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Corona Effect: छात्रों के सपनों पर लगा ग्रहण, नहीं होगा इस बार Campus Placement

लॉकडाउन की मार ऐसी पड़ी कि देश के सभी काम ठप पड़े हुए है. इससे कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी के छात्रों की भी परेशानियां बढ़ गई है. दरअसल, साल की शुरुआती महीनों से ही आखिरी साल की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए कैंपस प्लेसमेंट के दरवाजे खुल जाते है. लेकिन इस बार तो कंपनियां भी नई भर्तियां लेने में इंटरेस्ट नहीं दिखा रही है.

जयपुर समाचार, jaipur news
कोरोना ने छात्रों के सपनों पर लगाया ग्रहण
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Published : Jun 27, 2020, 5:36 PM IST

जयपुर. साल के शुरुआती महीनों से ही देश के लगभग सभी कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी में कैंपस प्लेसमेंट के लिए कई कंपनियां विजिट करती है. लेकिन इस बार तो कोरोना की ऐसी मार पड़ी कि कैंपस भी तीन महीने से सूने नजर आ रहे है. ऊपर से आईटी व एमबीए कंपनियां भी नई भर्तियां नहीं कर रही, जिससे कैंपस प्लेसमेंट पर पूरी तरह से ब्रेक लग गया है. हालांकि, शिक्षाविदों की मानें तो भविष्य में एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी में छात्रों के लिए वैकेंसी की भरमार आएगी.

कोरोना ने छात्रों के सपनों पर लगाया ग्रहण

बता दें कि आईआईएम हो या एनआईटी या फिर प्रबंधन एवं तकनीकी संस्थान हो, यहां पढ़ने वाले लाखों छात्रों को कोर्स के आखिरी साल में कैंपस प्लेसमेंट का इंतजार रहता है. ऐसे में देश-विदेश की प्रतिष्ठित ऑटोमोबाइल, प्रोडक्शन, सिविल और कंस्ट्रक्शन, मेडिकल एंड हेल्थ, बैंकिंग एंड इंश्योरेंस सेक्टर से जुड़ी कंपनियां कैंपस प्लेसमेंट में विद्यार्थियों का चयन करती हैं. इनमें इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट एवं रेगुलर डिग्री के छात्र अंतिम वर्ष की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के साथ ही विभिन्न कंपनियों में पदभार संभालते है.

जयपुर समाचार, jaipur news
छात्रों के टूटे सपनों की कहानी

पढ़ें- जयपुर डेयरी ने कार्रवाई करते हुए 3 हजार लीटर दूध किया जब्त, भेजे सैंपल

इसमें चयनित विद्यार्थियों के पैकेज लाखों-करोड़ों में होते हैं. लेकिन कोरोना की मार इस बार ऐसी पड़ी कि देश-विदेश की कंपनियों के कामकाज प्रभावित हुए है. ऐसे में अधिकतर आईटी कंपनियां तो वर्क फ्रॉम होम काम करवा रही हैं और नई भर्तियों में किसी प्रकार का कोई इंटरेस्ट भी नहीं दिखा रही.

कई छात्रों का हो चुका है चयन

प्रदेश के कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों का तो कैंपस प्लेसमेंट में चयन हो चुका है. लेकिन कुछ को अभी भी जॉब का इंतजार है. फिलहाल, कैंपस प्लेसमेंट पूरी तरह से स्थगित किए जा चुके हैं और जिन छात्रों का चयन हो भी चुका है, उनकी चयन प्रक्रिया भी टल गई है. ऐसे में इन छात्रों पर काफी मेंटली प्रेशर भी आ रहा है.

जयपुर समाचार, jaipur news
नहीं होगा इस बार कैंपस प्लेसमेंट

कई सेक्टर हुए मजबूत

शिक्षाविद प्रो. निर्मल पवार ने बताया कि प्रदेश में हर साल 7 फीसदी छात्रों के कैंपस प्लेसमेंट होते हैं. हालांकि, इस बार छात्रों को सिर्फ और सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है. लेकिन जिस तरह से लॉकडाउन के दौरान लोगों ने पार्ट टाइम बागबानी और सब्जियों उगाना शुरू किया है, आईआईटी के पेशेवर भी इससे काफी प्रेरित हुए है. अब तो युवा भी खेती से जुड़े विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, जिससे खेती के मशीनीकरण, सप्लाई चेन मैनेजमेंट, प्रोसेसिंग, मछली पालन, डेयरी क्षेत्र में छात्रों के लिए रोजगार के द्वार खुलेंगे.

पढ़ें- जयपुरः संभागीय आयुक्त ने कोरोना जागरूकता प्रचार वाहन किया रवाना

बहरहाल, अंतिम सेमेस्टर में पढ़ रहे विद्यार्थियों की अभी मुख्य परीक्षा नहीं हुई है. ऐसे में परीक्षा परिणाम आने के बाद ही कंपनियां फैसला करेंगी. लेकिन इन सबसे पहले छात्रों को अब कोरोना महामारी के बीच परीक्षाओं का इंतजार है. ताकि जॉब के दरवाजे पर जो कोरोना की मार पड़ी है, उससे निजात पाई जा सके.

जयपुर. साल के शुरुआती महीनों से ही देश के लगभग सभी कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी में कैंपस प्लेसमेंट के लिए कई कंपनियां विजिट करती है. लेकिन इस बार तो कोरोना की ऐसी मार पड़ी कि कैंपस भी तीन महीने से सूने नजर आ रहे है. ऊपर से आईटी व एमबीए कंपनियां भी नई भर्तियां नहीं कर रही, जिससे कैंपस प्लेसमेंट पर पूरी तरह से ब्रेक लग गया है. हालांकि, शिक्षाविदों की मानें तो भविष्य में एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी में छात्रों के लिए वैकेंसी की भरमार आएगी.

कोरोना ने छात्रों के सपनों पर लगाया ग्रहण

बता दें कि आईआईएम हो या एनआईटी या फिर प्रबंधन एवं तकनीकी संस्थान हो, यहां पढ़ने वाले लाखों छात्रों को कोर्स के आखिरी साल में कैंपस प्लेसमेंट का इंतजार रहता है. ऐसे में देश-विदेश की प्रतिष्ठित ऑटोमोबाइल, प्रोडक्शन, सिविल और कंस्ट्रक्शन, मेडिकल एंड हेल्थ, बैंकिंग एंड इंश्योरेंस सेक्टर से जुड़ी कंपनियां कैंपस प्लेसमेंट में विद्यार्थियों का चयन करती हैं. इनमें इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट एवं रेगुलर डिग्री के छात्र अंतिम वर्ष की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के साथ ही विभिन्न कंपनियों में पदभार संभालते है.

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छात्रों के टूटे सपनों की कहानी

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इसमें चयनित विद्यार्थियों के पैकेज लाखों-करोड़ों में होते हैं. लेकिन कोरोना की मार इस बार ऐसी पड़ी कि देश-विदेश की कंपनियों के कामकाज प्रभावित हुए है. ऐसे में अधिकतर आईटी कंपनियां तो वर्क फ्रॉम होम काम करवा रही हैं और नई भर्तियों में किसी प्रकार का कोई इंटरेस्ट भी नहीं दिखा रही.

कई छात्रों का हो चुका है चयन

प्रदेश के कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों का तो कैंपस प्लेसमेंट में चयन हो चुका है. लेकिन कुछ को अभी भी जॉब का इंतजार है. फिलहाल, कैंपस प्लेसमेंट पूरी तरह से स्थगित किए जा चुके हैं और जिन छात्रों का चयन हो भी चुका है, उनकी चयन प्रक्रिया भी टल गई है. ऐसे में इन छात्रों पर काफी मेंटली प्रेशर भी आ रहा है.

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नहीं होगा इस बार कैंपस प्लेसमेंट

कई सेक्टर हुए मजबूत

शिक्षाविद प्रो. निर्मल पवार ने बताया कि प्रदेश में हर साल 7 फीसदी छात्रों के कैंपस प्लेसमेंट होते हैं. हालांकि, इस बार छात्रों को सिर्फ और सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है. लेकिन जिस तरह से लॉकडाउन के दौरान लोगों ने पार्ट टाइम बागबानी और सब्जियों उगाना शुरू किया है, आईआईटी के पेशेवर भी इससे काफी प्रेरित हुए है. अब तो युवा भी खेती से जुड़े विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, जिससे खेती के मशीनीकरण, सप्लाई चेन मैनेजमेंट, प्रोसेसिंग, मछली पालन, डेयरी क्षेत्र में छात्रों के लिए रोजगार के द्वार खुलेंगे.

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बहरहाल, अंतिम सेमेस्टर में पढ़ रहे विद्यार्थियों की अभी मुख्य परीक्षा नहीं हुई है. ऐसे में परीक्षा परिणाम आने के बाद ही कंपनियां फैसला करेंगी. लेकिन इन सबसे पहले छात्रों को अब कोरोना महामारी के बीच परीक्षाओं का इंतजार है. ताकि जॉब के दरवाजे पर जो कोरोना की मार पड़ी है, उससे निजात पाई जा सके.

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