जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक सम्मान समारोह में रविवार को जाट समाज की जमकर तारीफ की है. उन्होंने कहा कि जाट समाज ने मेरा कितना ध्यान रखा है इसका कोई मुकाबला नहीं है. आज मैं यहां तक पहुंचा हूं तो तो जाट समाज के कारण पहुंचा हूं. राजनीतिक कारणों की वजह से कुछ लोगों ने मुझे जाट विरोधी घोषित कर दिया और 20 साल से जाट विरोधी घोषित हूं.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को राजस्थान जाट समाज संस्थान की ओर से आयोजित स्नेह मिलन और सर समाज प्रतिभा सम्मान समारोह के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए यह बात कही. समारोह में कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा था कि जाट समाज ने हमेशा कांग्रेस का ध्यान रखा है.
इस पर बोलते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि यह कार्यक्रम जाट समाज की ओर से आयोजित किया जा रहा है. मैंने जाट समाज का कितना ध्यान रखा इसका फैसला जाट समाज करेगा लेकिन जाट समाज ने जो मेरा ध्यान रखा है उसका कोई मुकाबला नहीं है. आज मैं यहां तक पहुंचा हूं तो जाट समाज के कारण पहुंचा हूं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की इस बात पर लोगों ने जमकर तालियां भी बजाई.
उन्होंने कहा कि मैंने 5 बार सांसद के चुनाव जीते तो वह जाट समाज के कारण ही जीते हैं. मैं मारवाड़ से आता हूं और वहां के जाट, बिश्नोई और सर्व समाज के लोग हमेशा कांग्रेस के साथ रहे हैं और उसी कारण मैं 5 बार सांसद बना. मैं तीन बार प्रदेश अध्यक्ष भी रहा, तीसरी बार मुख्यमंत्री बना हूं. मुझ पर पहला हक किसी का था तो जाट समाज का था.
लेकिन, जानबूझकर एक गलतफहमी आरक्षण के नाम पर पैदा कर दी गई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री बना था तो मैंने मेनिफेस्टो में कहा था कि जाट समाज को आरक्षण दिया जाएगा और मैंने कैबिनेट में मेनिफेस्टोन को स्वीकृत कराया. उसको सरकारी कार्ययोजना का अंग बनाया था.
जाट समाज को पता होना चाहिए था कि मेनिफेस्टो को आधार बनाकर सरकार काम कर रही है तो उनका आरक्षण का वादा भी पूरा होना निश्चित था. लेकिन, राजनीति में सब तरह के लोग होते हैं. कुछ लोगों ने गलतफहमी पैदा कर दी और उस वजह से मैं जाट विरोधी घोषित हो गया और मैं 20 साल से जाट विरोधी घोषित हूं.
मुझे पता है आपके दिल में क्या है. जाट समाज हमेशा मेरे साथ रहा मुझे आशीर्वाद देता रहा, लेकिन राजनीति में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो गुमराह करते हैं और समाज के कुछ लोग गुमराह हो जाते हैं. उन पर चश्मा लग जाता है. लेकिन, मुझे उस चश्मे को खत्म करना आता है. लोकतंत्र में दिलों पर राज करना पड़ता है, यानी जनता की सेवा करनी पड़ती है.