्षेत्रों में से 85 प्रतिशत लोगों को शुद्ध पेयजल मिलने लग गया है. बाकी बचे क्षेत्रों में लोगों को दिसंबर तक शुद्ध पेयजल मिलने लगेगा.

यादव ने बताया कि, प्रदेश में फ्लोराइड से प्रभावित कुल 6 हजार 849 आबादियों में से जलदाय विभाग की तरफ से 5 हजार 815 आबादियों में शुद्ध पेयजल मुहैया कराया जा चुका है. यानी 85 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है. अब 1 हाजर 34 आबादियों (15 प्रतिशत) में इस दिशा में कार्य जारी है. जिसको आगामी दिसंबर तक चरणबद्ध रूप से पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं.

यादव ने सभी जिलों में वाटर सैम्पल संग्रह की प्रगति के बारे में बारी-बारी से अधिकारियों से चर्चा की और उन्हें निर्देश दिए कि वो फील्ड विजिट के दौरान पेयजल स्ट्रक्चर्स और वाटर बॉडीज से नूमने संग्रहित करने के काम में आपसी समन्वय से तेजी लाएं. हर जिले में सैम्पल संग्रह, जांच के कार्यों और उसकी रिपोर्ट को नियमित रूप से ऑनलाइन अपडेट करने के लिए उन्होंने सभी जिलों में अधीक्षण अभियंताओं की जिम्मेदारी तय करने के भी निर्देश दिए. प्रदेश में चालू वित्तीय वर्ष में अगस्त के अंत तक 15 हजार 321 पेयजल के नमूनों की जांच की गई है. जिनमें से सिर्फ 5 हजार 718 की ऑनलाइन एंट्री की गई है.

ये भी पढे़ंः जयपुर: पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 104वीं जयंती पर कल होंगे कई कार्यक्रम

बैठक में प्रमुख शासन सचिव ने सभी अतिरिक्त मुख्य अभियंता और अधीक्षण अभियंताओं को निर्देश दिए कि वो अपने अधीन क्षेत्रों में पेयजल के नमूनों के संग्रहण और उनकी जांच के कार्य को गम्भीरता से लें. जिलों में सहायक अभियंता और कनिष्ठ अभियंता जब भी फील्ड विजिट पर जाए तो 'सैम्पल संग्रह' के कार्य पर भी बराबर फोकस करे. इंजीनियर्स ट्यूर के दौरान अपने साथ कैमिस्ट को भी ले जाएं ताकि, लक्ष्य के अनुरूप शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से जल के नमूनों का संग्रहण कर उनकी समय पर जांच हो सके. इसके अलावा बैठक में जल जीवन मिशन के तहत घर-घर नल से जल कनेक्शन के कार्यों के लिए डीएमएफटी कोष की राशि का उपयोग करने के लिए विभाग के अधिकारियों को कलक्टर्स और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से समन्वय करने के भी निर्देश दिए गए.

जयपुर. जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव राजेश यादव ने गुरूवार को एनआईसी सेंटर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रदेश में 'नेशनल वाटर क्वालिटी सब मिशन' के तहत चल रहे कार्यों की समीक्षा की. साथ ही इस दौरान उन्होंने बताया कि, प्रदेश में फ्लोराइड से प्रभावित कुल क्षेत्रों में से 85 प्रतिशत लोगों को शुद्ध पेयजल मिलने लग गया है. बाकी बचे क्षेत्रों में लोगों को दिसंबर तक शुद्ध पेयजल मिलने लगेगा.

यादव ने बताया कि, प्रदेश में फ्लोराइड से प्रभावित कुल 6 हजार 849 आबादियों में से जलदाय विभाग की तरफ से 5 हजार 815 आबादियों में शुद्ध पेयजल मुहैया कराया जा चुका है. यानी 85 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है. अब 1 हाजर 34 आबादियों (15 प्रतिशत) में इस दिशा में कार्य जारी है. जिसको आगामी दिसंबर तक चरणबद्ध रूप से पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं.

यादव ने सभी जिलों में वाटर सैम्पल संग्रह की प्रगति के बारे में बारी-बारी से अधिकारियों से चर्चा की और उन्हें निर्देश दिए कि वो फील्ड विजिट के दौरान पेयजल स्ट्रक्चर्स और वाटर बॉडीज से नूमने संग्रहित करने के काम में आपसी समन्वय से तेजी लाएं. हर जिले में सैम्पल संग्रह, जांच के कार्यों और उसकी रिपोर्ट को नियमित रूप से ऑनलाइन अपडेट करने के लिए उन्होंने सभी जिलों में अधीक्षण अभियंताओं की जिम्मेदारी तय करने के भी निर्देश दिए. प्रदेश में चालू वित्तीय वर्ष में अगस्त के अंत तक 15 हजार 321 पेयजल के नमूनों की जांच की गई है. जिनमें से सिर्फ 5 हजार 718 की ऑनलाइन एंट्री की गई है.

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बैठक में प्रमुख शासन सचिव ने सभी अतिरिक्त मुख्य अभियंता और अधीक्षण अभियंताओं को निर्देश दिए कि वो अपने अधीन क्षेत्रों में पेयजल के नमूनों के संग्रहण और उनकी जांच के कार्य को गम्भीरता से लें. जिलों में सहायक अभियंता और कनिष्ठ अभियंता जब भी फील्ड विजिट पर जाए तो 'सैम्पल संग्रह' के कार्य पर भी बराबर फोकस करे. इंजीनियर्स ट्यूर के दौरान अपने साथ कैमिस्ट को भी ले जाएं ताकि, लक्ष्य के अनुरूप शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से जल के नमूनों का संग्रहण कर उनकी समय पर जांच हो सके. इसके अलावा बैठक में जल जीवन मिशन के तहत घर-घर नल से जल कनेक्शन के कार्यों के लिए डीएमएफटी कोष की राशि का उपयोग करने के लिए विभाग के अधिकारियों को कलक्टर्स और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से समन्वय करने के भी निर्देश दिए गए.

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