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भाजपा में बवाल: महापौर प्रत्याशी चयन में संगठन ने किया विधायकों को दरकिनार, वसुंधरा राजे को भी भुलाया - Municipal Corporation 2020

नगर निगम चुनाव में भाजपा ने विधायकों को दरकिनार कर दिया. आलम ये रहा कि पहले पार्षदों के टिकट में विधायकों की राय कम ही मानी गई तो वहीं अब महापौर प्रत्याशी चयन में तो पार्टी ने क्षेत्रीय विधायकों की राय तक लेना उचित नहीं समझा. वहीं, पार्टी ने वसुंधरा राजे को भी भुला दिया.

Rajasthan BJP News,  Municipal Corporation 2020
भाजपा में बवाल
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Published : Nov 5, 2020, 10:34 PM IST

जयपुर. नगर निगम चुनाव में इस बार बीजेपी में पार्टी के विधायकों की कम ही चली. आलम ये रहा कि पहले पार्षदों के टिकट में विधायकों की राय कम ही मानी गई तो वहीं अब महापौर प्रत्याशी चयन में तो पार्टी ने क्षेत्रीय विधायकों की राय तक लेना उचित नहीं समझा. इन चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे को भी संगठन ने पूरी तरह भुला दिया. यही कारण है कि पार्टी के भीतर संगठनों और विधायकों के बीच एक लंबी खाई खींचती नजर आने लगी है.

संगठन और विधायकों के बीच शुरू हुआ यह मनमुटाव गुरुवार को महापौर पद प्रत्याशियों के नामांकन के दौरान भी देखा गया. जिसमें जयपुर नगर निगम ग्रेटर में भाजपा महापौर प्रत्याशी सौम्या गुर्जर के नामांकन के दौरान बीजेपी का जयपुर शहर से आने वाला एक भी मौजूदा विधायक नजर नहीं आया. जबकि जयपुर नगर निगम ग्रेटर क्षेत्र में विधायक कालीचरण सराफ, अशोक लाहोटी और नरपत सिंह राजवी के साथ ही पूर्व संसदीय सचिव कैलाश वर्मा और पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत दिखे.

पढ़ें- महेश जोशी ने भाजपा महापौर प्रत्याशी पर साधा निशाना, "ऐसी महिला महापौर बन गई तो जयपुर का क्या हाल होगा?"

हालांकि, राजपाल सिंह शेखावत कोरोना से पीड़ित हैं, लेकिन अन्य विधायक या पूर्व विधायक सौम्या गुर्जर के नामांकन के दौरान नहीं पहुंचे. अब ये तकरार खुलकर सामने आई तो यह भी संभव है कि पार्टी को महापौर चुनाव में क्रॉस वोटिंग का दंश झेलना पड़े.

दरअसल, इस बार नगर निगम चुनाव में प्रत्याशी चयन के साथ ही विधायकों की संगठन के साथ खींचतान शुरू हो गई थी और यही खींचतान महापौर प्रत्याशी के चयन में और अधिक बढ़ गई क्योंकि ना तो जयपुर शहर अध्यक्ष और ना ही चुनाव प्रभारी ने मौजूदा विधायक और विधायक प्रत्याशियों से राय लेना उचित समझा. ऐसे में जयपुर शहर से आने वाले भाजपा के विधायक अब खुद को असहज महसूस करने लगे हैं.

संगठन महामंत्री की एक तरफा चली...

जयपुर नगर निगम चुनाव में भाजपा संगठन ने विधायकों को संगठन की ताकत का आईना दिखा दिया, तो वहीं इन चुनावों में भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर की भी सियासी ताकत देखने को मिली. बताया जा रहा है कि संगठन महामंत्री ने जिस वार्ड से जो टिकट चाहा उसे ही टिकट मिला.

वहीं, जयपुर ग्रेटर नगर निगम महापौर प्रत्याशी पर सौम्या गुर्जर के चयन में भी संगठन महामंत्री की भूमिका महत्वपूर्ण रही, भाजपा के मौजूदा विधायक दबी जुबान यही बात कहते हैं. इस बात को भी स्वीकार करते हैं कि प्रत्याशी चयन में संगठन ने मौजूदा विधायकों की उपेक्षा की जबकि पहले ऐसा नहीं हुआ करता था.

जयपुर. नगर निगम चुनाव में इस बार बीजेपी में पार्टी के विधायकों की कम ही चली. आलम ये रहा कि पहले पार्षदों के टिकट में विधायकों की राय कम ही मानी गई तो वहीं अब महापौर प्रत्याशी चयन में तो पार्टी ने क्षेत्रीय विधायकों की राय तक लेना उचित नहीं समझा. इन चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे को भी संगठन ने पूरी तरह भुला दिया. यही कारण है कि पार्टी के भीतर संगठनों और विधायकों के बीच एक लंबी खाई खींचती नजर आने लगी है.

संगठन और विधायकों के बीच शुरू हुआ यह मनमुटाव गुरुवार को महापौर पद प्रत्याशियों के नामांकन के दौरान भी देखा गया. जिसमें जयपुर नगर निगम ग्रेटर में भाजपा महापौर प्रत्याशी सौम्या गुर्जर के नामांकन के दौरान बीजेपी का जयपुर शहर से आने वाला एक भी मौजूदा विधायक नजर नहीं आया. जबकि जयपुर नगर निगम ग्रेटर क्षेत्र में विधायक कालीचरण सराफ, अशोक लाहोटी और नरपत सिंह राजवी के साथ ही पूर्व संसदीय सचिव कैलाश वर्मा और पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत दिखे.

पढ़ें- महेश जोशी ने भाजपा महापौर प्रत्याशी पर साधा निशाना, "ऐसी महिला महापौर बन गई तो जयपुर का क्या हाल होगा?"

हालांकि, राजपाल सिंह शेखावत कोरोना से पीड़ित हैं, लेकिन अन्य विधायक या पूर्व विधायक सौम्या गुर्जर के नामांकन के दौरान नहीं पहुंचे. अब ये तकरार खुलकर सामने आई तो यह भी संभव है कि पार्टी को महापौर चुनाव में क्रॉस वोटिंग का दंश झेलना पड़े.

दरअसल, इस बार नगर निगम चुनाव में प्रत्याशी चयन के साथ ही विधायकों की संगठन के साथ खींचतान शुरू हो गई थी और यही खींचतान महापौर प्रत्याशी के चयन में और अधिक बढ़ गई क्योंकि ना तो जयपुर शहर अध्यक्ष और ना ही चुनाव प्रभारी ने मौजूदा विधायक और विधायक प्रत्याशियों से राय लेना उचित समझा. ऐसे में जयपुर शहर से आने वाले भाजपा के विधायक अब खुद को असहज महसूस करने लगे हैं.

संगठन महामंत्री की एक तरफा चली...

जयपुर नगर निगम चुनाव में भाजपा संगठन ने विधायकों को संगठन की ताकत का आईना दिखा दिया, तो वहीं इन चुनावों में भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर की भी सियासी ताकत देखने को मिली. बताया जा रहा है कि संगठन महामंत्री ने जिस वार्ड से जो टिकट चाहा उसे ही टिकट मिला.

वहीं, जयपुर ग्रेटर नगर निगम महापौर प्रत्याशी पर सौम्या गुर्जर के चयन में भी संगठन महामंत्री की भूमिका महत्वपूर्ण रही, भाजपा के मौजूदा विधायक दबी जुबान यही बात कहते हैं. इस बात को भी स्वीकार करते हैं कि प्रत्याशी चयन में संगठन ने मौजूदा विधायकों की उपेक्षा की जबकि पहले ऐसा नहीं हुआ करता था.

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