जयपुर. विधानसभा में प्रदेश की गहलोत सरकार लंपी स्किन डिजीज को विधानसभा में विपक्ष के निशाने पर रही. सदन में गौवंश में फैले इस वायर पर विशेष चर्चा की गई, लेकिन इस बीमारी को लेकर सरकार की ओर से बरती गई लापरवाही पर (BJP Targets Gehlot Government) वॉकआउट हुआ. विपक्ष ने कहा कि जब केंद्र सरकार ने अप्रैल माह में ही इस रोग को लेकर अलर्ट जारी कर दिया था तो फिर सरकार जुलाई तक क्यों खामोश बैठी रही. इतना ही नहीं, विपक्ष ने गौवंश की मौत पर सरकार की ओर से छुपाए जा रहे आंकड़ों पर भी निशाना साधा.
4 लाख से ज्यादा गौवंश कहां ? : नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने विशेष चर्चा के दौरान कहा कि जब सरपंचों की रिपोर्ट 8 लाख, BDO की रिपोर्ट 7 लाख और पशु पालन विभाग कह रहा है मात्र 59 हजार गौवंश की मौत हुई है, ये आंकड़ों में हेरफेर क्यों ? इन आंकड़ों की कमेटी बनाकर जांच होनी चाहिए. कटारिया ने कहा कि गोवंश की मौत पर सरकार आंकड़े क्यों छुपा रही है, यह समझ से परे है. 18 सितंबर के सरकार की ओर से दिए गए चार्ट में कहा गया है कि 13 लाख 29 हजार 907 गौवंश संक्रमित हुई हैं. उनमें से 12 लाख 49 हजार का इलाज किया गया. इलाज में 12 लाख 649 गायों को स्वस्थ किया गया है और मृत गोवंश की संख्या 59 हाजर 29 है. अब सरकार अब यह बताएं कि यह जो बीच में 4 लाख 29 हजार से ज्यादा पशुधन का गैप है. वह कहां पर लापता हो गईं. कटारिया ने कहा कि आंकड़ों के हेरफेर में यह साफ है कि सरकार आम जनता को यह नहीं बता पा रही है कि उनकी लापरवाही से लाखों गौवंश मौत के काल में समा गईं हैं. सरकार की ओर से बरती गई लापरवाही पर विपक्ष एक विशेष चर्चा से वॉकआउट कर दिया.
अप्रैल के अलर्ट पर जुलाई तक लापरवाही क्यों ? : नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि जब अप्रैल माह में ही केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकार को गौवंश में फैलने वाले संक्रमण को लेकर अलर्ट किया गया था, तो फिर 7 जुलाई तक सरकार इस पर किसी तरह का कोई एक्शन क्यों नहीं लिया? राज्य सरकार ने पहली बार इस संक्रमण को लेकर 7 जुलाई को अपनी ओर से पत्र जारी किया. इसका मतलब यह है कि 3 महीने से ज्यादा सरकार लापरवाह बन बैठी रही, जिसकी वजह से प्रदेश में लाखों गायों की मौत हो गई. सरकार अगर समय रहते एक्शन ले लेती तो शायद गौवंश में यह संक्रमण इस कदर विकराल रूप नहीं लेता. कटारिया ने कहा कि सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह इस पूरे मामले की जांच को लेकर कमेटी बनाएं और इस बात को देखें कि आखिर किस अधिकारी की लापरवाही से प्रदेश में गौवंश पर यह मौत का काल आया है.
गौपालकों को बिना ब्याज ऋण दिया जाए : नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने (Gulab Chand Kataria on Lumpy Skin Disease) राज्य सरकार से यह भी मांग की कि प्रदेश में बड़ी संख्या उन गौपालकों की है, जिनकी आजीविका का एकमात्र माध्यम गौवंश हैं. अब उनके सामने परिवार का लालन-पालन करना बड़ा मुश्किल हो गया है. ऐसे में प्रदेश की गहलोत सरकार को चाहिए कि वह इन गौपालकों को बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध कराए, ताकि वह फिर से अपने पशुधन खरीद सकें और अपने परिवार का लालन-पालन कर सकें.
दवा खरीद में गड़बड़ी तो नहीं : उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि प्रदेश में सब कोई भी जिला नहीं है, जिससे हमारे गौ माता पीड़ित नहीं हो. लगभग सभी जिलों में संक्रमण का कहर गौवंश पर पड़ा हुआ है. राठौड़ ने कहा कि सरकार ने मुफ्त पशुओं की दावा योजना सरकार ने चालू कर रखी है. इनमें से 72 प्रकार की दवाई वह है जो पोस्ट लंपी के लिए जरूरी है. लेकिन सरकार के पास दवाइयां नहीं हैं. जुलाई 2021 के बाद टेंडर खत्म हो गया, कोई दवाई नहीं खरीदी गई. 14 महीने से दवाइयां नहीं हैं. सरकार ने उसके बाद जो कंपनी की दवाइयां खरीदी है, आरएमसीएल को आदेश दिया कि आप पशुओं के लिए दवाइयां खरीदें. आरएमसीएल ने 11 नवंबर को मना किया कि हम आदमियों की दवा खरीदते हैं पशुओं की नहीं. फिर अगस्त 2022 को कॉन्फ्ट के माध्यम से दवाइयां खरीदी. कॉन्फ्ट कौनसी कंपनी है, हम उसको लेकर सनसनी नहीं फैलाना चाहते, लेकिन जिसकी दवा की कीमत 51 रुपये है, उससे 121 रुपये में खरीद रहे हैं. कम से कम ऐसी आपदा में तो देखें मानवता भी कुछ है.
पशु धन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से लंपी डिजीज को लेकर राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग पर सदन में उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने जवाब दिया. राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार बार-बार कह रही है कि इस गौवंश में फैली बीमारी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करें, लेकिन उन्हें यह पता होना चाहिए कि किसी भी पशुधन के इलाज के संरक्षण संवर्धन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है. कानून के प्रावधानों को एक बार सरकार को अच्छी तरह से पढ़ लेना चाहिए. सरकार को चाहिए कि राज्य में इस पशुधन में आई बीमारी को महामारी घोषित करे. पशुधन अधिनियम 1959 कहता है कि पशुओं में बीमारी फैली तो टीकाकरण की जिम्मेदारी (Lumpy Vaccination in Rajasthan) राज्य की है.